आखिर किस बूते पर नॉर्थ कोरिया ने छेड़ रखा है अपना परमाणु कार्यक्रम
1990 के दशक में आए भीषण अकाल से उभरने में उत्तर कोरिया को काफी समय लगा। लेकिन इसके बाद भी उसका परमाणु कार्यक्रम बादस्तूर जारी है।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। उत्तर कोरिया जिस तरह से अपनी रक्षात्मक प्रणाली में इजाफा कर रहा है उससे सिर्फ दक्षिण कोरिया ही नहीं बल्कि अमेरिका भी काफी परेशान है। इसके अलावा उत्तर कोरिया लगातार अपना परमाणु कार्यक्रम जारी रखे हुए है। इसका एक दूसरा दिलचस्प पहलू यह भी है कि उसके इस परमाणु कार्यक्रम की लागत भी बेहद कम है। इसको लेकर यहां तक कहा जा रहा है कि इसकी लागत किसी एयरक्राफ्ट करियर से भी कम है।
1990 के दशक में आया था भीषण अकाल
इन सभी के बीच यह सवाल उठना बड़ा लाजमी है कि आखिर किस तरह से यह देश अपना परमाणु कार्यक्रम आगे बढ़ा रहा है। यह सब कुछ बताना इसलिए बेहद खास है क्योंकि 1990 के दशक में उत्तर कोरिया में भारी अकाल आया था, जिससे उसको उबरने में काफी समय लगा था। यहां पर यह बताना भी जरूरी होगा कि उत्तर कोरिया अपनी रक्षा पर करीब दस बिलियन डॉलर का खर्च करता है। यह उसके कुल जीडीपी का काफी बड़ा हिस्सा है। किम जोंग उन के सत्ता पर काबिज होने के बाद से उत्तर कोरिया की वृद्धि में कम देखी गई है। हालांकि कंस्ट्रक्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में कुछ तेजी जरूर देखी गई है।
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परमाणु कार्यक्रम की लागत करीब 1 से 3 बिलियन डालर
दक्षिण कोरिया के मुताबिक उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम की लागत करीब 1 बिलियन से 3 बिलियन डॉलर के करीब है। वहीं दूसरी और अमेरिका की वर्जीनिया क्लास सबमरीन की कीमत करीब 2.5 बिलियन डालर है। इसके अलावा अमेरिकी युद्धपोत गेराल्ड फोर्ड की कीमत करीब अाठ बिलियन डॉलर है। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्रालय के मुताबिक उत्तर कोरिया में किम के सत्ता में आने के बाद वर्ष 2011 से पिछले वर्ष तक इस देश ने करीब 31 मिसाइल परीक्षण किए हैं। इन पर करीब 97 मिलियन डॉलर की लागत आई थी।
40 अरब डॉलर की है अर्थव्यवस्था
अमरीकी खुफिया एजेंसी सीआईए के मुताबिक उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था करीब 40 अरब डॉलर की है। वहीं इसका कुल निर्यात करीब पौने चार अरब अमरीकी डॉलर का है। यह किसी छोटे से यूरोपीय देश सैन मारीनो या फिर मोजांबिक के बराबर ही है। वह ज्यादातर खनिज, धातुओं से बने सामान, युद्ध का साजो-सामान, कपड़े, कृषि उत्पाद और मछलियों का निर्यात करता है। उत्तर कोरिया की प्रति व्यक्ति क्रय शक्ति करीब 1800 यूएस डॉलर है। इस मामले में वह दुनिया के 230 देशों की सूची में 208 वें नंबर पर है।
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उत्तर कोरिया का मुख्य राजनीतिक सहयोगी चीन
उत्तर कोरिया का मुख्य राजनीतिक सहयोगी चीन है जो उसके कुल उत्पाद का 54 फीसद खरीदता है। इस मामले में दूसरा स्थान अल्जीरिया का है, जो कि उत्तर कोरिया का 30 फीसद सामान खरीदता है। इसके अलावा उत्तर कोरिया के निर्यात का 16 फीसद हिस्सा दक्षिण कोरिया को जाता है। यह आलम तब है जब दक्षिण कोरिया से उसका टकराव वर्षों पुराना है। इस टकराव के बाद भी दोनों देशों ने अपने आर्थिक हितों को बढ़ाया है।
उत्तर कोरिया में दक्षिण कोरिया का निवेश उसके विदेश मुद्रा के महत्वपूर्ण स्रोत में से है। दक्षिण कोरिया का सबसे महत्वपूर्ण निवेश केसांग इंडस्ट्रीयल कांप्लेक्स में हुआ है। लेकिन दाेनों देशों के बीच उभरे तनाव के बीच दक्षिण कोरिया की सरकार ने इसमें अपनी सहभागिता स्थगित कर दी है। उसका कहना है कि वह नहीं चाहता है कि इस इंडस्ट्रीयल कांप्लेक्स से पैदा हुआ संसाधन उत्तर कोरिया की सैनिक परियोजना पर खर्च हो।
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