आप जैसे कई अन्यों की जिंदगी बचाने में लगा है ये बच्चा, कुछ आप भी लें सबक
सड़क पर गड्ढों को देखकर हम अक्सर मुंह फेर लेते हैं और प्रशासन पर सबकुछ मढ़ देते हैं। लेकिन दूसरी तरफ एक बच्चा इनको भरने का काम कर रहा है।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। भारत में हर वर्ष करीब सवा लाख से अधिक लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवा देते हैं। इनमें से कई लोगों की मौत की वजह सड़क पर मौजूद गड्ढे और खराब स्पीड ब्रेकर होते हैं। कई जगहों पर सड़क पर गड्ढा है या गड्ढों के बीच सड़क होने का अंदाजा ही लगा पाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन, इन सभी के बीच कुछ ऐसे भी होते हैं जो दूसरों की मदद के लिए आगे आते हैं और बिना पुरस्कार की चाहत के अपना काम करने में लगे रहते हैं।
एक एक्सीडेंट को देखकर बदला मन
ऐसा ही कुछ काम 13 वर्ष का रवि भी करता है। हैदराबाद के हबसीगुडा का रहने वाला रवि हर रोज सड़क के उन गड्ढों को भरने का काम करता है जिनपर प्रशासन का ध्यान नहीं जाता है और अक्सर यह किसी न किसी हादसे की वजह भी बनते हैं। पैसों की लाचारी के चलते वह इन गड्ढों को भरने के लिए आसपास पड़े पत्थर मिट्टी आदि चीजों का इस्तेमाल करता है। वह बताता है कि उसके सामने एक बार बाइक पर सवार तीन लोग सड़क पर गड्ढों के चलते हादसे का शिकार हो गए थे। इनमें से एक के सिर में गंभीर चोट भी आई थी। इसके बाद से ही वह इन गड्ढों को भरने में लग गया। उसका कहना है कि प्रशासन पर सभी कुछ डालने और इंतजार करने से अच्छा है कि कुछ काम अपने से भी कर लिया जाए तो अच्छा होगा। रवि के पिता पेशे से मिस्त्री हैं। उसको जब भी समय मिलता है तो वह सड़कों के गड्ढों काे भरने में जुट जाता है।
सड़क को गडढ़ा मुक्त करने का आदेश
हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने मई में सभी सड़कों को गडढ़ा मुक्त करने का आदेश दे रखा है। इसके लिए उन्होंने बजट में फंड देने की भी घोषणा की है। उन्होंने यह भी कहा है कि यदि सड़क पर कोई गडढ़ा दिखाई दिया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद भी सड़कों की हालत कई जगह बेहद खराब है। यह हाल तब है जब वर्ष 2015 में सड़क हादसों के मामले में तेलंगाना टॉप 13 राज्यों में था। यहां पर 21 हजार से ज्यादा सड़क हादसे दर्ज किए गए थे। सड़क व परिवहन मंत्रालय के आंकड़ाें के मुताबिक इन राज्यों दक्षिण भारत के सात राज्य शामिल थेे। आंकड़ों के मुताबिक 8 फीसद की दर से हर वर्ष सड़क हादसे बढ़ रहे हैं। रिपोर्ट बताती है कि ओवरलोडेड ट्रकों से सबसे अधिक सड़कों को नुकसान पहुंचता है। देश भर में वर्ष 2014 में गड्ढों की वजह से जहां 11106 मौतें हुई थीं वहीं वर्ष 2015 में इनका आंकड़ा 10876 था।
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सड़क परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट के कुछ आंकड़े :-
1- वर्ष 2015 में खराब सड़कों की वजह से 731 4 एक्सीडेंट हुए जिसमें से 2733 लोगों की मौत हुई और करीब 6122 लोग घायल हुए।
2- सड़क दुर्घटना में मरने वालों में सबसे ज्यादा 15-29 वर्ग के युवा शामिल है।
3- कम और मध्यम आय वाले देश में सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं। इन देशों में सड़क हादसों की संख्या विकसित देशों की तुलना में दोगुनी है। सड़क दुर्घटना से गरीब देशों के जीडीपी का पांच प्रतिशत नुकसान होता है।
4- 68 देशों में सड़क दुर्घटओं में वृद्धि हुई है वहीं 79 देशों में स़ड़क दुर्घटनाओं की प्रवृति में कमी देखी गयी है।
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5- विकसित देशों में गाड़ियों में इलेक्ट्रानिक स्टेबलिटी कंट्रोल के इस्तेमाल को जरुरी बनाया गया है।
6- विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में सड़क दुर्घटना को लेकर कुछ निर्देश दिये गये है। इनमें सड़क दुर्घटना से जुड़े कानून को मजबूत करना, स्पीड मैनेजमेंट, सड़क निर्माण में सुरक्षा कारक का ध्यान रखना जैसे उपायों को शामिल करने पर जोर दिया गया है।
7-16 बच्चे हर रोज सड़क दुर्घटना में हर रोज मारे जाते हैं।
8- सड़क दुर्घटना के पीछे शराब का सेवन कर गाड़ी चलाना, अप्रशिक्षित ड्राइवर ,सड़कों के गुणवत्ता में खराबी और वाहनों की संख्या में तेजी से हो रही वृद्धि जिम्मेदार है।
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