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इबादत की चीज नहीं है मादरे वतन कोई करता है तो उसकी आस्था: मदनी

मौलाना सय्यद अरशद मदनी ने कहा कि 'मादरे वतन' को अगर कोई इबादत के काबिल मान रहा है तो माने, यह उसकी आस्था है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 01 Apr 2016 01:45 AM (IST)Updated: Fri, 01 Apr 2016 03:31 AM (IST)
इबादत की चीज नहीं है मादरे वतन कोई करता है तो उसकी आस्था: मदनी

वाराणसी। 'भारत माता की जय' बोले जाने के सवाल पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सय्यद अरशद मदनी ने कहा कि 'मादरे वतन' को अगर कोई इबादत के काबिल मान रहा है तो माने, यह उसकी आस्था है, कोई मसला नहीं। लेकिन, मुसलमान सिर्फ अल्लाह यानी एक ईश्र्वर की इबादत करता है। इस्लाम सूरज, चांद, तारे, जमीन, आसमान अथवा किसी दुनियावी वस्तु या मखलूक की इबादत करने की इजाजत नहीं देता।

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मौलाना मदनी गुरुवार की रात बेनियाबाग में आयोजित इस्लाहे मुआशरा कांफ्रेंस का संबोधित करने से पहले मीडिया से मुखातिब थे। कहा कि विद्यार्थी खुले मिजाज के होते हैं, आगे चलकर देश की जिम्मेदारी इन्हें ही उठानी होती है। ऐसे में किसी खास विचार धारा को विश्वविद्यालयों या छात्रों पर थोपना बेहद शर्मनाक है। आज आग उगल रही फिरकापरस्त ताकतों पर लगाम लगाने की जरूरत है।

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शिक्षा के साथ संस्कार भी दें

शिक्षा के साथ ही विद्यार्थियों को संस्कारवान बनाना आज के दौर की सबसे बड़ी जरूरत है। शिक्षकों पर बाज लाजमी हो जाती है कि वे उन्हें कोर्स की किताबें पढ़ाने के साथ संस्कारवान बनाने की भी जिम्मेदारी निभाएं। यह बातें गुरुवार को रेवड़ी तालाब स्थित जामिआ सल्फिया में इजलासे आम को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के अध्यक्ष मस्जिदे हरम (मक्का) के मुफ्ती डॉ.वसीउल्लाह मोहम्मद अब्बासी मदनी ने कही। कहा कि समाज में फैल रही बुराईयों को दूर करने के लिए उलमा को आगे आना होगा, तभी इस प्रकार की बुराईयों पर लगाम लग सकेगी।

फिरकापरस्ती से देश को नुकसान

देश की आजादी के सात दशक बीतने के बाद भी राष्ट्रीय एकता के लिए सम्मेलन करना हमारा दुर्भाग्य है। आज भी देश के कई इलाकों में लोग भुखमरी, अशिक्षा, बेरोजगारी से बुरी तरह जूझ रहे हैं और हमारे राजनेता फिरकापरस्ती में ही उलझे हैं। यह बातें संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भर नाथ मिश्र ने गुरुवार को जमीयत उलमा जिला बनारस की ओर से आयोजित राष्ट्रीय एकता सम्मेलन में कही।

रेवड़ी तालाब स्थित मदनी मंजिल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मौलाना सैयद अशहद रशीदी ने कहा कि सियासत करने वाले सिर्फ नफरत का बीज बोना जानते हैं, उन्हें किसी के दुख-दर्द से कोई मतलब नहीं। फिरकापरस्त चाहे हिंदू हों या मुस्लिम, दोनों ही हालत में उससे देश का ही नुकसान होता है।

काशी सुमेरु पीठ के स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि वैदिक धर्म ने हमेशा विश्र्व शांति का संदेश दिया। समस्त मानव के बीच प्रेम, भाईचारा व विश्र्व समभाव की भावना हो, इसका पैगाम हजारों साल पहले ही दे दिया था। इबादत का तरीका अलग हो सकता है, लेकिन ईश्र्वर तो एक ही है।

सम्मेलन में गुरुद्वारा श्री गुरु तेग बहादुर सिंह नीची बाग गुरुद्वारा के मुख्य ग्रंथी भाई धरमवीर सिंह, मसीही समुदाय के फादर चंद्रकांत व प्रो. अब्दुल्लाह अंसारी ने भी विचार पेश किए। अध्यक्षता जमीयत उलमा जिला बनारस के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल्लाह नासिर कासमी ने व संचालन इशरत उस्मानी ने किया। इस अवसर पर श्री गुरु रविदास जन्म स्थान मंदिर की प्रबंधक समिति के सदस्य समेत सैकड़ों लोग उपस्थित थे।

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