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    जानिए एंटीसबमरीन कवारत्ती की क्या-क्या हैं खूबियां, निर्माण में कितनी आई लागत

    By Vinay TiwariEdited By:
    Updated: Wed, 19 Feb 2020 04:46 PM (IST)

    एंटीसबमरीन कवारत्ती पहला ऐसा सबमरीन है जो पूरी तरह से स्वदेशी सामग्री से बनाया गया है। इसके निर्माण पर 1700 करोड़ रूपये की लागत आई है। ...और पढ़ें

    जानिए एंटीसबमरीन कवारत्ती की क्या-क्या हैं खूबियां, निर्माण में कितनी आई लागत

    नई दिल्ली। भारत हर क्षेत्र में अपनी सैन्य क्षमता में इजाफा करने में लगा हुआ है। इसी कड़ी में मंगलवार को भारतीय नौसेना को एक और शक्ति हासिल हो गई। इसका नाम युद्धपोत आईएनएस कवारत्ती (INS Kavaratti)है। रक्षा मंत्रालय के शिपयार्ड गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (Garden Reach

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    Shipbuilders and Engineers) ने मंगलवार को इसे भारतीय नौसेना (Indian Navy) को पनडुब्बी रोधी टोही युद्धपोत (Anti-Submarine Corvette) सौंप दिया है। युद्धपोत आईएनएस कवारत्ती (INS Kavaratti) को जीआरएसई के अध्यक्ष रियर एडमिरल वीके सक्सेना ने नौसेना के कमांडर संदीप सिंह को सौंपा गया। जानते हैं इस युद्धपोत की खूबियां। इसके शामिल होने से हिंद महासागर में भारत की समुद्री ताकत को बढ़ावा मिलेगा।

    2017 में हुआ था कमीशन 

    2017 में तत्कालीन केंद्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्ड में भारतीय नौसेना में प्रोजेक्ट 28 के तहत चार स्वदेशी निर्मित एंटी-सबमरीन वारफेयर (ASW) में से तीसरे आईएनएस किल्तान को कमीशन किया था। कोलकाता स्थित जीआरएसई ने प्रोजेक्ट 28 के तहत चार पनडुब्बी रोधी टोही युद्धपोत (एएसडब्ल्यूसी) की श्रृंखला में अंतिम युद्धपोत कवरत्ती का निर्माण किया है। इससे पहले श्रृंखला के तीन युद्धपोतों की आपूर्ति की जा चुकी है जो भारतीय नौसेना के ईस्टर्न फ्लीट का हिस्सा हैं। 

    कब मिली थी मंजूरी 

    प्रोजेक्ट 28 को 2003 में मंजूरी दी गयी थी। इसके तहत निर्मित टोही युद्धपोतों का नाम लक्षद्वीप द्वीप समूह के टापुओं के नाम पर रखा गया है। आईएनएस किल्तान ने हाल ही में प्रतिष्ठित मालाबार 2019 युद्धाभ्यास में भाग लिया था जिसमें भारत-जापान-अमेरिका की नौसेनाओं ने सहयोग बढ़ाने के लिए अभ्यास किया था। अकेले दिसंबर 2019 में, चीन तीन पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW)-प्रकार प्रकार 056A (जियांग्डाओ) -क्लास कोरवेटेस को जोड़ा गया। राज्य के स्वामित्व वाली शिपबिल्डर गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) ने दी है। इसका निर्माण वारफेयर कोरवेटेस (ASWC) कोलकाता स्थित शिपबिल्डर द्वारा किया गया है। यह सबमरीन परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध की स्थितियों में लड़ने के लिए और सुविधाओं से लैस है।

    चीन को पीछे छोड़ने के लिए भारत कर रहा काम 

    भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा था कि चीनी नौसेना के पास मौजूद हथियारों से आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है। भारत हर दिशा में उसी हिसाब से काम कर रहा है। महासागरों की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए सबमरीनों की भी संख्या को बढ़ाया जा रहा है। INS Kavaratti (P31) प्रोजेक्ट 28 के तहत निर्मित भारतीय नौसेना का एक पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान है। यह भारतीय नौसेना के साथ विभिन्न चरणों में चार

    कामोर्ता-श्रेणी के शिपों में से अंतिम है। इसकी एक बड़ी खासियत ये भी है कि इसको बनाने में 90 फीसदी से अधिक सामग्रियां भारत की ही इस्तेमाल की गई है। इससे स्वदेशीकरण को भी बढ़ावा मिला है। इस सबमरीन को बनाने की नींव 20 जनवरी 2012 को रखी गई थी और इसे 19 मई 2015 को कोलकाता में लॉन्च किया गया था। जहाज की अनुमानित लागत (estimated Cost- 1,700 crore) 1700 करोड़ थी।

    क्यों रखा गया कवारत्ती नाम 

    कई लोगों के मन में ये सवाल भी उठ रहा होगा कि आखिर इस सबमरीन का नाम कवारत्ती क्यों रखा गया? तो हम आपको बता दें कि इसका नाम देश के केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप की राजधानी कवारत्ती के नाम पर रखा गया है। इसके INS कवारत्ती का उत्तराधिकारी कहा जा रहा है। INS कवारत्ती ने ऑपरेशन ट्राइडेंट में भी हिस्सा लिया था। इसको 1986 में डिकमीशन कर दिया गया था।

    कवारत्ती को भारतीय नौसेना के निदेशालय ने प्रोजेक्ट 28 के भाग के रूप में डिजाइन किया है। यह परमाणु, जैविक और रासायनिक वातावरण में लड़ने में सक्षम है। यह भारतीय नौसेना का अग्रिम युद्धपोत होगा जिसमें उन्नत स्टील्थ फीचर्स और कम रडार हस्ताक्षर होंगे जो इसकी पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता को बढ़ाता है। जहाज में 17 अधिकारी और 106 नाविक एक साथ इसमें रह सकते हैं।

    कवारत्ती भारत का पहला ऐसा जहाज है जिसको कार्बन फाइबर कंपोजिट सामग्री का इस्तेमाल करके बनाया गया है। इसके मुख्य पतवार के साथ एकीकृत किया गया है जिसके परिणामस्वरूप कम वजन और रखरखाव की लागत और बेहतर स्टील्थ फीचर्स में सुधार हुआ है। जहाज 109 मीटर लंबा और 12.8 मीटर चौड़ा है और 25 समुद्री मील की शीर्ष गति के साथ चल सकता है। इसमें 3300 टन की सामग्री रखकर उसे ले जाया जा सकता है। यह 4 डीजल इंजनों द्वारा संचालित होता है जो 3000 kW की संयुक्त शक्ति उत्पन्न करता है और 1,050 rpm पर चार 3,888 kW डीजल इंजनों की एक मुख्य इकाई द्वारा संचालित होता है।

    अन्य खूबियां 

    कवारत्ती को स्वदेशी रूप से विकसित अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस किया गया है जिसमें "एक मध्यम श्रेणी की बंदूक, टारपीडो ट्यूब लांचर, रॉकेट लांचर और एक करीबी हथियार प्रणाली" शामिल है। जहाज में एक एकीकृत संचार प्रणाली और एक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली भी होगी। 

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