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जयशंकर ने पेरिस में हिंद-प्रशांत पर यूरोपीय संघ के मंत्रिस्तरीय फोरम को किया संबोधित, कहा- क्षमता के साथ जिम्मेदारी और संयम का भी होना चाहिए विकास

जयशंकर ने मंगलवार को हिंद-प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि ताकत व क्षमता के साथ-साथ जिम्मेदारी व संयम का भी विकास होना चाहिए। उन्होंने 27 देशों के समूह को सतर्क करते हुए कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र की मौजूदा चुनौतियां यूरोप तक पहुंच सकती हैं।

By Amit SinghEdited By: Published: Tue, 22 Feb 2022 11:18 PM (IST)Updated: Tue, 22 Feb 2022 11:18 PM (IST)
जयशंकर ने हिंद-प्रशांत पर यूरोपीय संघ के मंत्रिस्तरीय फोरम को किया संबोधित (एएनआई)

नई दिल्ली, प्रेट्र: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को हिंद-प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि ताकत व क्षमता के साथ-साथ जिम्मेदारी व संयम का भी विकास होना चाहिए। उन्होंने 27 देशों के समूह को सतर्क करते हुए कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र की मौजूदा चुनौतियां यूरोप तक पहुंच सकती हैं, क्योंकि दूर होने का कतई यह मतलब नहीं है कि आप सुरक्षित हैं। विदेश मंत्री ने हालांकि किसी देश का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता की तरफ था।

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जयशंकर ने मंत्रिस्तरीय फोरम को किया संबोधित

पेरिस में हिंद-प्रशांत पर यूरोपीय संघ (ईयू) के मंत्रिस्तरीय फोरम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि इस मंच की मेजबानी ऐसे समय में हो रही है, जब यूरोप गंभीर संकट (यूक्रेन में) का सामना कर रहा है। यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र से यूरोपीय संघ के जुड़ाव को रेखांकित करता है। यूरोपीय संघ सहित कई अन्य देशों के शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी में भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, 'हिंद-प्रशांत बहुध्रुवीय व पुन:संतुलन आधारित व्यवस्था का केंद्र है, जो समकालीन बदलाव को रेखांकित करता है।

क्षेत्र के महत्व को किया रेखांकित

'हिंद-प्रशांत क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करते हुए जयशंकर ने कहा, 'यह जरूरी है कि ताकत व क्षमता के साथ-साथ जिम्मेदार व संयम का भी विकास हो। इसका मतलब अंतरराष्ट्रीय कानून, क्षेत्रीय अखंडता व संप्रभुता का सम्मान और अर्थव्यवस्था को दबाव से तथा राजनीतिक को बल प्रयोग के खतरों से मुक्त करना है। इसका आशय वैश्विक नियमों का पालन करना तथा वैश्विक स्तर पर साझी चीजों पर दावा करने से बचना है।' जयशंकर ने कहा कि ईयू की रणनीति भारत के स्वतंत्र, मुक्त, संतुलित व समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के दृष्टिकोण के अनुरूप है। भारत क्षेत्र की सुरक्षा में ईयू के योगदान की प्रतिबद्धता का स्वागत करता है। विदेश मंत्री ने इस दौरान भारत व फ्रांस के मजबूत होते संबंधों का भी जिक्र किया।


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