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औरंगजेब के नाम पर हुई हिंसा के पीछे अकेली वॉट्सऐप डीपी नहीं थी वजह, पढ़ें किन कारणों से सुलगा कोल्हापुर

Aurangzeb Controversy महाराष्ट्र में औरंगजेब को लेकर शुरू हुआ विवाद बढ़ता जा रहा है। अब इस मामले में राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है। यह मामला केवल वॉट्सऐप डीपी को लेकर शुरू नहीं हुआ था बल्कि यह पहले से सुलग रहा था।

By Shalini KumariEdited By: Shalini KumariPublished: Sun, 18 Jun 2023 12:22 PM (IST)Updated: Sun, 18 Jun 2023 12:22 PM (IST)
महाराष्ट्र में नहीं थम रहा औरंगजेब और टीपू सुल्तान को लेकर उठा मुद्दा

नई दिल्ली, शालिनी कुमारी। Maharashtra Aurangzeb Controversy: महाराष्ट्र में मुगल शासक औरंगजेब को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। इसी बीच, महाराष्ट्र के एक व्यक्ति ने अपने वॉट्सऐप डीपी पर औरंगजेब की तस्वीर लगा दी थी, जो उसके लिए बहुत बड़ी मुसीबत बनकर खड़ा हो गया।

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नोटिस देकर अली को छोड़ा

नवी मुम्बई के रहने वाले मोहम्मद अली ने अपने वॉट्सऐप डीपी में औरंगजेब की डीपी लगाई थी, जिसके बाद उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया और उसे हिरासत में ले लिया गया। नवी मुंबई के ही निवासी अमरजीत सुर्वे की शिकायत के बाद पुलिस ने मोहम्मद अली को हिरासत में लिया था। हालांकि, पूछताछ के बाद उसे रिहा कर दिया गया, लेकिन इसके बाद जो विवाद शुरू हुआ है, वह थम ही नहीं रहा।

औरंगजेब की डीपी लगाने पर हिरासत में लिया

पुलिस ने बताया कि उनके पास इस मामले को लेकर शिकायत आई थी कि अली को अपनी डीपी बदलने के लिए कहा गया था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। इसके बाद शिकायतकर्ता ने अली के खिलाफ थाने में केस दर्ज कराया। पुलिस ने अली के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 298 और 153-A के तहत मामला दर्ज किया।

बता दें, धारा 298 धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से शब्दों का उच्चारण से संबंधित होता है। वहीं, 153-A के तहत धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास के आधार पर अनेक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के अपराध में आरोपी के तहत मामला दर्ज किया जाता है।

मामले को लेकर भड़क गई थी हिंसा

इस मामले के बाद से महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव बना हुआ है। महाराष्ट्र के कई इलाकों से पत्थरबाजी, तोड़-फोड़ और आगजनी की खबरें सामने आई हैं। दरअसल, कुछ समय पहले ही महाराष्ट्र के अहमदनगर में औरंगजेब के पोस्टर लहराने को लेकर विवाद हुआ था। महाराष्ट्र के कई शहरों में मुगल बादशाह औरंगजेब और टीपू सुल्तान को लेकर तनाव फैला था।

जून की शुरुआत से ही सुलगा मामला

  • 6 जून, 2023: अहमदनगर के संगमनेर तालुका में औरंगजेब की तारीफ में पोस्टर लगाए जाने के कारण बंद का आह्वान किया गया था। इसके बाद कुछ लोगों ने पथराव भी किया।
  • 7 जून: औरंगजेब और टीपू सुल्तान की तारीफ में दो लोगों ने सोशल-मीडिया पर पोस्ट शेयर किया। जिसके बाद कोल्हापुर में बंद ने हिंसा का रूप ले लिया।
  • 8 जून: सोशल मीडिया पोस्ट शेयर होने के बाद मुस्लिम और हिंदू समूहों द्वारा विरोध शुरू हुआ और उसी दौरान औरंगजेब के पोस्टर कथित तौर पर उन प्रदर्शनों में भी इस्तेमाल किए गए।
  • 9 जून: महाराष्ट्र के बीड के आष्टी शहर में एक 14 साल के लड़के ने सोशल-मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया था। जिसके बाद आष्टी शहर में तनाव फैल गया और कुछ हिंदुत्व संगठनों ने बंद का आह्वान किया।
  • 10 जून: सोशल मीडिया पर एक यूजर ने छत्रपति संभाजीनगर में औरंगजेब के राज्याभिषेक की वर्षगांठ मनाने का आइडिया देते हुए एक पोस्ट शेयर किया था। इसको लेकर यूजर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
  • 11 जून: नवी मुंबई पुलिस ने 29 वर्षीय व्यक्ति पर कथित रूप से औरंगजेब की फोटो अपनी प्रोफाइल फोटो में लगाने के मामले में केस दर्ज किया
  • 12 जून: टीपू सुल्तान पर सोशल मीडिया पोस्ट के विरोध में कोल्हापुर के कागल शहर में बंद का आह्वान किया गया।
  • 12 जून: 22 वर्षीय लड़के के सोशल मीडिया पोस्ट के विरोध में अहमदनगर के पारनेर तालुका के कुछ हिस्से में बंद का आह्वान किया गया।
  • 12 जून: सांगली में एक नाबालिग ने अपने सोशल मीडिया के डीपी में बीजापुर के जनरल अफजल खान की तस्वीर लगाई थी, जिसके बाद उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।

मुद्दे पर शुरू हुई राजनीतिक बयानबाजी

मामला सिर्फ हिंसा और बंद तक सीमित नहीं रहा था। इस मामले को लेकर महाराष्ट्र में राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई। 10 जून को, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस की "औरंगजेब की औलाद" टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताते हुए AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार करते हुए पूछा, "महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे की संतान कौन हैं।"

इस बीच, राकांपा नेताओं ने 11 जून को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया और एक भाजपा नेता द्वारा वरिष्ठ नेता शरद पवार को मुगल शासक का "पुनर्जन्म" कहे जाने के बाद 'जेल भरो' आंदोलन किया। 


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