एफआइआर से रामनरेश का नाम हटाने का आदेश
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले में दर्ज एफआइआर से राज्यपाल रामनरेश यादव का नाम अविलंब हटाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर व जस्टिस रोहित आर्या की खंडपीठ ने पूर्व में दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद सुरक्षित किया गया
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले में दर्ज एफआइआर से राज्यपाल रामनरेश यादव का नाम अविलंब हटाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर व जस्टिस रोहित आर्या की खंडपीठ ने पूर्व में दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद सुरक्षित किया गया फैसला मंगलवार को सुनाया। हालांकि अन्य आरोपियों के खिलाफ एसटीएफ अपनी जांच जारी रखने के लिए स्वतंत्र है।
हाई कोर्ट ने कहा कि यदि राज्यपाल रामनरेश यादव चाहें तो अपनी इच्छा से व्यापमं घोटाले में बयान दर्ज करा सकते हैं। इस सिलसिले में एसटीएफ उन पर कोई दबाव नहीं बना सकती। यही नहीं, उन्हें पुलिस स्टेशन या कहीं और तलब करके बयान दर्ज नहीं कराया जा सकता। इसके लिए एसटीएफ के जांच अधिकारी को एडिशनल डीजीपी स्तर के अधिकारी के साथ राजभवन जाना होगा। वहां राज्य के प्रमुख राज्यपाल के पद व गरिमा का समुचित सम्मान करते हुए बयान दर्ज किए जा सकेंगे।
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जेठमलानी सहित अन्य के तर्क मंजूर
अदालत ने राज्यपाल की ओर से बहस करने दिल्ली से जबलपुर आए वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी, जबलपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्शमुनि त्रिवेदी व महेंद्र पटेरिया के सभी तर्क मंजूर करते हुए 63 पेज में फैसला सुनाया। खंडपीठ ने माना कि अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के संबंध में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट और यूनियन कार्बाइड के मामले में भारत के सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक बेंच ने जो ऐतिहासिक निर्णय सुनाए थे, उनके तहत संविधान में राष्ट्रपति व राज्यपाल को दिया गया विशेषाधिकार पूर्ण विशेषाधिकार है। लिहाजा उसका कोई अपवाद नहीं हो सकता। इसलिए राज्यपाल के खिलाफ दर्ज की गई एफआइआर रद किए जाने योग्य है।
इस बीच हाई कोर्ट ने व्यापमं घोटाले की जांच एजेंसी एसटीएफ और उसकी निगरानी करने वाली एजेंसी एसआइटी द्वारा मंगलवार को सीलबंद लिफाफों में पेश की गई दो रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर ले लिया। मामले की सुनवाई छह मई को की जाएगी।
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