न्यायपालिका का सिस्टम से खिलवाड़ ठीक नहीं: काटजू
लखनऊ। प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष एवं सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंडेय काटजू फिर बेबाक टिप्पणी को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने मौजूदा न्यायिक प्रक्रिया को ही नसीहत दे डाली। बुलंदशहर के खुर्जा में एक व्याख्यामाला में मार्कंडेय काटजू ने साफगोई से कहा कि न्यायपालिका का संसदीय कार्यप्रणाली में हद से अधिक अति
लखनऊ। प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष एवं सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंडेय काटजू फिर बेबाक टिप्पणी को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने मौजूदा न्यायिक प्रक्रिया को ही नसीहत दे डाली। बुलंदशहर के खुर्जा में एक व्याख्यामाला में मार्कंडेय काटजू ने साफगोई से कहा कि न्यायपालिका का संसदीय कार्यप्रणाली में हद से अधिक अतिक्रमण स्वस्थ्य व्यवस्था तंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है। अगर यह सिलसिला नहीं रुका तो देश के व्यवस्था तंत्र को चला पाना आसान नहीं होगा।
काटजू ने ज्यूडिशियल एक्टिविज्म विषय पर कहा कि स्वस्थ्य राष्ट्र के लिए ज्यूडिशियल एक्टिविज्म बेहद आवश्यक है, लेकिन इसका हद पार करना देश के तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है। वर्तमान में देश में ऐसा ही हो रहा है। विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका कार्यक्षेत्र को लांघकर अतिक्त्रमण कर रहे हैं। यह सिस्टम के साथ खिलवाड़ है। यह अतिक्रमण कहां तक उचित है, इस पर रिसर्च होना चाहिए। उन्होंने न्यायपालिका को साफ कहा कि अगर यह अतिक्रमण नहीं रुका तो हालात अच्छे नहीं होंगे।
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दुश्वारियों को देखने के बाद दें सुझाव :-
अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति काटजू ने कहा एक सीमा के अंदर दखल सिस्टम के लिए लाभदायक है। आवश्यक नहीं कि जज हर मुद्दे पर ठीक ही हों। इसके लिए उन्होंने न्यायपालिका के सुझाए गए नदियों को जोड़कर एक करने के सुझाव का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि जज ने नदियों को जोडने के लिए सरकारों को निर्देशित कर दिया गया, लेकिन इस सुझाव पर अमल कर पाना बेहद कठिन है। इसलिए न्यायपालिका को सुझावों को अमलीजामा पहनाने में आने वाली दुश्वारियों को देखते हुए सुझाव देना चाहिए।
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तेजपाल प्रकरण पर चुप रहे :-
अमूमन प्रेस से जुड़े हर मुद्दे पर बेबाकी से बोलने वाले काटजू तेजपाल के मुद्दे पर कुछ नहीं बोले। पत्रकारों ने उनसे इस मुद्दे पर अब तक कोई टिप्पणी न करने का कारण पूछा तो उन्होंने बोलने से साफ इंकार कर दिया। महज इतना कहा कि मामला राजनीतिक है, इसलिए नो कमेंट।
के रहमान ने किया समर्थन :-
व्याख्यानमाला में केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री के रहमान ने भी मार्कंडेय काटजू के अतिक्रमण रोकने के सुझाव का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि स्वस्थ्य राष्ट्र के निर्माण में ये अतिक्रमण घातक सिद्ध हो सकता है। कार्यपालिका, विधायिका तथा न्यायपालिका तीनों को अपने दायरे में रहना चाहिए।
क्या ज्ै च्यूडिशियल एक्टिज्विच्म :-ज्
च्यूडिशियल एक्जि्विच्म से आशय न्यायपालिका के अन्य तंत्रों के कार्यक्षेत्र में दखल से है। इसके तहत न्यायपालिका संसदीय कार्यप्रणाली को समय-समय पर बेहतर कार्य करने का सुझाव देती है।
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