रिनीवेबल ऊर्जा क्षमता जोड़ने में लगाना होगा बहुत ज्यादा जोर, साल 2030 तक पांच लाख मेगावाट का लक्ष्य
इंस्टीट्यूट फॉर इनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (IEEFA) की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2019 में सौर और पवन ऊर्जा क्षेत्र में 40 हजार मेगावाट क्षमता जोड़ने का टेंडर जारी किया गया जो वर्ष 2022 में सिर्फ 28 हजार मेगावाट का रह गया है।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपनी सरकार के समक्ष वर्ष 2030 तक रिनीवेबल ऊर्जा क्षेत्र से देश में पांच लाख मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन पिछले दो वर्षों के दौरान इस क्षेत्र में जो प्रगति हुई है उसे देखते हुए जानकारों का कहना है कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मौजूदा कोशिशों की रफ्तार काफी तेज करनी होगी।
सरकार के आंकड़े ही बताते हैं कि पिछले दो वित्त वर्षों के दौरान समूचे रिनीवेबल सेक्टर (पनबिजली, सौर, पवन, बायोगैस आदि) से सिर्फ 27742 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता जोड़ी जा सकी है। फरवरी, 2023 देश की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 4,12,212 मेगावाट में रिनीवेबल सेक्टर की हिस्सेदारी 1,68,963 मेगावाट है। इस हिसाब से अब हर वर्ष औसतन तकरीबन 47,300 मेगावाट क्षमता इस सेक्टर में जोड़ने होगी।
...तो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बना भारत
मौजूदा आंकड़ों में भारत रिनीवेबल ऊर्जा क्षमता के हिसाब से दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया है, लेकिन निर्धारित लक्ष्य के परिप्रेक्ष्य में ये आंकड़े कुछ कम जान पड़ते हैं। इस सेक्टर में नई उत्पादन क्षमता जोड़ने की चुनौती तब और गहरी लगती है जब हम इस सेक्टर में नई ऊर्जा क्षमता जोड़ने के लिए जारी होने वाले टेंडरों की प्रगति पर नजर डालते हैं।
इंस्टीट्यूट फॉर इनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (IEEFA) की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2019 में सौर और पवन ऊर्जा क्षेत्र में 40 हजार मेगावाट क्षमता जोड़ने का टेंडर जारी किया गया, जो वर्ष 2022 में सिर्फ 28 हजार मेगावाट का रह गया है, जबकि रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट बताती है कि जितने टेंडर जारी किये जा रहे हैं उनमें से एक चौथाई कुछ समय बाद खारिज हो जाते हैं।
पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ने वाले 23 फीसद टेंडर रद्द
हाल ही में क्रिसिल ने बताया है कि सोलर इनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने वर्ष 2018 से वर्ष 2021 के दौरान जितने टेंडर पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ने के लिए जारी किये थे उनमें से 41 फीसद पर ही काम हो पाया है, जबकि 23 फीसद रद्द कर दिये गये। पिछले पांच वर्षों से औसतन 3300 मेगावाट क्षमता के लिए ही टेंडर जारी हो पाये हैं।
31 जनवरी, 2023 के आंकड़ों के हिसाब से भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता अभी 4.11 लाख मेगावाट है जिसमें 51 फीसद क्षमता यानी 2.116 लाख मेगावाट कोयला सेक्टर से, 24.82 हजार मेगावाट गैस से, 6,778 मेगावाट परमाणु ऊर्जा से, पनबिजली से 46.85 हजार मेगावाट और रिनीवेबल सेक्टर से 1.215 लाख मेगावाट (29.53 फीसद) की है, लेकिन अगर कुल बिजली उत्पादन की बात करें तो इसमें 73.42 फीसद कोयला आधारित बिजली संयत्रों की थी।
रिनीवेबल सेक्टर (पवन, सौर, बायोगैस आदि) की हिस्सेदारी सिर्फ 12.56 फीसद थी, जबकि पनबिजली सेक्टर की हिस्सेदारी 10.73 फीसद थी। ये आंकड़े रिनीवेबल सेक्टर में क्षमता जिस तेजी से बढ़ रही है उस तेजी से कुल बिजली उत्पादन में उनकी हिस्सेदारी नहीं बढ़ रही।