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Raisina Dialogue: 'चीन के साथ रिश्तों में संतुलन बनाना आसान नहीं', ड्रैगन को जयशंकर की दो टूक- खेला जा रहा है माइंड गेम

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को भारत-चीन मुद्दों को द्विपक्षीय ढांचे के तहत मुद्दों को रोकने में बीजिंग के माइंड गेम के प्रति सचेत किया। उन्होंने कहा कि संतुलन पर पहुंचना फिर उसे बरकरार रखना और उसे नए सिरे तक पहुंचाना दोनों देशों के लिए सबसे बड़ी चुनौती होने जा रही है। उन्होंने कहा कि माइंड गेम खेला जाएगा और यह महज हम दोनों के बीच ही होगा।

By Jagran News Edited By: Anurag GuptaPublished: Fri, 23 Feb 2024 05:11 PM (IST)Updated: Fri, 23 Feb 2024 07:55 PM (IST)
भारतीय विदेश मंत्री एस जयंशकर (फोटो: एएनआई)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर के निशाने पर एक बार फिर चीन था। मंच भी वही कूटनीतिक विमर्श का आयोजन रायसीना डायलाग था। शुक्रवार को इस आयोजन के एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के साथ द्विपक्षीय रिश्ते को लेकर चीन 'माइंड गेम' (दिमाग का खेल) खेल रहा है। लेकिन भारत के पास भी संतुलन बनाने के लिए दूसरे विकल्प मौजूद हैं।

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भारतीय विदेश मंत्री ने बेहद साफगोई से स्वीकार किया कि दोनों देशों के लिए द्विपक्षीय रिश्तों में संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण साबित होने वाला है और यह आसान नहीं होगा। एक दिन पहले इसी मंच से विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की राह में रोड़े अटकाने को लेकर चीन को आड़े हाथों लिया था।

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क्या कुछ बोले जयशंकर?

रायसीना डायलाग के एक सत्र के दौरान विदेश मंत्री से यह पूछा गया था कि क्या भारत व चीन के तनावपूर्ण रिश्तों में संतुलन बनाना संभव होगा। इसके जवाब जयशंकर ने कई चरणों में दिया। पहले उन्होंने कहा,

अस्सी के दशक से ही दोनो देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर एक सहमति थी। अब एक पक्ष (चीन) उस सहमति से अलग हो रहा है। सीमा पर उनका व्यवहार कैसा है, यह हम देख रहे हैं। हमारी तरफ से भी उन्हें वापस धक्का दिया जा रहा है। मेरे ख्याल से किसी संतुलन पर पहुंचना और उस संतुलन को बना कर रखना बहुत ही चुनौतीपूर्ण होगा। यह दोनो देशों के लिए चुनौतीपूर्ण है। यह आसान नहीं है।

जयशंकर ने यह भी कहा कि दोनो देशों के बीच माइंड गेम होगा और यह सिर्फ इन दोनों देशों के बीच होगा। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह माइंड गेम नहीं होनी चाहिए। भारतीय विदेश मंत्री का यह कहना कि भारत व चीन के रिश्तों में दुनिया के दूसरे 190 देशों का कोई महत्व नहीं है, का भी अपना अलग महत्व है।

उन्होंने चीन के संदर्भ में यह भी कहा,

अगर दुनिया के दूसरे हिस्से में कुछ तथ्य हैं जिनकी वजह से मुझे संतुलन साधने में मदद मिलती है तो मुझे क्यों नहीं उस अधिकारी का इस्तेमाल करना चाहिए।

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उनका यह जवाब तब आया है जब दो दिन पहले ही भारत और चीन के बीच सीमा विवाद सुलझाने के लिए सैन्य वार्ता संपन्न हुई है और इसमें कोई नतीजा निकलने का संकेत नहीं मिला है। मई, 2020 से ही दोनो देशों के बीच सीमा विवाद चल रहा है। भारत के पूर्वी लद्दाख से सटे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास कई जगहों पर दोनों देशों की सेनाएं अभी भी कुछ दूरी पर तैनात हैं।

संतुलन साधने के लिए दुनिया के दूसरे हिस्सों में उपलब्ध अवसरों के बारे में संभवत: विदेश मंत्री का मंतव्य क्वाड संगठन का है जिसका गठन भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान व ऑस्ट्रेलिया को मिला कर किया गया है। ये चारों देश हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों पर लगााम लगाने की मंशा रखते हैं, ताकि इस महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र को कारोबार व आवागमन के लिए सुरक्षित रखा जा सके।

'चीन स्थिर हो जाएगा और भारत तेजी से करेगा विकास'

जयशंकर ने इन आशंकाओं को भी परोक्ष तौर पर खारिज कर दिया कि चीन एक बड़ी आर्थिक शक्ति है, तो भारत पर वह दबाव बना सकेगा। उन्होंने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि चीन आज एक बड़ी शक्ति है। चीन ने पहले शुरुआत की थी और उसमें लगातार, अच्छे तरीके से कोशिश की, लेकिन यह प्रकृति का नियम है कि एक समय वो स्थिर हो जाएगा और भारत तेजी से विकास करेगा।

इस संदर्भ में जयशंकर ने गोल्डमैन सैश की रिपोर्ट का हवाला दिया कि कैसे वर्ष 2075 तक भारत और चीन 50 अरब डॉलर से ज्यादा की इकोनमी बन जाएंगे। इसके आगे जयशंकर ने कहा कि भारत व चीन जब एक साथ एक ही दिशा में बढ़ेंगे तो संतुलन बनाना आसान नहीं होगा। ऐसा मौका आता रहेगा जब दोनों की तरफ से किसी खास मौके का फायदा उठाने की कोशिश होगी और दूसरा उसका विरोध करेगा।


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