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सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुआ कामकाज, प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर जजों ने खड़ा किया था विवाद

न्‍यायपालिका के इतिहास में पहली बार सार्वजनिक तौर पर मीडिया के सामने आकर चार जजों ने विवाद खड़ा कर दिया था।

By Pratibha KumariEdited By: Published: Mon, 15 Jan 2018 11:18 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jan 2018 11:51 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुआ कामकाज, प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर जजों ने खड़ा किया था विवाद
सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुआ कामकाज, प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर जजों ने खड़ा किया था विवाद

नई दिल्‍ली, जेएनएन। जजों की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस को लेकर हुए विवाद के बाद आज फिर से सुप्रीम कोर्ट में सामान्‍य कामकाज शुरू हो गया। मुख्य न्यायाधीश और प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करने वाले चारों जजों ने आम दिनों की तरह केस सुनने शुरू कर दिए। न्‍यायपालिका के इतिहास में पहली बार सार्वजनिक तौर पर मीडिया के सामने आकर जजों ने विवाद खड़ा कर दिया था। उन्‍होंने सीधे ताैर पर न्‍याय प्रणाली पर सवाल उठाए, जिसके बाद काफी हंगामा मचा।

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जजों के खिलाफ कार्रवाई की हुई मांग

सोमवार को वकील आरपी लूथरा ने कोर्ट में जजों की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस का मामला उठाया। उन्‍होंने मुख्‍य न्‍यायधीश से जजों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। हालांकि मुख्‍य न्‍यायधीश ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वह चुप रहे। आरपी लूथरा वही वकील हैं, जिनकी एमओपी का मुद्दा उठाने वाली याचिका का प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करने वाले जजों की मुख्‍य न्‍यायधीश को लिखी चिट्ठी मे जिक्र किया गया है।

जस्टिस चेलमेश्वर के घर आयोजित हुई थी पीसी

बीते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चार जज जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस मदन लोकुर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रंजन गोगोई ने मीडिया से बात कर सुप्रीम कोर्ट प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए। जस्‍टिस चेलमेश्‍वर के घर प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की गयी। उन्‍होंने कहा, ‘प्रेस कांफ्रेंस को बुलाने का निर्णय हमें मजबूरी में लेना पड़ा है।‘ उन्‍होंने आगे कहा, ‘देश का लोकतंत्र खतरे में है। सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक से काम नहीं कर रहा है। चीफ जस्‍टिस पर अब देश को फैसला करना होगा।‘



वहीं मीडिया से बात करते हुए नंबर दो के जज माने जाने वाले जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा, 'करीब दो महीने पहले हम चारों जजों ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखा और उनसे मुलाकात की। हमने उनसे बताया कि जो कुछ भी हो रहा है, वह सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक से नहीं चल रहा है।'

किसी ने किया समर्थन तो किसी ने की आलोचना

जजों के इस तरह मीडिया के सामने आने पर काफी हंगामा मचा। कइयों ने इनका समर्थन किया तो कइयों ने इस कदम के लिए उनकी आलोचना भी की। वरिष्‍ठ वकील उज्‍जवल निकम ने इस पूरे घटनाक्रम पर निराशा जतायी। उन्‍होंने कहा, 'आज न्यायपालिका का काला दिन है। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के खराब नतीजे सामने आएंगे। अब से हर आम आदमी न्यायपालिका के फैसले को संदेह की नज़रों से देखेगा। हर फैसले पर सवाल उठाए जाएंगे।' वहीं जाने माने वकील प्रशांत भूषण ने कहा, 'जिस तरह सीजेआई ने अपनी ताकत का दुरूपयोग किया, उससे किसी को तो टकराना ही था। चार जजों का इस तरह सामने आना दुर्भाग्यपूर्ण है। इन जजों ने अपना संवैधानिक दायित्व निभाया है।'

मुख्‍य न्‍यायधीश को लिखा गया खुला खत

जजों की प्रेस कांफ्रेंस के बाद सुप्रीम कोर्ट के चार रिटायर जजों ने भी मुख्य न्यायधीश जस्टिस दीपक मिश्रा को एक खुला खत लिखा। इस खत में चार जजों द्वारा केसों के बटवारे को लेकर उठाए गए सवालों पर सहमति जताते हुए इस विवाद को 'न्यायपालिका के भीतर' ही हल करने की मांग की गई।

पहले भी दिखता रहा है मतभेद

वैसे तो देश के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम जज खुल कर मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ मीडिया के सामने आये हैं। मगर पिछले कुछ महीनों के घटनाक्रम पर निगाह डालें तो साफ हो जाता है कि पहले भी इस तरह के मतभेद सामने आते रहे हैं। फिर वो चाहें मेडिकल कालेज मामले में मनचाहा आदेश दिलाने के लिए जजों के नाम पर रिश्वतखोरी का केस हो या फिर जज बीएच लोया की रहस्यमय मौत की जांच से जुड़ी नयी याचिका पर सुनवाई का मुद्दा।

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