इन्हींं मजदूरों के हाथों से घूमता है अर्थव्यवस्था का पहिया, अब करनी होगी बिल्कुल नई कवायद
मजदूरों के दम पर ही किसी अर्थव्यवस्था का पहिया तेजी से घूमता है। लिहाजा ये जरूरी है कि इनके लिए ऐसी नीतियां बनाई जाएं जिनसे रोजगार के अवसर बढ़ें और इन्हें आगे आने का मौका मिले।
नई दिल्ली। कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन का सबसे अधिक प्रभाव भारत के उन मजदूरों या उन लोगों पर पड़ा है जिनका काम रोजाना कमाना और खाना होता है। लॉकडाउन के बीच पैदल ही भूखे-प्यासे अपने घरों की तरफ जाने को मजबूर इन लोगों की देशभर से सामने आने वाली तस्वीरें इसकी जीती जागती सच्चाई को उजागर करने के लिए काफी हैं। सरकार ने इन लोगों के लिए आर्थिक सुविधा के अलावा कुछ अन्य योजनाएं भी शुरू की हैं। जानकार मानते हैं कि ये मजदूर किसी भी अर्थव्यवस्था की मजबूत नींव होते हैं जिनकी बदौलत अर्थव्यवस्था का पहिया घूमता है।
जानकार ये भी मानते हैं कि लॉकडाउन के खत्म होने और महामारी के थमने के बाद काफी कुछ चीजें बदल जाएंगी और सरकारों को कुछ नई नीतियां इन लोगों के लिए बनानी होगी। वे ये भी मानते हैं कि इस महामारी का जहां एक नकारात्मक पहलू हमारे सामने है तो वहीं भविष्य में इसके कुछ सकारात्मक पहलू भी हमारे सामने जरूर आएंगे। इन जानकारों की राय में इसके लिए कुछ खास कदम उठाए जाने जरूरी हैं।
- जानकार मानते हैं कि इन प्रवासी मजदूरों पर वर्तमान में आए संकट के बाद इनमें से शायद की भविष्य में रोजी-रोटी के लिए दूसरे राज्यों का रुख करेंगे। ऐसे में सरकारों के ऊपर इन हाथों को काम मुहैया करवाना होगा।
- इन मजदूरों की वापसी के बाद भविष्य में राज्यों के अंदर छोटे और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने का पूरा मौका वहां की सरकारों के हाथों में होगा। इसके लिए सरकार को नए सिरे से नीतियां बनानी होंगी।
- इन नीतियों का प्रचार-प्रसार भी सरकार को खूब करना होगा, ताकि इसकी जानकारी निचले दर्जे तक शामिल लोगों को मिल सके।
- सरकारों को छोटे और कुटीर उद्योगों के लिए नीतियां बनाते समय इस बात का भी ख्याल रखना होगा कि इनमें कम से कम लाल फीताशाही का इस्तेमाल हो। ये सीधी व सरल होनी चाहिए, तभी इनका फायदा लोगों तक पहुंच सकेगा।
- राज्य सरकारों को ऐसे लोगों को सस्ता कर्ज देने पर भी विचार करना होगा। इसके अलावा इस पर पैनी निगाह भी रखनी होगी कि ये कर्ज सही हाथों और सही काम में ही खर्च किया जा सके।
- इस महामारी संकट के बाद राज्यों पर प्रवासी मजदूरों का बोझ कम होगा। इसकी सीधा असर राज्यों के वहां के लोगों पर पड़ेगा और इन लोगों को स्थानीय स्तर पर काम मिल सकेगा।
- जानकारों के मुताबिक इस संकट के बाद कृषि के क्षेत्र में काफी बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है। इस क्षेत्र में लगने वाले मजदूरों की तादात बढ़ेगी। इसके अलावा कृषि से जड़े अन्य व्यवसाय भी पनपेंगे। इन्हें सरकार के सही संरक्षण की जरूरत होगी।
- राज्य सरकारों को अपने यहां पर रोजगार के अवसर बढ़ाने होंगे और छोटे व कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करना होगा। इसके लिए जिला स्तरीय काम करना जरूरी होगा।
- सरकारों को छोटे व कुटीर उद्योगों से बनने वाले सामान के लिए ई-मार्केट की सुविधा के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर बड़े बाजारों का निर्माण करना जरूरी होगा।
- पीएम मोदी ने लोकल से ग्लोबल बनाने की जो अपील लोगों से की है उसमें ये जरूरी होगा कि इन लोगों द्वारा खोले गए कारोबार को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित किया जा सके।
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