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व्यापमं घोटाले की जांच रिपोर्ट पर हाई कोर्ट की मुहर

मध्य प्रदेश के चर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले की जांच की निगरानी कर रही एसआइटी द्वारा 23 अप्रैल को पेश की गई अंतरिम रिपोर्ट पर हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट से जांच के लिए आई पेनड्राइव व दस्तावेज झूठे पाए हैं। हाई कोर्ट ने अब

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Sat, 25 Apr 2015 02:59 AM (IST)Updated: Sat, 25 Apr 2015 03:47 AM (IST)
व्यापमं घोटाले की जांच रिपोर्ट पर हाई कोर्ट की मुहर

जबलपुर [नई दुनिया]। मध्य प्रदेश के चर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले की जांच की निगरानी कर रही एसआइटी द्वारा 23 अप्रैल को पेश की गई अंतरिम रिपोर्ट पर हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट से जांच के लिए आई पेनड्राइव व दस्तावेज झूठे पाए हैं। हाई कोर्ट ने अब इस मामले में एसआइटी को आगे की कार्रवाई के लिए स्वतंत्र कर दिया है।

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पेनड्राइव और दस्तावेज वही हैं जिनकी एक प्रति 6 दिसंबर, 2014 को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एसआइटी को सौंपते हुए जांच की मांग की थी। बाद में व्यापमं घोटाले के व्हिसल ब्लोअर ने अपनी जान की सलामती के लिए 20 फरवरी को दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका लगाई थी। वहां पेनड्राइव सौंपकर जांच की मांग की थी। यह व्हिसल ब्लोअर एसटीएफ का मददगार प्रशांत पाण्डेय है। इसी को दिग्विजय सिंह ने अपना सूत्र बताया है।

फंस सकते हैं दिग्विजय सिंह

व्यापमं मामले में दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर आरोप लगाते हुए एक्सेल शीट एसआइटी को सौंपी थी। साथ ही उनकी जांच करने के लिए एक शपथपत्र भी दिया था। इस वजह से एसआइटी/ एसटीएफ की जांच प्रक्रिया को प्रभावित करने के आरोप में दिग्विजय सिंह को कार्रवाई के दायरे में लिया जा सकता है। वहीं, दिग्विजय सिंह का कहना है कि हाई कोर्ट के आदेश को वे शीर्ष अदालत में चुनौती देंगे।

उमा भारती को भी राहत

भोपाल : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा केंद्रीय मंत्री उमा भारती और व्यापमं की पूर्व चेयरपर्सन रंजना चौधरी को भी बड़ी राहत मिली है। व्यापमं घोटाले को लेकर दोनों के खिलाफ एसटीएफ द्वारा एफआइआर दर्ज न करने पर एसआइटी ने हाई कोर्ट को पत्र लिखा था। इस पर हाई कोर्ट ने एसटीएफ से स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी। सूत्रों का दावा है कि बुधवार को एसटीएफ की हाई कोर्ट में पेश स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि उमा भारती और रंजना चौधरी सहित कुछ अन्य मामलों में एफआइआर दर्ज किए जाने लायक सबूत मौजूद नहीं हैं।

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