इसरो के लिए कमाऊ पूत बनेगा मंगल अभियान
नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। इसरो प्रमुख आर राधाकृष्णन ने भले ही मंगल अभियान पर खर्च की गई राशि को लाभ या हानि से जोड़ कर नहीं देखने की वकालत की हो, लेकिन हकीकत में इस अभियान की सफलता आने वाले दिनों में इसरो के लिए कमाई के नए रास्ते खोल सकती है। लगभग 450 करोड़ रुपये की लागत वाले इस अभियान से इंटर प्लेनेटरी लांचिंग की कामयाबी
नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। इसरो प्रमुख आर राधाकृष्णन ने भले ही मंगल अभियान पर खर्च की गई राशि को लाभ या हानि से जोड़ कर नहीं देखने की वकालत की हो, लेकिन हकीकत में इस अभियान की सफलता आने वाले दिनों में इसरो के लिए कमाई के नए रास्ते खोल सकती है। लगभग 450 करोड़ रुपये की लागत वाले इस अभियान से इंटर प्लेनेटरी लांचिंग की कामयाबी इसरो के लिए 500 करोड़ रुपये के राजस्व का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। रॉकेट तकनीक की कामयाबी के सहारे भारत की कोशिश 304 अरब डॉलर के अंतरिक्ष लांचिंग के बाजार में दमदार खिलाड़ी बनने की है।
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अंतरिक्ष विभाग को भरोसा है कि भरोसेमंद व सस्ती सेटेलाइट लांचिंग का विकल्प तलाश रहे तमाम देशों के लिए भारत पसंदीदा जगह बनेगा। दरअसल, सरकार की योजना भी है कि अंतरराष्ट्रीय सेटेलाइट बाजार में इस कामयाबी को भुनाने की पूरी कोशिश की जाए। भारत ने पिछले दो-तीन वर्षो से ही किफायती सेटेलाइट लांच विकल्प के तौर पर अपनी मार्केटिंग शुरू की है, जिसके अच्छे परिणाम भी निकले हैं। बीते तीन वर्षो में इसरो से भारत के सिर्फ 13 सेटेलाइट जबकि 19 विदेशी सेटेलाइट प्रक्षेपित किए गए हैं। इनसे भारत को 2.53 करोड़ यूरो और 10 लाख अमेरिकी डॉलर की कमाई हुई।
भारत की नजर खास तौर पर अफ्रीका और मध्य एशिया के मुल्कों पर है जहां बीते कुछ समय में विकास और संचार सुविधाओं के विस्तार ने उपग्रह की आवश्यकता बढ़ाई है। जानकार मानते हैं कि मंगलयान जैसे लंबी दूरी के अभियान से भारत की तकनीकी क्षमता पर सफलता की मुहर लगती है।
जीएसएलवी तकनीक की असफलता हालांकि भारत के लिए चुनौती बनी हुई है। तीन सौ अरब डॉलर से अधिक के अंतरिक्ष लांचिंग बाजार में भारी उपग्रह लांचिंग का भरोसेमंद विकल्प बनने के लिए भारत को जीएसएलवी तकनीक पर महारत साबित करनी होगी। दिक्कत यह है कि 2001 से अब तक हुए इसके सात में से तीन परीक्षण ही कामयाब हुए हैं।
वैसे कम खर्च की वजह से ही भारत उपग्रह लांचिंग में अफ्रीका और यूरोपीय मुल्कों समेत कई विकसित देशों की भी पसंद बना है। नासा के मुकाबले इसरो सिर्फ दस फीसद लागत पर सेटेलाइट अंतरिक्ष में भेज सकता है।
भारत से लांच प्रमुख विदेशी सेटेलाइट
देश - सेटेलाइट - लांच
कनाडा - सफिरे - 2013
कनाडा - निओसेट - 2013
ऑस्ट्रिया - एनएलएस 8.1 - 2013
ऑस्ट्रिया - एनएलएस 8.2 - 2013
डेनमार्क - एनएलएस 8.3 - 2013
ब्रिटेन - स्ट्रैंड 1 - 2013
फ्रांस - स्पॉट 6 - 2012
जापान - प्रोइटेरेस - 2012
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