जानिए देश के 10 सबसे प्रदूषित इलाकों में यूपी और हरियाणा के कौन-कौन से शहर हैं शामिल
अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से ही दिल्ली-एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स में बदलाव शुरू हो गया था। आज इसके हालात और भी खराब हो गए हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। दीवाली के बाद से देश के तमाम हिस्सों में पलूशन का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। किसी शहर में फैक्ट्रियों की वजह से पलूशन का स्तर बढ़ा हुआ है तो किसी शहर में निर्माण के कामों की वजह से। पलूशन पर रोक लगाने के लिए सरकार की ओर से जागरूकता फैलाई गई मगर वो नाकाफी साबित हुई। आज के समय में दिल्ली-एनसीआर के इलाके में पलूशन का लेवल टॉप पर है। पंजाब में जलाई जा रही पराली खराब हुई हवा को और खराब करने में आग में घी डालने का काम कर रही है। इन दिनों देश के कई इलाकों की हवा में पलूशन का स्तर अपने चरम पर है। एयर क्वालिटी इंडेक्स का मानक 500 निर्धारित है तो कई शहर में ये इंडेक्स 400 से ऊपर पहुंच चुका है।
आलम ये है कि ऐसे इलाकों में धुंध की एक अलग सी चादर छाई हुई है। सीपीसीबी की ओर से शहरों के एयर क्वालिटी इंडेक्स जारी किए गए हैं, इसके हिसाब से देश के 10 सबसे अधिक प्रदूषित इलाकों में 7 अकेले उत्तर प्रदेश के हैं। ये सभी शहर दिल्ली से सटे हुए या फिर चंद किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। हरियाणा के भी कुछ शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब है।
1- गाजियाबाद
राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद शहर की स्थिति सबसे अधिक खराब है। सीपीसीबी की ओर से जारी आंकड़ों के हिसाब से बुधवार (30 अक्टूबर) को यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स 478 था। यह देश में सबसे अधिक दर्ज किया गया था। इस वजह से इन दिनों यहां आसमान में धुंध ही धुंध दिखाई दे रही है।
2- पानीपत
ये हरियाणा का शहर है। इस इलाके में काफी फैक्ट्रियां है। यहां का एक्यूआई 475 मापा गया है, इस वजह से पानीपत शहर को प्रदूषण के मामले में दूसरे स्थान पर रखा गया। अब सीपीसीबी के निर्देश के बाद यहां पर फैक्ट्रियों को बंद करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
3- बल्लभगढ़
ये शहर भी हरियाणा का है। दिल्ली से इसकी दूरी मात्र 57 किलोमीटर है। इस शहर का एक्यूआई 467 रिकार्ड किया गया, इस वजह से इसे प्रदूषण के मामले में पूरे देश में तीसरे स्थान पर रखा गया।
4- बागपत
अब बात यूपी के शहरों की करते हैं। यूपी के बागपत शहर को प्रदूषण के मामले में चौथे स्थान पर रखा गया। यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स 461 मापा गया था। यहां पर प्रदूषण के कई कारण हैं।
5- नोएडा
इस शहर में प्रदूषण की कई वजहें हैं। यहां निर्माण भी चल रहा है, फैक्ट्रियां भी चल रही हैं और वाहनों की संख्या तो बढ़ ही रही है। आबादी के बीच कई इलाके आज भी खुले पड़े हैं जहां से धूल उड़ती रहती है। जरा सी तेज हवा चलने पर यहां पर चारों ओर धूल का गुबार दिखाई देता हैं। यहां का एक्यूआई 450 मापा गया था, इस वजह से इसे प्रदूषण के मामले में 5 वें स्थान पर रखा गया।
6- ग्रेटर नोएडा
यूपी का यह शहर भी काफी तेजी से तरक्की कर रहा है। यहां भी तमाम तरह की चीजें प्रदूषण बढ़ाने के प्रमुख कारण है। वैसे आमतौर पर यहां निर्माण के काम को ही प्रदूषण फैलाने वाला माना जा रहा है। इसके अलावा यहां भी वाहनों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इस शहर का इंडेक्स 438 मापा गया था, इस वजह से इसको 6 वें स्थान पर रखा गया।
7- हापुड़
दिल्ली से मात्र 40 किलोमीटर की दूरी पर बसे इस शहर में आबादी का घनत्व तेजी से बढ़ रहा है। इसके अलावा यहां भी वाहनों की संख्या में इजाफा हो रहा है। हापुड़ में भी कई बड़ी फैक्ट्रियां चल रही हैं। जब दिल्ली में फैक्ट्रियों को बंद किया जाने लगा तो इनके मालिकों ने कुछ किलोमीटर की दूरी पर इसी शहर में वो यूनिटें लगा ली। यहां का इंडेक्स 435 मापा गया, इस वजह से इसे 7 वां सबसे प्रदूषित शहर कहा जा रहा है।
8- मेरठ और बुलंदशहर दोनों में बराबर प्रदूषण
दिल्ली से जिन शहरों की जितनी अधिक दूरी है वहां पर प्रदूषण का लेवल में उतनी ही कमी है। दिल्ली से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मेरठ और बुलंदशहर में क्वालिटी इंडेक्स 430 मापा गया। इन दोनों शहरों में प्रदूषण का लेवल एक जैसा ही रिकार्ड किया गया।
9- मुजफ्फरनगर
इसे देश का 9 वां सबसे अधिक प्रदूषित शहर बताया गया। इस शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 428 रिकार्ड किया गया। ये भी यूपी का एक शहर है और दिल्ली से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
10- दिल्ली
अब प्रदूषण के मामले में 10 वें शहर की बात करें तो इसमें राजधानी दिल्ली का नाम आता है। यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स 419 मापा गया। दिल्ली का ये हाल तब है जहां पर पहले से ही दीवाली के दिन पटाखा न जलाने और प्रदूषण को बढ़ने से रोकने में सहयोग देने की अपील की गई। सरकार की इस अपील का कुछ हद तक असर भी दिखा बीते साल के मुकाबले पटाखे कम जले तो प्रदूषण के लेवल में कमी रही वरना यहां के हालात और भी बुरे होते। अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से हवा की गुणवत्ता खराब होनी शुरू हुई है जो अभी तक सुधर नहीं सकी है। वैज्ञानिक इसके कुछ दिन तक ऐसे ही बने रहने की बात कह रहे हैं।
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