नदियों की सफाई में आड़े आ रही धन की कमी
देश में नदियों की सफाई का काम धन के आभाव के चलते नहीं हो पा रही है। संसदीय समिति ने इस पर नाराजगी जाहिर की है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। धन की कमी के कारण देश में नदियों की सफाई का काम ठीक तरीके से नहीं हो पा रहा है। इसको लेकर एक संसदीय समिति ने सरकार के रवैए पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है। उसने नदियों और अन्य जल स्रोतों की सफाई के लिए पर्याप्त फंड आवंटित नहीं करने पर सरकार की खिंचाई की है। खास तौर से पर्यावरण मंत्रालय पर निशाना साधते हुए समिति का कहना है कि मंत्रालय के पास जो संसाधन मौजूद है, वह उनका भी उपयोग ठीक तरीके से नहीं कर पा रहा है। नदियों की सफाई पर उसका रुख बेहद निराशाजनक है।
यह भी पढ़ें - 52 नदियों की सफाई का अभियान : उमा भारती
पर्यावरण मंत्रालय से संबद्ध विज्ञान, तकनीक, पर्यावरण और वन मामलों की संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में उपरोक्त बातें कही है। उसने राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (एनआरसीपी) के लिए पर्याप्त बजट आवंटित करने की सिफारिश की है। अश्वनी कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा है, 'नदियां और अन्य जल स्रोत तेजी से प्रदूषित हो रहे हैं। उनमें प्रदूषण जानलेवा स्तर पर पहुंच गया है।
यह भी पढ़ें - नदियों के पुर्नजीवन को अब होगी जल भागवत
ऐसी स्थिति में इनकी सफाई के लिए जारी परियोजनाओं के वास्ते पर्याप्त बजट आवंटित नहीं करना खुद हार मानने जैसा रवैया है।' उसने इस बात पर नाराजगी जताई है कि नदियों की सफाई के लिए आवंटित 66.73 करोड़ रुपये के बजट में से पर्यावरण मंत्रालय दिसंबर, 2015 तक केवल 37.35 करोड़ ही खर्च कर पाया है।
समिति ने कहा है, 'एक तरफ तो मंत्रालय धन की कमी का रोना रोता रहता है, लेकिन यह दुखद है कि वह आवंटित बजट का मात्र 56 फीसद ही खर्च कर पाया है।' उसने चालू वित्त वर्ष में एनआरसीपी के लिए पर्याप्त बजट आवंटित करने की सिफारिश की है। इस योजना के तहत नदियों में कचरे को गिरने से रोकना, उनका शोधन करना, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करना, नदियों के किनारे खुले में शौच रोकने के लिए कदम उठाना और विद्युत शवदाह गृह स्थापित करना शामिल है।