Move to Jagran APP

जन गण मन और वंदेमातरम को समान दर्जा प्राप्त, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा

राष्ट्रगान जन गण मन और राष्ट्र गीत वंदेमातरम का बराबर का दर्जा है और प्रत्येक नागरिक को दोनों का समान सम्मान करना चाहिए। दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित एक याचिका के प्रकाश में केंद्र सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल कर यह बात कही गयी है।

By Jagran NewsEdited By: Amit SinghPublished: Sat, 05 Nov 2022 08:19 PM (IST)Updated: Sat, 05 Nov 2022 08:19 PM (IST)
जन गण मन और वंदेमातरम को समान दर्जा प्राप्त

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रगान जन गण मन और राष्ट्र गीत वंदेमातरम का बराबर का दर्जा है और प्रत्येक नागरिक को दोनों का समान सम्मान करना चाहिए। दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित एक याचिका के प्रकाश में केंद्र सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल कर यह बात कही गयी है। केंद्र सरकार ने वकील अश्वनी उपाध्याय की जनहित याचिका में की गई मांग का जवाब देते हुए हलफनामे में राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत के बारे में नियम कानूनों तथा समय समय पर आये कानूनी आदेशों का हलफनामे में हवाला दिया है।

1950 में जन गण मन को राष्ट्रगान की तरह अपनाया

हलफनामे में कहा गया है कि भारत की संविधान सभा के अध्यक्ष ने 24 जनवरी 1950 को जन गण मन को भारत के राष्ट्रगान की तरह अपनाया। भारत के राष्ट्रगान को बजाने और गाने की परिस्थितियों और प्रक्रिया के बारे में निर्देश जारी हुए। 1971 में राष्ट्रगान में बाधा पहुंचाने को दंडनीय अपराध बनाया गया और इसके लिए प्रिवेंशन आफ इन्सल्ट टु नेशनल आनर एक्ट 1971 लाया गया। हालांकि राष्ट्रगीत वंदेमातरम के संबंध में सरकार ने ऐसा कोई दंडनीय प्रविधान नहीं बनाया। और न ही राष्ट्रगीत गाने व बजाने की परिस्थितयों को लेकर कोई निर्देश ही जारी किये। लेकिन दोनों को सम्मान मिलना चाहिए।

यह भी पढ़े: Delhi News: संघ के प्रचारक राममाधव के बयान को मदनी ने नकारा, कहा-हिंदुस्तान में मुस्लिमों पर हमले बढ़े

एससी का राष्ट्रगीत पर डिबेट से इनकार

सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अश्वनी कुमार उपाध्याय की याचिका में राष्ट्रगीत पर विचार करने के बाद 17 फरवरी 2017 को फैसला दिया था जिसमें कहा कि ये नोट करने की बात है कि संविधान का अनुच्छेद 51ए(ए) राष्ट्रगीत के संबंध में नहीं है। इसमें सिर्फ राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज की बात की गई है। संविधान का यह अनुच्छेद कहता है कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह संविधान का पालन करे और राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करे। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की इन लाइनों को उद्धत करते हुए फैसले में कहा था कि इसलिए वह राष्ट्रगीत के डिबेट में नहीं घुसना चाहता।

दिल्ली हाईकोर्ट याचिका कर चुकी है खारिज

सरकार ने कहा है कि इसके अलावा दिल्ली हाई कोर्ट में गौतम आर मोरारका की एक जनहित याचिका 2016 की लंबित थी जिसमें राष्ट्रगीत वंदेमातरम गाने के बारे में दिशानिर्देश तय करने की मांग की गई थी। हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 17 फरवरी 2017 के फैसले को देखते हुए मोरारका की याचिका 17 अक्टूबर 2017 को खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इस बात मे कोई विवाद नहीं है कि वंदेमातरम भी सम्मान का हकदार है और सरकार ने इसे माना भी है और सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में इसे नोट किया है। ऐसे में यह अदालत याचिका में की गई मांग स्वीकार नहीं कर सकती। सरकार ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के समय समय पर दिये गए आदेशों को मानती है और कोर्ट इस बारे में जो भी आदेश निर्देश देगा सरकार उसका पालन करेगी।

यह भी पढ़े: Modi Himachal Rally: पांच साल बाद सरकार बदलने पर मोदी दवा के उदाहरण से दे गए सीधा संदेश, रक्षा सौदों पर घेरा


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.