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इसरो के इस कदम से चकित रह गई दुनिया, ऊंची छलांग के बाद भी कई बाधाएं बरकरार

इस उड़ाने के बाद इसरो के पास विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्‍थापित करने या भेजने की अपनी तकनीक और क्षमता मौजूद है।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Tue, 18 Sep 2018 07:49 AM (IST)
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इसरो के इस कदम से चकित रह गई दुनिया, ऊंची छलांग के बाद भी कई बाधाएं बरकरार

नई दिल्‍ली [ जागरण स्‍पेशल ]। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपनी स्‍थापना के बाद से ही देश को अंतिरक्ष के क्षेत्र में कई ऐसे मकाम दिए है, जिससे भारत की शक्ति का लोहा पूरी दुनिया ने माना है। रविवार को इसरो ने अंतरिक्ष में ऊंची छलांग लगाकर एक इतिहास रचा। भारतीय राकेट श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण यान PSLV C-42 ने दो ब्रिटिश उपग्रहों के साथ सफल उड़ान भरा। इस कामयाबी के साथ ही भारत उन देशों की श्रेणी में शामिल हो गया, जिसके पास विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्‍थापित करने या भेजने की अपनी तकनीक और क्षमता मौजूद है। आइए जानते हैं इस उड़ान की खूबियां और भविष्‍य में इसरो की चुनौती।

33 हजार 500 करोड़ डालर: उपग्रह प्रक्षेपण का वैश्विक बाजार

दुनिया में विकास के साथ ही उपग्रह प्रक्षेपण का बाजार तेजी से वृद्धि हुई है। इसरो की इस उड़ान के बाद भारत भी अब इस खेल में प्रमुख खिलाड़ी बनने की दौर में शामिल हो गया है। इसराे इस बाजार की संभावनाओं को न स‍िर्फ तलाश रहा है, बल्कि सफलतापूर्वक अपने कदम लगातार आगे बढ़ा रहा है। हालांकि, भारत की हिस्‍सेदारी अंतरराष्‍ट्रीय उपग्रह प्रक्षेपण बाजार में अपेक्षा से बहुत ही कम है। लेकिन भारत क्रमिक रूप से और सही दिशा में इस दिशा में आगे बढ़ रहा है।
उपग्रह प्रक्षेपण के वैश्विक बाजार की बात करे तो ये फ‍िलहाल 33 हजार 500 करोड़ डालर के पास है, लेकिन भारत की हिस्‍सेदारी इसमें एक फीसद से भी कम है। भारत के अंतरिक्ष के क्षेत्र में व्‍यावसायिक लेखाजोखा एन्ट्रिक्‍स कार्पोरेशन लिमिटेड के हाथों में है, जो भारत सरकार की एक पूर्ण स्‍वामित्‍व वाली कंपनी है। एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन भारत की अंतरिक्ष व्यापार कंपनी है। एन्ट्रिक्‍स का प्रशासनिक नियंत्रण अंतिरक्ष विभाग के पास है।

ब्रिटिश उपग्रहों की खूबिंया

1-16 सितंबर, 2018 को इसरो अपने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान PSLV C-42  दो ब्रिट्रिश उपग्रह- नोवासार और एस 1- 4 को धरती की कक्षा में स्‍थापित करेगा।

2- 450 किलोग्राम वजन के इन उपग्रहों का निर्माण ब्रिट्रिश कंपनी सर्रे सैटेलाइट टेक्नोलॉजी लिमिटेड (एसएसटीएल) ने किया है।

3- इस बाबत भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन की वाणिज्यिक इकाई एन्ट्रिक्‍स कोर्पोरेशन लिमिटेड से इसके प्रक्षेपण का करार हुआ था।

4- उपग्रह नावासार एक तकनीक प्रदर्शन उपग्रह मिशन है। इसमें कम लागत वाला एस बैंड सिंथेटिक रडार भेजा जाएगा। इसे धरती से 580 किलोमीटर ऊपर सूर्य की समकालीन कक्षा (एसएसओ) में स्‍थापति किया जाएगा।

5- उपग्रह एसन 1-4 एक भू-अवलाकेन उपग्रह है, जो एक मीटर से भी छोटी वस्‍तु को अंतरिक्ष से देख सकता है। ये उपग्रह एसएसटीएल के अंतरिक्ष से भू अवलोकन की क्षमता को बढ़ाएगा। 

6- इसरो की यह पूर्ण रूप से व्यावसायिक उड़ान होगी। खास बात यह है कि इसके साथ कोई भी भारतीय उपग्रह नहीं भेजा जाएगा।

अगले सात महीनों में 19 मिशन लांच करेगा इसरो

इसरो ने आने वा‍ले करीब एक साल के लिए कुछ बड़े कदमों पर काम करना शुरू कर दिया है। इस कड़ी में पहला बड़ा दिन 16 सितंबर से श्रीगणेश हो गया। रविवार को इसरो ने PSLV C42  की सफल लांचिंग के साथ अपने इरादे साफ कर दिया। इस लांच के साथ ही इसरो के उस मिशन की शुरुआत हो गई, जिसमें वह अगले सात महीनों में 19 मिशन लांच करेगा।

11 वर्ष पूर्व छोटे उपग्रहों के लिए इसरो की उड़ान

इससे पहले 23 अप्रैल, 2007 को इसरो ने पहली बार व्‍यावसायिक उद्देश्‍य के लिए राकेट लांच किया था। लेकिन PSLV C-A ने इटली के खगोलिय उपग्रह AGILE को प्रक्षेपित किया था। इसके बाद 10 जुलाई 2015 को इसरो ने एक और उपलब्धि हासिल की जब उसने PSLV C-28 से पांच ब्रिट्रिश उपग्रहों को एक साथ प्रक्षेपित किया, जिसका कुल वजन एक हजार 439 किलोग्राम था। इसरो अब तक 28 देशों के 237 विदेशी उपग्रहों को प्रक्षेपण कर चुका है। इसके साथ इसरो लगातार अपनी क्षमता और तकनीक को बढ़ाने में जुटा है, ताकि इसके जरिए ज्‍यादा से ज्‍यादा वाणिज्यिक उपग्रहों को लांच कर सके और उसे बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा कमाई हो सके।

क्‍या है एन्ट्रिक्‍स कॉरपोरेशन लिमिटेड

एन्ट्रिक्‍स कोर्पोरेशन लिमिटेड को सितंबर 1992 में अंतिरक्ष उत्‍पादों, तकनीकी परामर्श सेवाओं और इसरो की ओर से विकसित वाणिज्यिक एवं औद्योगिक संभावनाओं और प्रचार-प्रसार के लिए सरकार के स्‍वामित्‍व वाली एक प्राइवेट कंपनी लिमिटड के रूप में स्‍थापित किया गया था। इसका एक और प्रमुख उद्देश्‍य भारत में अंतरिक्ष से जुड़ी औद्योगिक क्षमताओं के विकास को आगे बढ़ाना भी है। इसमें कोई दो राय नहीं कि एन्ट्रिक्‍स अपने काम को बखूबी अंजाम भी दे रही है, लेकिन वैश्विक बाजार में जारी प्रतिस्पर्धा के बाजार के लिहाज से इसे अभी बहुत जोर लगाना होगा।