पैसे व सामग्री की कमी से अटकीं यूपी की कई सड़क परियोजनाएं
सड़क मंत्रालय की ओर से शिकायत की गई कि उप्र में परियोजनाओं की डीपीआर तैयार होने में बहुत वक्त लगता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की सड़क परियोजनाएं पैसों के साथ-साथ निर्माण सामग्री की कमी से जूझ रही हैं। इसके अलावा डीपीआर तैयार करने में सुस्ती भी परियोजनाओं को आगे नहीं बढ़ने दे रही। यूपी की सड़क परियोजनाओं पर केंद्रीय सड़क मंत्रालय में हुई समीक्षा बैठक में यह तथ्य उभरकर सामने आया। बैठक में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के अलावा उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य तथा केंद्रीय मानव संसाधन व जल संसाधन राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह मौजूद थे।
बैठक में एनएचएआइ के अधिकारियों तथा परियोजनाओं से जुड़े ठेकेदारों ने राज्य में सड़क निर्माण में आने वाली दिक्कतों का रोना रोया। उनका कहना था कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के आदेशों के कारण राज्य में बालू और गिट्टी का खनन बाधित होने से अनेक सड़क परियोजनाओं का काम अटक गया है। सहारनपुर में एनजीटी के आदेश के कारण यमुनानगर से बालू की आवक बंद हो गई है। दाम भी बढ़ गए हैं। उप मुख्यमंत्री मौर्य के यह कहने पर कि राज्य सरकार ने खेतों की बालू के उपयोग की इजाजत दे दी है, ठेकेदारों का कहना था कि वो बालू निकालना आसान नहीं है। उसमें गुणवत्ता का प्रश्न भी खड़ा होगा।
दूसरी अड़चन डीपीआर में देरी की सामने आई। सड़क मंत्रालय की ओर से शिकायत की गई कि उप्र में परियोजनाओं की डीपीआर तैयार होने में बहुत वक्त लगता है। उन्होंने सुझाव दिया कि फीजिबिलिटी रिपोर्ट के साथ ही भूमि अधिग्रहण का कार्य शुरू होना चाहिए। ताकि डीपीआर तैयार होते-होते भूमि अधिग्रहण पूरा हो जाए।
सड़क निधि का पैसा मांगा
मौर्य ने केंद्रीय सड़क निधि से ज्यादा से ज्यादा राशि देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि जुलाई की समीक्षा बैठक में यूपी को 10 हजार करोड़ रुपये देने का वादा किया गया था। लेकिन अब सालाना केवल 600 करोड़ रुपये देने और बाकी अपने संसाधनों से जुटाने की बात की जा रही है। यूपी के सांसदों ने 9,922 करोड़ रुपये के प्रस्ताव प्रदेश सरकार को सौंप दिए हैं। ऐसे में यदि यह राशि नहीं मिली तो सांसद नाराज हो सकते हैं। इस पर गडकरी ने बीच का रास्ता निकालने का भरोसा दिया।
एसएच को एनएच बनाने का मुद्दा
बैठक में स्टेट हाईवे को राष्ट्रीय राजमार्गो में बदलने का मुद्दा भी उठा। यूपी के अफसरों ने बताया कि राज्य के 109 एसएच को एनएच घोषित करने का प्रस्ताव है। इनमें से 48 पर मंत्रालय ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। जबकि 51 विचाराधीन हैं। दस एसएच को एनएच घोषित किया जा चुका है।
पूर्वाचल एक्सप्रेसवे
उप्र सरकार ने प्रस्तावित पूर्वाचल एक्सप्रेसवे के लिए एनएचएआइ के साथ संयुक्त उद्यम बनाने का प्रस्ताव रखा। लेकिन सड़क मंत्रालय ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि कानूनन एनएचएआइ किसी राज्य सरकार के साथ संयुक्त उद्यम नहीं बना सकती। इसलिए कोई और रास्ता निकालना होगा।
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे
इस 322 किमी लंबे प्रस्तावित एक्सप्रेसवे की लागत घटाने के लिए इसके साथ लॉजिस्टिक पार्क व कामर्शियल हब बनाने का प्रस्ताव यूपी की ओर से रखा गया।
गंगा पर पुल
बैठक में राम जानकी मार्ग, राम वन गमन मार्ग तथा गोवर्द्धन परिक्रमा मार्ग को जल्द पूरा करने का मुद्दा भी उठा। मौर्य ने इलाहाबाद में अर्द्धकुंभ से पहले गंगा पर फाफामऊ में छह लेन सेतु का निर्माण नवंबर में शुरू करने पर जोर दिया।
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