कोर्ट की कार्यवाही की हो वीडियो रिकार्डिग
न्यायपालिका के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सरकार अदालत की कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिग कराने का दबाव बढ़ा रही है। कानूनी तंत्र में सुधार के तहत लागू की जाने वाली इस व्यवस्था के बारे में विधि मंत्री कपिल सिब्बल का कहना है कि हाल में हुई मंत्रालय की सलाहकार परिषद बैठक में इस बारे में सर्वसम्मति से स
नई दिल्ली। न्यायपालिका के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सरकार अदालत की कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिग कराने का दबाव बढ़ा रही है। कानूनी तंत्र में सुधार के तहत लागू की जाने वाली इस व्यवस्था के बारे में विधि मंत्री कपिल सिब्बल का कहना है कि हाल में हुई मंत्रालय की सलाहकार परिषद बैठक में इस बारे में सर्वसम्मति से संस्तुति की गई है। इसे लागू करने से पहले इस पर उच्चतर न्यायपालिका से विमर्श किया जाएगा।
पढ़ें: राजनीति से दागियों के सफाए को बिल लाएगी सरकार
परिषद एकमत है कि अदालतों की कार्यवाही की अनिवार्य रूप से वीडियोग्राफी की जाए। इसके लिए इस तकनीकी व्यवस्था अविलंब हो। कानून मंत्री सिब्बल का कहना है कि सूचना प्रौद्योगिकी की आधुनिक तकनीक को अदालत की कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिग तक ही नहीं सीमित रखना चाहिए बल्कि इसे जेलों और जांच प्रक्रिया से भी जोड़ना चाहिए।
इस नई पहल की वजह बताते हुए सिब्बल ने कहा कि सरकार के कामकाज की तरह कानूनी प्रक्रियाएं भी हर हाल में पारदर्शी होनी चाहिए। निचली अदालतों की कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिग से इस प्रक्रिया की शुरुआत करने की योजना है। इस मुद्दे पर उच्चतर न्यायपालिका से भी विमर्श किया जाएगा। यह ऐसी चीज नहीं है जिस पर सरकार अकेले निर्णय ले ले।
सिब्बल की अध्यक्षता वाली 'द नेशनल कमेटी फॉर जस्टिस डिलेवरी एंड लीगल रिफॉर्म्स' की सलाहकार परिषद ने इस बारे में उच्चतर न्यायपालिका का विचार जानने का फैसला किया है क्योंकि निचली अदालतें हाई कोर्ट के तहत ही काम करती हैं और वे बगैर उसकी सहमति के इसे लागू नहीं कर सकतीं। परिषद के सदस्यों ने उन देशों के बारे में चर्चा की जहां न्यायाधीश, गवाह और अभियोजक अदालत की कार्यवाही के दौरान क्या कहते हैं, इसकी रिकार्डिग की सुविधा मौजूद है।
विधि मंत्रालय के इस सलाहकार परिषद में योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया, अटार्नी जनरल जीई वाहनवती, नेशनल इनोवेशन परिषद के प्रमुख सैम पित्रोदा और विधि एवं कार्मिक मामलों पर संसदीय कमेटी के अध्यक्ष शांताराम नाईक भी शामिल हैं। इस बैठक के दौरान निचली अदालतों में लंबित मामलों का मुद्दा भी सामने आया और सदस्यों ने लंबित मामलों की साल दर साल बढ़ती संख्या पर चिंता जताई। इसमें यह भी बताया गया कि पिछले दो सालों के दौरान यह रुख बदला है और कुल लंबित मुकदमों की संख्या घटकर 2.68 करोड़ बची हैं।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर