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अखिलेश के लैपटॉप-टैबलेट हुए 'क्रैश'

सुबह का भूला जब दो साल बाद लौटने की सोचे तो उसे क्या कहा जाए? सिर्फ एक लोकसभा चुनाव ने समाजवादी पार्टी के कई चुनावों में आजमाए नुस्खों को एक चोट में ढेर कर दिया। विधान सभा चुनाव के घोषणा पत्र को दर किनार कर सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी की करीब आधा दर्जन लोक लुभावन योजनाओं से इस बजट

By Edited By: Published: Sat, 21 Jun 2014 09:48 AM (IST)Updated: Sat, 21 Jun 2014 09:53 AM (IST)

लखनऊ [दिलीप अवस्थी]। सुबह का भूला जब दो साल बाद लौटने की सोचे तो उसे क्या कहा जाए? सिर्फ एक लोकसभा चुनाव ने समाजवादी पार्टी के कई चुनावों में आजमाए नुस्खों को एक चोट में ढेर कर दिया। विधान सभा चुनाव के घोषणा पत्र को दर किनार कर सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी की करीब आधा दर्जन लोक लुभावन योजनाओं से इस बजट में किनारा कर लिया। पहले तो मुफ्तखोरी का खून चटाओ, फिर जब लत लग जाए तो कहो अब शाकाहारी हो जाओ। दो वर्ष में करीब दस हजार करोड़ रुपए पी जाने वाली योजनाओं ने जब बदले में सिर्फ चार लोकसभा सीटें दीं और वह भी मुलायम परिवार को, तो सबक मिलना ही था।

प्रदेश में लगभग साढ़े 14 लाख लोगों 4,838 करोड़ रुपये के मुफ्त लैपटॉप मिले। 25 लाख लोगों की जेब में लगभग 2,700 करोड़ रुपये बेरोजगारी भत्ते के रूप में पहुंचे। लगभग 1,800 करोड़ रुपये कन्या विद्याधन सोख गया और अल्पसंख्यकों के लिए बनी 'हमारी बेटी, उसका कल' योजना में 350 करोड़ रुपये खर्च हुए। नए बजट ने इन सभी योजनाओं को तिलांजलि दे दी है। साथ ही मुफ्त टैबलेट पीसी वितरण की योजना, मुफ्त कंबल और साड़ियां बांटने की योजनाओं ने न तो सुबह देखी और न अब देखेंगी। अब सवाल यह उठता है कि सरकारी खजाने की इतनी बड़ी रकम का व्यय करना कहां तक उचित है? क्या यह मायावती द्वारा पत्थरों की इमारतें बनवाने जैसा सिद्ध नहीं हुआ? देर आए, दुरुस्त आए।

लोकसभा चुनाव में हुई भारी हार के बाद अखिलेश सरकार को भी शायद सीधा-सपाट सबक मिल गया है कि अब समय बदल रहा है। जनता बेमतलब के झांसों में आने से रही और नरेंद्र मोदी ने यह साबित कर दिखाया है कि जो विकास, प्रगति, बिजली-पानी के एजेंडे पर काम करेगा, जनता उसके पीछे हो लेगी। मोदी-फोबिया साफ तौर पर अखिलेश के बजट भाषण में भी झलक रहा है।

कुछ बानगियां पेश हैं :

1- 'हमारा यह बजट एक साधारण बजट न होकर नई आशा और प्रतिबद्धता का बजट है,

2-'आइए हम सब मिलकर अविलंब, गरीबी, कुपोषण, अशिक्षा, बेरोजगारी जैसे अभिषापों को जड़ से समाप्त करने का संकल्प लें,

3-'विकास की इस दौड़ में आने वाली तमाम बाधाओं और रुकावटों को दूर करने में हम जनता के सहयोग की भी अपेक्षा करते हैं,

4- 'हम इस सपने को साथ मिलकर पूरा करेंगे, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है,

5- 'इस बजट के माध्यम से हमारा प्रयास है कि प्रदेश के किसान, युवा वर्ग, बेरोजगार, बालिकाएं एवं महिलाएं, अल्पसंख्यक, विपन्न, असहाय, कमजोर और पिछड़े वगरें के लोग भी जीवन और भविष्य के प्रति आशान्वित हो सकें' कुछ बचा? बहरहाल लगता है कि भूला अब भटक-भटका कर घर का रास्ता खोज रहा है।

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