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नदियों के पुर्नजीवन को अब होगी जल भागवत

चित्रकूट, जागरण संवाददाता : जैसी चिंता पानी को लेकर अब लोग करने लगे हैं यदि वैसी पहले की होती तो शाय

By Edited By: Published: Mon, 02 May 2016 01:00 AM (IST)Updated: Mon, 02 May 2016 01:00 AM (IST)
नदियों के पुर्नजीवन को 
अब होगी जल भागवत

चित्रकूट, जागरण संवाददाता : जैसी चिंता पानी को लेकर अब लोग करने लगे हैं यदि वैसी पहले की होती तो शायद ऐसे हालात न होते लेकिन फिर भी अभी भी तमाम लोग सोए हैं। ऐसे लोगों को जगाने के लिए अब एमएसडब्लू के विद्यार्थी गांव-गांव जल भागवत करेंगे। जिसका आयोजन सर्वोदय सेवा आश्रम के सहयोग से किया जाएगा।

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सूखे की विभीषिका से वैसे तो समूचा देश जूझ रहा है लेकिन बुंदेलखंड में तो अकाल जैसी स्थिति है। लोग बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष करते देखे जा सकते हैं। शहरी क्षेत्र में तो हालत अभी सामान्य है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में स्थिति अभी से इतनी भयावह है कि गर्मी के अगले दो माह कैसे बीतेंगे यह कल्पना कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। जिस गति से भूगर्भ पाताल में भाग रहा है आने वाले समय में जो थोड़ा बहुत पानी हैंडपंप और कुंओं में बचा है वह भी खत्म हो जाएगा। ऐसी स्थिति से लोगों को अगाह करने के लिए सर्वोदय सेवा आश्रम के सहयोग से ग्रामोदय विश्वविद्यालय के विद्यार्थी जल बचाओ की मुहिम में निकलेंगे। आश्रम के सचिव अभिमन्यु सिंह कहते हैं कि जल भागवत का आयोजन जिले की करीब एक दर्जन ग्राम पंचायतों में किया जाएगा जो विभिन्न नदी के किनारे बसे हैं। इन गांवों में नदी पूरी तरह सूखी हैं लोग पानी संकट से जूझ रहे हैं उनको पानी के साथ अच्छे व्यवहार को प्रेरित किया जाएगा। ताकि जल स्त्रोतों के पास जल सत्याग्रह करें। सरकार व प्रशासन के मत्थे नहीं रहें। तभी नदी आदि को जीवित किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि ग्रामोदय विवि के पांच विद्यार्थी चाइल्ड लाइन कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर जल भागवत का शुभारंभ पयश्वनी नदी किनारे बसे मकरी गांव से करेंगे। यहां से शुरु हुआ जल भागवत का सोपान अर्की तक चलेगा। दूसरे चरण में यही काम बरगढ़ के मोहना (माद) और सिंघास्त्रोत नदी किनारे बसे गांवों में होगा। अभिमन्यु सिंह कहते हैं कि सिंघास्त्रोत नदी को ग्रामीणों ने वर्ष 2011 में जिंदा कर लिया था लेकिन प्रशासन ने उसे फिर मार डाला। लोगों को श्रमदान करने से मना कर दिया था। कहा था कि अब काम मनरेगा से कराया जाएगा लेकिन जो भी प्लान बनाए गए उस पर आज तक अमल नहीं हुआ। आज भी नदी सूखी पड़ी है। अब इन नदियों को जीवित करने के लिए जल भागवत होगी। इसके पहले विद्यार्थी एक नुक्कड नाटक के माध्यम से लोगों को पानी की महत्ता व किए गए दूरूपयोग से परिचय कराएंगे।


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