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छत्तीसगढ़ फिर लाल, 14 जवान शहीद, 60 और घिरे

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में चिंतागुफा के पास सोमवार दोपहर नक्सलियों के हमले में सीआरपीएफ के 14 जवान शहीद हो गए। मुठभेड़ में 15 जवान घायल हुए हैं। शहीदों में सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट डीएस वर्मा (कानपुर) और राजस्थान निवासी असिस्टेंट कमांडेंट राजेश कपूरिया शामिल हैं। देर शाम तक 60

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 01 Dec 2014 05:44 PM (IST)Updated: Tue, 02 Dec 2014 05:01 AM (IST)

सुकमा, जागरण न्यूज नेटवर्क। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में चिंतागुफा के पास सोमवार दोपहर नक्सलियों के हमले में सीआरपीएफ के 14 जवान शहीद हो गए। मुठभेड़ में 15 जवान घायल हुए हैं। शहीदों में सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट डीएस वर्मा (कानपुर) और राजस्थान निवासी असिस्टेंट कमांडेंट राजेश कपूरिया शामिल हैं। देर शाम तक 60 और जवान शिविर में वापस नहीं लौटे हैं। उनके जंगल में फंसे होने की आशंका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कई नेताओं ने हमले की निंदा की है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह हालात की समीक्षा के लिए मंगलवार को रायपुर जाएंगे। यह वही सुकमा है जहां 25 मई, 2013 को नक्सली हमले में वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं समेत 28 लोग मारे गए थे।

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यह हमला मुख्यमंत्री रमन सिंह के राज्य में जल्द नक्सलियों के सफाए के दावे के कुछ ही घंटे बाद हुआ। छत्तीसगढ़ के एडीजी (नक्सल ऑपरेशन) आरके विज ने बताया कि सघन जंगलों में सीआरपीएफ, कोबरा बटालियन और प्रादेशिक बल के करीब दो हजार जवान अलग-अलग स्थानों से तलाशी अभियान पर निकले थे। अभियान में कोबरा की 206 वीं बटालियन और सीआरपीएफ की 223 वीं बटालियन शामिल हैं। इसी दौरान चिंतागुफा से दस किलोमीटर दूर कसलनार के पास नक्सलियों ने सीआरपीएफ की टुकड़ी को दोपहर करीब दो बजे निशाना बनाया। इलाके में नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना पुलिस के पास पहले से थी, इसी के मद्देनजर तलाशी अभियान छेड़ा गया है। इसी दौरान सुरक्षा बलों की एक टुकड़ी पर सैकड़ों हथियारबंद नक्सलियों ने कई तरफ से हमला किया। बताया गया है कि उन्होंने निर्दोष ग्रामीणों की आड़ लेकर सुरक्षा बलों पर हमला किया। करीब तीन घंटे तक दोनों तरफ से भीषण गोलीबारी हुई। इसमें कुछ नक्सलियों के भी मारे जाने की सूचना है। पूरे इलाके में घने जंगल हैं और इलाका घोर नक्सल प्रभावित है। इसलिए घायल 15 जवानों को जगदलपुर के जिला अस्पताल में नहीं लाया जा सका। रात होने की वजह से हेलीकॉप्टर इलाके में नहीं पहुंच सका। अब चिंतागुफा थाने में ही घायलों का इलाज हो रहा है। इसी इलाज के दौरान देर रात एक जवान की मौत हो गई। यह हमला नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग की केंद्र सरकार के कार्यकाल में हुआ पहला बड़ा नक्सली हमला है।

'राष्ट्रविरोधी तत्वों के इस अमानवीय कृत्य की निंदा के लिए शब्द नहीं हैं। जो शहीद हुए हैं हम उनकी शहादत को सैल्यूट करते हैं।' -नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

पीएलजीए सप्ताह के एक दिन पहले हमला

यह हमला नक्सलियों के पीएलजीए (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) स्थापना सप्ताह शुरू होने के पूर्व दिवस पर हुआ है। यह सप्ताह नौ दिसंबर तक मनाया जाएगा। नक्सली अपनी ताकत दिखाने के लिए यह सप्ताह पिछले 14 साल से मना रहे हैं।

दस दिन पहले भी हुआ था हमला

सुकमा जिले के जिस इलाके में सुरक्षा बलों पर हमला हुआ है। दस दिनों में यह दूसरा हमला है। 21 नवंबर को यहां नक्सल विरोधी अभियान में लगे वायुसेना के हेलीकॉप्टर पर गोलियां दागी गईं थीं। उस हमले में पांच सीआरपीएफ के जवान घायल हुए थे, वायुसेना का एक कमांडो भी घायल हुआ था।

सेंट्रल कमेटी का हाथ

इस नक्सली वारदात की रणनीति माओवादियों की सेंट्रल कमेटी के द्वारा बनाए जाने की खबर आ रही है। सूत्रों के मुताबिक 29 नवंबर को गादीरास के गोरली पहाड़ी क्षेत्र में सेंट्रल कमेटी के सदस्य पंकज, एलओएस सन्नी, आंध्र प्रदेश के एक लीडर जगदीश व देवा की मौजूदगी में नक्सलियों की बैठक हुई थी। उसी में हमले का निर्णय लिया गया।

साथियों के समर्पण के दबाव से उबरने की कोशिश

रायपुर, नई दुनिया ब्यूरो। साथियों के समर्पण से नक्सली गुट दबाव में है। इस वर्ष नक्सलियों के कई बड़े नेताओं से लेकर कमांडर और छोटे लड़ाकों ने पुलिस और सुरक्षा बलों के सामने हथियार डाले हैं। अकेले छत्तीसगढ़ में ही इस अक्टूबर तक 280 से अधिक नक्सलियों ने समर्पण किया है। जानकारों के अनुसार इस बिखराव से न केवल लाल गुट का विस्तार रुक गया है, बल्कि प्रभाव वाले क्षेत्रों में भी दबदबा कम हो रहा है। इससे उबरने के लिए नक्सली लगातार बड़ी वारदात की कोशिश में हैं। सोमवार को सुकमा में हुई घटना को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।

पुलिस अफसरों के अनुसार, बस्तर में सक्रिय नक्सली गुट दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के करीब साढ़े तीन सौ से अधिक सदस्यों ने समर्पण किया है। इनमें से कुछ ने आंध्र प्रदेश और ओडि़शा में हथियार डाले हैं तो करीब 283 ने छत्तीसगढ़ में। इनमें दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का प्रवक्ता जीवीके प्रसाद भी शामिल है। इसके बाद से लगातार नक्सली समर्पण कर रहे हैं। एक पूर्व वरिष्ठ आइपीएस अफसर का कहना है कि इस साल हुए समर्पण के आंकड़ों को देखकर लग रहा है कि नक्सली गुटों में समर्पण करने की होड़ लगी हुई है। दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के मौजूदा प्रवक्ता गुड्सा उसेंडी ने भी माना है कि सरकारी आत्मसमर्पण नीति से उनके लोग प्रभावित हो रहे हैं। साथियों के साथ छोडऩे से नक्सली इतने बौखलाए हुए हैं कि अब वे समर्पण करने वाले साथियों को जान से मारने की धमकी भी दे रहे हैं।

हीदों के नाम

डिप्टी कमांडेंट डीएस वर्मा, असिस्टेंट कमांडेंट राजेश कपूरिया, हेड कांस्टेबल- हेमराज, पंचूराम, कुलदीप पुनिया, कांस्टेबल-ओमाजी पवार, केराम मोहन, टीएल मांझी, मुकेश कुमार, गौरीशंकर, मनीष सिंह, राधेश्याम, साजी भट्ट, दीपक कुमार।

पढ़ें: सुकमा में नक्सली हमला, तीन जवान शहीद


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