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वंशवाद की बेल: तमिलनाडु के राजनीतिक परिवारों ने इकट्ठा की अकूत दौलत

नेहरू ने 17 वर्षों तक राज किया, जबकि उनकी बेटी इंदिरा गांधी करीब 16 साल तक सत्ता में बनी रहीं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 28 Oct 2017 03:11 PM (IST)Updated: Sat, 28 Oct 2017 06:05 PM (IST)
वंशवाद की बेल: तमिलनाडु के राजनीतिक परिवारों ने इकट्ठा की अकूत दौलत
वंशवाद की बेल: तमिलनाडु के राजनीतिक परिवारों ने इकट्ठा की अकूत दौलत

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कुछ दिन पहले अमेरिका के बर्कले यूनिवर्सिटी में कहा था कि भारत में सब कुछ सिर्फ वंशवाद से ही चलता है। राहुल गांधी के इस बयान पर न सिर्फ राजनीतिक जगत से बल्कि हर ओर से तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई और उनकी खूब आलोचना भी हुई। वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने एक लेख के जरिए राहुल गांधी को गलत साबित करते हुए यहां तक कहा कि अगर वे ऐसा कहते हैं तो यह गलत है। सत्ता चलाने का मतलब केंद्र में शासन चलाना है और जवाहर लाल नेहरू व उनके परिवार को यह मौका मिला है।

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नेहरू ने 17 वर्षों तक राज किया, जबकि उनकी बेटी इंदिरा गांधी करीब 16 साल तक सत्ता में बनी रहीं। इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी पांच साल तक देश की सत्ता पर काबिज रहे। इस तरह से अगर देखें तो भारत की सत्ता में वंशवाद करीब 40 वर्षों तक रहा। लेकिन, जब बात क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों की करें तो देश की सबसे अमीर क्षेत्रीय पार्टी है डीएमके यानि द्रविड़ मुन्नेत्र काड़गम जो तमिलनाडु में वर्षों से लगातार वंशवाद की राजनीति करती आयी है।

क्षेत्रीय राजनीति में वंशवाद का बोलबाला

इसी तरह क्षेत्रीय राजनीति में भी वंशवाद का खूब बोल रहा है। आज शायद ही देश का कोई राज्य ऐसा होगा जहां पर वंशवाद के राजनीतिक वारिस आपको न मिलें। वो चाहे बात जम्मू-कश्मीर की हो या फिर दक्षिण के किसी राज्य की। यही वजह है कि लगातार वंशवाद की राजनीति पर सवाल भी उठते रहे हैं। सवाल ये उठता है कि वंशवाद की बदौलत जो आ रहे हैं, क्या उनकी काबिलियत पर किसी तरह का शक किया जाना चाहिए। हालांकि, वंशवाद की राजनीति के जरिए जो भी लोग आए हैं उन्होंने अपनी कामयाबी की नई कहानी लिखी है। बात अगर तमिलनाडु की करें तो वहां का सबसे बड़ा उदाहरण इस वक्त करुणानिधि का परिवार है।

तमिलनाडु की राजनीति में करुणानिधि परिवार का बोलबाला

तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि के बड़े बेटे एम.के. अलगिरी केन्द्र में मंत्री रह चुके हैं। जबकि, करुणानिधि के छोटे बेटे का नाम है एम.के स्टालिन। स्टालिन तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री हैं और डीएमके के वर्किंग प्रेसिडेंट हैं। उनका तमिलनाडु की राजनीति पर खासा असर माना जाता है। इसके अलावा, करुणानिधि की बेटी कनिमोझी राज्यसभा सांसद रही है और उनका नाम 2 जी घोटाले में आया था। जिसके बाद कनिमोझी को जेल भी जाना पड़ा था। इनके अलावा, मुरासोलि मारन भी करुणानिधि के भतीजे थे और वे केन्द्रीय मंत्रीमंडल में शामिल थे। मुरासोलि मारन के बेटे दयानिधि मारन भी यूपीए सरकार में केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं।

देश की सबसे धनी क्षेत्रीय पार्टी है डीएमके 

एडीआर रिपोर्ट की मानें तो साल 2015-16 के दौरान 32 क्षेत्रीय पार्टियों की कुल आय 221.48 करोड़ रुपये रही जिनमें से 110 करोड़ रुपये खर्च नहीं हुआ। यानि, खर्च न होने वाली रकम कुल आने वाली रकम का 49 फीसदी है। जिनमें डीएमके के पास सबसे ज्यादा 77.63 करोड़ रुपये मिले।

एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने जब इन आंकड़ों का विश्लेषण किया तो पता चला कि 2015-16 के दौरान डीएमके को सबसे ज्यादा 77.63 करोड़ रुपये मिले और उसके बाद एआईएडीएमके दूसरे नंबर पर रही जिसे 54.93 करोड़ रुपये मिले जबकि टीडीपी को 15.97 करोड़ रुपये मिले।

तमिलनाडु की राजनीति और रामचंद्रन, रामदास परिवार

एमजी रामचंद्रन का तमिलनाडु की राजनीति में काफी असर माना जाता था। उनके बाद उनकी पत्नी जानकी रामचंद्रन ने राजनीतिक विरासत को संभाला और राज्य की मुख्यमंत्री बनी थीं। जबकि, तमिलनाडु में राजनीतिक पार्टी पीएमके यानी पट्टाली मक्कल कच्ची की स्थापना एस. रामदास ने की थी। रामदास के नेतृत्व में पीएमके तमिलनाडु की राज्य सरकार और केन्द्र की सत्ता में गठबंधन के दबावों के चलते एक महत्वपूर्ण हिस्सा प्राप्त करने में कामयाब रही। एस. रामदास के बेटे अंबुमणि रामदास यूपीए सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे।

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