दिल्ली से देश की लड़ाई में जुटे केजरीवाल
देश की सियासत की दो चर्चित हस्तियों नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल की आमने-सामने की पहली भिड़ंत बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में हुई थी। दूसरी बार सत्ता की नगरी दिल्ली के चुनाव में केजरी प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता से टकराते नजर आए और अब वह दिल्ली सरकार के अधिकारों
नई दिल्ली, [अजय पांडेय]। देश की सियासत की दो चर्चित हस्तियों नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल की आमने-सामने की पहली भिड़ंत बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में हुई थी। दूसरी बार सत्ता की नगरी दिल्ली के चुनाव में केजरी प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता से टकराते नजर आए और अब वह दिल्ली सरकार के अधिकारों की लड़ाई के माध्यम से राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में मोदी से मुकाबला करते दिखने की कोशिश में हैं।
केजरीवाल को काशी में मोदी के हाथों करारी हार मिली, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्होंने ऐतिहासिक जीत हासिल की। अब दिल्ली सरकार के अधिकारों के बहाने वह इस लड़ाई को पूरे देश के स्तर पर लडऩे की तैयारी में है। महत्वपूर्ण बात यह है कि कश्मीर से लेकर बंगाल और बिहार तक से केजरीवाल के पक्ष में आवाज बुलंद की जा रही है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक ने केजरीवाल हक में बयान जारी किए हैं।
सूबे के मुख्यमंत्री ने दिल्ली विधानसभा में बुधवार को जिस तल्ख अंदाज में केंद्र को घेरने की कोशिश की उससे साफ लगा कि वह आमने-सामने की भिड़ंत को बिल्कुल तैयार हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का नाम भले नहीं लिया लेकिन पीएमओ को कठघरे में खड़ा करने में वे नहीं चूके। अब वे गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखने जा रहे हैं। उनका आरोप है कि जहां पर भाजपा की सरकारें नहीं हैं, वहां केंद्र की हुकूमत तानाशाही चलाना चाहती है।
सियासी पंडितों का आकलन यह है कि असल में केजरीवाल भाजपा व कांग्रेस से इतर दलों को गोलबंद करने की कवायद में जुटे हुए हैं और जिस प्रकार कई राज्यों के मुख्यमंत्री उनके पक्ष में खड़े हो रहे हैं, उससे यह संकेत भी मिल रहे हैं कि अपने प्रयास में आम आदमी पार्टी संयोजक को कुछ हद तक सफलता भी मिलती दिख रही है। आम आदमी पार्टी यह ऐलान कर चुकी है कि वह पूरे देश के स्तर पर अपना विस्तार करेगी। इसमें कोई दो राय नहीं कि आम आदमी पार्टी (आप) की ताकत और पहचान केजरीवाल से है।
पटरी पर लौटी सरकार
दिल्ली सरकार में वरिष्ठ अधिकारियों के तबादले और तैनाती को लेकर गत एक पखवाड़े से चल रही सियासी लड़ाई काफी हद तक थम गई है। बुधवार को विधानसभा के आपात सत्र में केंद्र की अधिसूचना को खारिज करने संबंधी प्रस्ताव के बाद दिल्ली सरकार ने सामान्य माहौल में कामकाज शुरू कर दिया है। दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र के जून के पहले सप्ताह में शुरू होने के आसार हैं। इस लिहाज से आम लोगों की सरकार से जो अपेक्षाएं हैं उन्हें कैसे पूरा किया जाए, सरकार इस मोर्चे पर काम करना चाहती है। सरकार ने अधिकारियों को जिम्मेदारी के साथ बजट को अंतिम रूप देने के दिए निर्देश दिए हैं। इस बार सरकार बजट दिल्ली वालों से रायशुमारी के आधार पर बना रही है।