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जानें, आखिर क्यों डीएसपी श्रेष्ठा ठाकुर के तबादले पर विवाद थम नहीं रहा

प्रशासनिक कामकाज के मद्देनजर आम तौर पर तबादले होते रहते हैं। लेकिन श्रेष्ठा ठाकुर का तबादला सुर्खियों में बना रहा।

By Lalit RaiEdited By: Published: Fri, 07 Jul 2017 02:08 PM (IST)Updated: Sat, 08 Jul 2017 10:24 AM (IST)
जानें, आखिर क्यों डीएसपी श्रेष्ठा ठाकुर के तबादले पर विवाद थम नहीं रहा
जानें, आखिर क्यों डीएसपी श्रेष्ठा ठाकुर के तबादले पर विवाद थम नहीं रहा

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । सामान्य तौर पर ये धारणा है कि राजनेताओं और नौकरशाही के बीच बेहतर समन्वय से बेहतर प्रशासन का सपना साकार होता है। लेकिन हकीकत में नौकरशाही और राजनेताओं में छत्तीस का आंकड़ा होता है। नौकरशाही द्वारा किसी काम को नकराने के बाद राजनेताओं को लगता है कि उनकी तौहीन हो गई है। लेकिन नौकरशाहों द्वारा किए गए कुछ कामों को देखकर लगता है कि वो महज सस्ती लोकप्रियता हासिल करना चाहते हैं।

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राजकाज को सुचारू ढंग से चलाने के लिए अधिकारियों के तबादले आमतौर पर होते ही रहते हैं। लेकिन कुछ तबादलों पर चर्चा शुरू हो जाती है। बुलंदशहर के स्याना में तैनात रहीं डीएसपी श्रेष्ठा ठाकुर का तबादला उनमें से एक है। बिना हेलमेट भाजपा नेता का चालान काटने का मुद्दा इतना तूल पकड़ा कि बुलंदशहर में कचहरी के सामने भाजपा नेताओं और श्रेष्ठा ठाकुर के बीच झड़प हो गई। भाजपा के नेता बार-बार ये कहते रहे कि डीएसपी साहिबा आपका व्यवहार अनुचित है, तो डीएसपी साहिबा भी कहती रहीं कि कानून के दायरे में ही कार्रवाई की गई थी। अगर किसी को आपत्ति है तो वो सीएम साहब से लिखवा कर लाए कि चेकिंग बंद कर दो।

बुलंदशहर में डीएसपी और भाजपा नेताओं के बीच बयानों की आग की लपट प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक जा पहुंची। इस बीच प्रदेश में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जिन 224 डीएसपी के तबादले किये गए उनमें एक नाम श्रेष्ठा ठाकुर का नाम भी था। स्याना की डीएसपी बदली जा चुकीं थी। उनका तबादला बहराइच जिले में कर दिया गया। फेसबुक के जरिए श्रेष्ठा ठाकुर ने अपने तबादले की खबर को शायरी के जरिए अपने शुभचिंतकों तक पहुंचाया।

लेकिन मेरठ से भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि कानून व्यवस्था कायम करने के नाम पर डीएसपी हद पार कर गई थीं।

 

कैसे सुर्खियों में आयीं श्रेष्ठा ठाकुर

दरअसल, 23 जून को पुलिस की चेकिंग के दौरान जब जिला पंचायत सदस्य प्रवेश देवी के पति प्रमोद लोधी को पुलिस ने बिना हेलमेट और डॉक्यूमेंट्स के पकड़ा और चालान किया तो वह स्याना के सीओ श्रेष्ठा ठाकुर से ही भीड़ गए। वायरल वीडियो में डीएसपी श्रेष्ठा ठाकुर भाजपा नेता को यह भी बताती दिखीं थीं कि कानून से ऊपर कोई नहीं है। नियम-कानून तोड़ने पर वह सबके खिलाफ बिना भेदभाव के कार्रवाई करेंगी।

भाजपा नेता के पति को किया था गिरफ्तार

चालान काटने के बाद जिस तरह से प्रमोद लोधी ने सीओ श्रेष्ठा ठाकुर के साथ बहस की, उसके बाद उनके खिलाफ सरकारी कामों में बाधा पहुंचाने को लेकर एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया। जब प्रमोद को कोर्ट में पेश करने के लिए ले जाया गया तो वहां पर बड़ी संख्या में भाजपा नेता के समर्थक पहुंच गए और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनसे चालान के नाम पर दो हजार रुपये मांगे थे।

 

224 डीएसपी के तबादले के आदेश

एक जुलाई को यूपी सरकार की तरफ से कई तबादले किए गए। इनमें 224 पुलिस उपाधीक्षकों (डीएसपी) के तबादले का आदेश भी शामिल था। डीएसपी श्रेष्ठा ठाकुर के तबादले में जहां कुछ लोगों का यह मानना है कि हाल में हुई घटना के बाद यूपी सरकार ने सख्त कदम उठाया है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों का मानना है कि यह एक रूटीन प्रक्रिया है। 
 

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