मद्रास हाईकोर्ट ने कहा, एलजीबीटी लोगों पर विशेष अवस्था की तरह करें विचार
मद्रास हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से लेस्बियन, गे, बाइसैक्सुअल, ट्रांसजेंडर (एलजीबीटी) लोगों पर विशेष अवस्था की तरह विचार करने को कहा है।
चेन्नई। मद्रास हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से लेस्बियन, गे, बाइसैक्सुअल, ट्रांसजेंडर (एलजीबीटी) लोगों पर विशेष अवस्था की तरह विचार करने को कहा है। हाई कोर्ट ने निजता का अधिकार सहित अधिकारों की रक्षा के लिए इन्हें पृथक समूह के रूप में मान्यता देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट में गे कार्यकर्ताओं की ओर से दायर क्यूरेटिव (अदालती फैसले में संशोधन) याचिका पर 2 फरवरी को खुली अदालत में सुनवाई होगी। इससे पहले हाई कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है।
शीर्ष अदालत ने अपने पूर्व के एक फैसले में अप्राकृतिक यौन संबंध को आपराधिक करार दिया था। उसी फैसले में बदलाव के लिए क्यूरेटिव याचिका दायर की गई थी। एक गे और एक लेस्बियन की शादी के विज्ञापनों को लेकर मतभेद के मामले में हाई कोर्ट के जस्टिस एन किरुबाकरण ने हाल ही में आदेश पारित किया है। अपने आदेश में न्यायाधीश ने कहा है कि एलजीबीटी को वैधानिक संरक्षण नहीं होने से विवाह संस्था पर प्रभाव पड़ना शुरू हो गया है।
न्यायाधीश ने कहा कि कट्टरपंथी देश आयरलैंड सहित 30 से ज्यादा देशों ने जब अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध के दायरे से बाहर निकाल दिया है। जनमत संग्रह के जरिये ये देश गे शादी को कानूनी बना चुके हैं तो भारत इसे अपराध के दायरे से बाहर क्यों नहीं निकाल सकता है?