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जज विवाद: 'चाय के प्याले में उठा तूफान चाय की चुस्कियों में सिमट गया'

अटार्नी जनरल ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट की कड़वाहट चाय की चुस्कियों में धुल गई।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Mon, 15 Jan 2018 08:06 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jan 2018 07:10 AM (IST)
जज विवाद: 'चाय के प्याले में उठा तूफान चाय की चुस्कियों में सिमट गया'
जज विवाद: 'चाय के प्याले में उठा तूफान चाय की चुस्कियों में सिमट गया'

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तीन दिन पहले सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों की ओर से मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ मीडिया में दिए गए सार्वजनिक बयान के बाद उठे तूफान को शांत करने के लिए औपचारिक रूप से कोई कदम तो नहीं उठा है। लेकिन माना जा सकता है कि पर्दे के पीछे इसे साधने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। सभी जजों के एक साथ बैठकर सुबह की चाय पीने का निहितार्थ यही निकाला जा रहा है।

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खासतौर से तब जबकि चाय से दूर रहने वाले नाराज जस्टिस जे. चेलमेश्वर भी चाय पीने पहुंचे हों। अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी यह कहकर संकेत दे दिया कि - 'चाय के प्याले में उठा तूफान चाय की चुस्कियों में सिमट गया।' पर देर रात तक किसी भी जज की ओर से ऐसा कोई स्पष्ट बयान या संकेत नहीं दिया गया।

जस्टिस रंजन गोगोई ऐसे किया जस्टिस चेलमेश्वर का स्वागत

माना जा रहा था कि सोमवार को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा सभी जजों की बैठक बुलाएंगे। ऐसा तो नहीं हुआ लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एसेम्बली हाल में सुबह सवा दस बजे सभी जज चाय की टेबल पर मिले। यहां तक कि सामान्य तौर पर सुबह साथी न्यायाधीशों के साथ चाय पर शामिल न होने वाले दूसरे नंबर के वरिष्ठतम जज जे. चेलमेश्वर भी आज चाय में आए। जब वह हाल में घुस रहे थे कि तभी जस्टिस रंजन गोगोई आ गए और उन्होंने जस्टिस चेलमेश्वर को साथ लेते हुए कहा - 'आओ ब्रदर'।

शांत नजर आए न्यायाधीशों के चेहरे

मालूम हो कि जस्टिस चेलमेश्वर के घर प्रेस कान्फ्रेंस करने वाले चार जजों में जस्टिस गोगोई भी शामिल थे। अंदर सिर्फ न्यायाधीश थे वहां कोई दूसरा स्टाफ आदि नहीं था। पहली बार सभी जज आमने सामने हुए और आखें मिलीं। बंद दरवाजों में कितने गिले शिकवे हुए और मिटे यह तो नहीं कहा जा सकता है लेकिन उल्लेखनीय है कि चाय पर यह अनौपचारिक बैठक सामान्य दिनों के मुकाबले दस मिनट ज्यादा चली और इसीलिए सारी अदालतें 10.30 के बजाए 10.40 पर बैठीं। लेकिन अनौपचारिक तौर पर हुई आपसी मीटिंग के बाद माहौल का तनाव खत्म होता नजर आया क्योंकि सभी अदालतों में सामान्य दिनों की तरह काम काज हुआ और न्यायाधीशों के चेहरे शांत नजर आ रहे थे।

सामान्य तौर पर चली कार्रवाई

माहौल का तनाव खत्म होने की झलक सुबह सबसे पहले तब दिखी जब मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की पीठ के समक्ष वकील आरपी लूथरा ने मेंशनिंग में शुक्रवार की जजों की प्रेस कान्फ्रेंस की चर्चा करते हुए कहा कि इनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने लूथरा की दलीलों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वे शांत रहे। मालूम हो कि आरपी लूथरा वही वकील हैं जिनकी एमओपी मुद्दे पर दाखिल याचिका का जिक्र प्रेस कान्फ्रेंस करने वाले चार न्यायाधीशों की मुख्य न्यायाधीश को लिखी चिट्ठी में था। मेंशनिंग के बाद केस सूची के मुताबिक कोर्ट की तय कार्यवाही चलती रही। जस्टिस चेलमेश्वर, सहित अन्य न्यायाधीशों ने भी सामान्यतौर पर अपना कामकाज किया और मुकदमें सुने।

बार काउंसिल प्रतिनिधि मंडल ने की थी सुप्रीम कोर्ट के 15 न्यायाधीशों से मुलाकात 

बार काउंसिल अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में सात सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने रविवार को मौजूदा विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के 15 न्यायाधीशों से मुलाकात की थी। जिसमें प्रेस कान्फ्रेंस करने वाले तीन न्यायाधीश भी शामिल थे। जस्टिस गोगोई से मुलाकात नहीं हुई क्योंकि वे शहर में नहीं थे। मनन मिश्र ने सोमवार को बताया कि मुलाकात में जजों ने कहा था कि मामला सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि विवाद सुलझ गया है। राजनैतिक दल इस विवाद का राजनैतिक लाभ उठाना चाहते थे लेकिन जजों को धन्यवाद, उन्होंने उनकी कोशिशों को नाकामयाब कर दिया। मिश्रा ने कहा कि उनका मकसद सिर्फ इतना है कि कोर्ट सुचारु रुप से काम करे।

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