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इसरो चीफ सोमनाथ ने कहा- हम 50 से अधिक उपग्रहों पर कर रहे हैं काम, तीन राकेट पूरी तरह तैयार

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस सोमनाथ (S Somanath) ने कहा कि पिछले 60 सालों के दौरान अंतरिक्ष क्षेत्र में देश ने जो हासिल किया है उससे दुनिया भारत को एक प्रेरणादायक स्थान के रूप में देख रही है।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaPublished: Sun, 25 Sep 2022 07:09 PM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2022 07:13 PM (IST)
इसरो चीफ सोमनाथ ने कहा- हम 50 से अधिक उपग्रहों पर कर रहे हैं काम, तीन राकेट पूरी तरह तैयार
ISRO के अध्यक्ष एस सोमनाथ बोले भारत की ओर देख रही है दुनिया। (फाइल फोटो)

चेन्नई, एजेंसी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि पिछले 60 सालों के दौरान अंतरिक्ष क्षेत्र में देश ने जो हासिल किया है, उससे दुनिया भारत को एक प्रेरणादायक स्थान के रूप में देख रही है। उन्होंने कहा कि वह इस क्षेत्र में स्टार्टअप लाकर और उन्हें अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में शामिल करके राकेट और उपग्रहों को विकसित करने के बदलाव के रूप में निहार रही है। वे कट्टनकुलथुर में एसआरएम साइंस एंड टेक्नालाजी के 18वें दीक्षा समारोह को संबोधित कर रहे थे।

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पूरी दुनिया की नजर भारत पर

सोमनाथ ने कहा कि पूरी दुनिया की नजर भारत पर है। स्टार्टअप इको सिस्टम के साथ यह देखना अद्भुत है कि भारत में विशेष रूप से अंतरिक्ष क्षेत्र में क्या हो रहा है? उन्होंने कहा कि हम हमेशा दूसरों पर भरोसा करते थे लेकिन दूसरों ने इस पर कभी विश्वास नहीं किया कि हम भी इस प्रकार की चीजें कर सकते हैं। इसरो अध्यक्ष ने कहा कि इस देश में खुद राकेट और उपग्रह बनाया जाता है तथा उपग्रहों को कक्षा में भी स्थापित किया जाता है

50 से अधिक उपग्रह पर काम कर रहा इसरो

उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारे पास 50 से अधिक उपग्रह हैं जिस पर हम काम कर रहे हैं। यही नहीं, कम से कम तीन राकेट हमारी अपनी धरती से किसी भी समय उड़ान भरने के लिए तैयार हैं।

आने वाले 25 साल साइंस एंड टेक्नालाजी के लिए महत्वपूर्ण

भारत की आजादी के 75वें साल का जिक्र करते हुए सोमनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की स्पष्ट दृष्टि है कि देश को अगले 25 वर्षों में क्या हासिल करना है। आने वाले 25 साल के दौरान भारत साइंस एंड टेक्नालाजी के क्षेत्र में काम करेगा। इस दौरान सोमनाथ को विज्ञान के क्षेत्र में उनके बेहतरीन योगदान के लिए डाक्टरेट आफ साइंस की मानद उपाधि भी प्रदान की गई।

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