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EXCLUSIVE: टकराव की कगार पर दो देश, एक बाबा और अद्भुत आस्था की पूरी कहानी

बाबा हरभजन चीनी सेना पीएलए की हर गतिविधियों पर कड़ी नजर रखकर भारतीय सेना को किसी तरह की अनहोनी से पहले सतर्क करते हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Thu, 24 Aug 2017 02:15 PM (IST)Updated: Thu, 24 Aug 2017 08:19 PM (IST)
EXCLUSIVE: टकराव की कगार पर दो देश, एक बाबा और अद्भुत आस्था की पूरी कहानी

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। डोकलाम के मुद्दे पर लगातार चीन भारतीय सेना को धमकी दे रहा है। भारत को उखाड़ फेंकने की बात कह कर लगातार भारतीय सेना के जवानों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन, चीनी सेना के जवान ये भूल जाते हैं कि भारतीय सेना के पास हरभजन के रूप में वो जांबाज जवान है जो दिन रात जागकर पीएलए की हर हिमाकत पर कड़ी नजर रखता है। बाबा हरभजन चीनी सेना पीएलए की हर गतिविधियों पर कड़ी नजर रखकर, भारतीय सेना को किसी तरह की अनहोनी से पहले सतर्क करते हैं।

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हरभजन पर भारतीय सेना को नाज

जी हां, ये सुनने में भले ही आपको एक कहानी लगे, लेकिन देश के सच्चे सिपाही हरभजन के बारे में आप जितना जानना चाहेंगे कहानी आगे उतनी ही ज्यादा रोचक होती जाएगी। नाथू ला में सिपाही हरभजन सिंह को बाबा हरभजन के नाम से जाना जाता है। सिपाही हरभजन सिंह की जान 22 साल की उम्र में उस वक्त चली गई जब साल 1968 में वे एक ग्लेशियर में गिर गए। लेकिन बताया जाता है कि हरभजन सिंह किसी न किसी रूप में , भारतीय सेना में नौकरी करते रहे। बर्फ में दफन होने के करीब 38 साल बाद साल 2006 में उन्हें आधिकारिक तौर पर सेना से रिटायर किया गया। इस दौरान उन्हें प्रमोशन भी दिया गया।

 

क्या है बाबा हरभजन की पूरी कहानी
बाबा हरभजन सिंह का जन्म 30 अगस्त 1946 को गुजरांवाला (अब पाकिस्तान में) हुआ था। सेना के रिकॉर्ड के मुताबिक हरभजन सिंह 1966 में पंजाब रेजिमेंट में शामिल हुए। कुछ समय बाद उनकी तैनाती नाथू ला में हुई। 1968 में एक दिन वे खच्चर पर सवार होकर पहाड़ी रास्ते पर जा रहे थे। लेकिन ड्यूटी के दौरान सिक्किम में एक दुर्घटना का शिकार हो गए और ग्लेशियर में गिरने से उनकी मौत हो गई। उन्हें खोजा गया, लेकिन वे नहीं मिले। सेना के किसी जवान ने यह खबर भी फैला दी कि हरभजन सिंह गायब हो गए हैं।

सपने में आए थे बाबा हरभजन!
बाबा हरभजन के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वो अपने एक फौजी दोस्त प्रीतम सिंह के सपने में आये और खुद बताया कि उनका शव कहां मिलेगा। प्रीतम ने अपने सपने के बारे में अपने अधिकारियों को जानकारी दी। प्रीतम सिंह के सपने के आधार पर उस जगह की तलाश की गई तो सचमुच बाबा हरभजन का शव उस जगह पर पड़ा मिला। उसके बाद बाबा हरभजन ने प्रीतम को सपने में जो भी संदेश दिया उस पर भारतीय सेना ने लगातार अमल किया।

सिपाही हरभजन सिंह ने सेना को एक दफे फिर बताया कि आगे क्या करना है। सपने में निर्देश हुआ कि शव का अंतिम संस्कार नाथू ला में ही किया जाए और इस जगह पर उनकी याद में एक मंदिर बनाया जाए। उसके बाद सैनिकों में बाबा हरभजन को लेकर इस कदर आस्था बढ़ी कि उन्होंने एक बंकर को ही मंदिर का रूप दे दिया। हालांकि, बाद में जब उनके चमत्कार बढ़ने लगे और विशाल जनसमूह की आस्था का केन्द्र हो गया, उसके बाद उनके लिए एक मंदिर बनाया गया। ये मंदिर गंगटोक में जेलेप दर्रे और नाथुला दर्रे में करीब 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बना है।

बाबा हरभजन के लिए होती थी ट्रेन बर्थ की बुकिंग
बाबा हरभजन सिंह अपनी मृत्यु के बाद से लगातार ही अपनी ड्यूटी देते आ रहे हैं। इनके लिए उन्हें बाकायदा तनख्वाह भी दी जाती है, उनकी सेना में एक रैंक थी, नियमानुसार उनका प्रमोशन भी किया जाता रहा। यहां तक कि उन्हें कुछ साल पहले तक 2 महीने की छुट्टी पर गांव भी भेजा गया था। इसके लिए ट्रेन में सीट रिज़र्व की जाती थी, तीन सैनिकों के साथ उनका सारा सामान उनके गांव भेजा जाता था तथा दो महीने पूरे होने पर फिर वापस सिक्किम लाया जाता था। जिन दो महीने बाबा छुट्टी  पर रहते थे उस दरमियान पूरा बॉर्डर हाई अलर्ट पर रहता था क्योकि उस वक़्त सैनिकों को बाबा की मदद नहीं मिल पाती थी।

लेकिन बाबा का सिक्किम से जाना और वापस आना एक धार्मिक आयोजन का रूप लेता जा रहा था, जिसमें कि बड़ी संख्या में जनता इकठ्ठी होने लगी थी। कुछ लोग इस आयोजान को अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाला मानते थे इसलिए उन्होंने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया। क्योंकि सेना में किसी भी प्रकार के अंधविश्वास की मनाही होती है। लिहाज़ा सेना ने बाबा को छुट्टी पर भेजना बंद कर दिया।

बाबा हरभजन से जुड़ी है गहरी आस्था
भारतीय सैनिकों में बाबा हरभजन से काफी आस्था जुड़ी है। इलाके में तैनात भारतीय सेना के जवान वहां पर जरूर अपनी ड्यूटी जाने के दौरान बाबा मंदिर में मत्था टेकने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि बाबा हरभजन सिंह जेलेप दर्रे से लेकर नाथू ला दर्रे तक भारतीय सीमा की रक्षा करते हैं। नाथू ला में बाबा हरभजन की याद में दो स्मृति-स्थल बने हैं। इनमें से एक है ओल्ड बाबा मंदिर जो ओल्ड सिल्क रोड पर बना है, जबकि दूसरा न्यू बाबा मंदिर कहलाता है। यह नाथू ला में ही है, लेकिन डोकलाम से नजदीक है। ये न्यू बाबा मंदिर उस डोकलाम से सिर्फ चार किलोमीटर की दूरी पर है जहां पर आज भारत और चीन दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने खड़ी हैं।

मंदिरों में लगा रहता है तांता
यहां के लोगों का विश्वास है कि बाबा हरभजन सिंह सभी तरह के संकटों का हरण करनेवाले हैं। श्रद्धालु मंदिर में पानी की बोतल लेकर पहुंचते हैं और बोतल को वहां हफ्ते भर के लिए छोड़ देते हैं। वे दुबारा जब इस बोतल को उठाते हैं तो उस घड़ी तक बोतल का पानी तमाम रोगों की दवा में तब्दील हो चुका होता है। स्थानीय लोगों की ये मान्यता है। बाबा के मंदिर में केंद्रीय कक्ष में पीतल की बनी उनकी एक आवक्ष प्रतिमा रखी है। यहां पर पूरे दिन भजन कीर्तिन चलता रहता है। इस मंदिर के अंदर बाबा के लिए एक विशेष बंकर बना हुआ है। उसमें उनका बिछावन लगाया जाता है। उनके कपड़े, जूते और अन्य महत्वपूर्ण सामान भी मंदिर के अंदर रखे गए हैं।

चीनी सेना को भी बाबा हरभजन के बारे में है मालूम
बाबा हरभजन सिंह के बारे में चीन के सैनिकों को भी पता है। पीएलए और भारतीय फौज के बीच जब फ्लैग मीटिंग रखी गई तो बाबा हरभजन के लिए एक कुर्सी खाली रखी गई थी। ऐसे में भारतीय फौज को पूरी आस्था है कि अगर चीन की तरफ से हमला होता है तो बाबा हरभजन सिंह पहले ही उन्हें इस बात की सूचना दे देंगे। 

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