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समय रहते पकड़े जाएंगे आइएस आतंकी, पस्त हो रही आतंकी संगठन की तैयारी

साल भर में आइएस से जुड़ी कई बड़ी गिरफ्तारियां सुरक्षा एजेंसियों की बड़ी सफलता

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Tue, 28 Feb 2017 02:17 AM (IST)Updated: Tue, 28 Feb 2017 06:43 AM (IST)
समय रहते पकड़े जाएंगे आइएस आतंकी, पस्त हो रही आतंकी संगठन की तैयारी

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। गुजरात के राजकोट व अहमदाबाद में गिरफ्तार किये गये आइएसआइएस के आतंकियों के मंसूबे तो बेहद खतरनाक थे लेकिन देश की सुरक्षा एजेंसियां इस बात को लेकर मुतमइन हैं कि वे इस खूंखार संगठन के मंसूबों को कभी सफल नहीं होने देंगे।

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सुरक्षा एजेंसियों के इस भरोसे के पीछे एक कारण भी है कि उन्होंने पिछले डेढ़ वर्ष के भीतर देश में आइएसआइएस से प्रभावित या उसके संपर्क में रहने वाले आतंकियों के सात मॉडयूल पकड़े हैं। इसमें अकेले हमला करने की साजिश रचने वाले भी हैं और सामूहिक तौर पर आतंकी घटनाओं को अंजाम देने की तैयारियों में जुटे समूह भी हैं। देश की सुरक्षा एजेंसियों आइएस की साजिश को समय रहते पकड़ ले रही हैं। हालांकि ये एजेंसियां 'लोन वोल्फ' आतंक के खतरनाक परिणाम को देखते हुए आइएसआइएस को लेकर रत्ती भर भी ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है।

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक पिछले तीन वर्षो के दौरान आइएस ने हर तरह से भारत में घुसपैठ करने की कोशिश की है लेकिन उसे अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। सबसे पहले उसे खाड़ी के देशों में काम करने वाले भारतीयों को निशाना बनाने की कोशिश की। इसमें उसमें कुछ सफलता भी मिल रही थी लेकिन खुफिया एजेंसियों ने इस गतिविधि में जुटे समूचे गैंग का पर्दाफाश कर दिया।

खाड़ी के देशों से आइएसआइएस के लिए गुर्गे तलाशने के आरोप में अजहर अल इस्लाम उर्फ अब्दुल सत्तार शेख, मोहम्मद फरहान उर्फ मोहम्मद रफीक शेख और अदनान हुसैन उर्फ मोहम्मद हुसैन को प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया। इस्लामिक संगठन ने इसके बाद पाकिस्तान व बांग्लादेश के जरिए भारत में घुसपैठ की कोशिश की। लेकिन यहां भी बात नहीं बनी। इसके बाद संगठन ने 'लोन वोल्फ' आतंकी मॉड्यूल पर काम करना शुरु किया लेकिन वहां भी भारतीय एजेंसियों ने उन्हें अभी तक कोई मौका नहीं दिया है।

तकरीबन एक वर्ष पहले पश्चिम बंगाल में आइएस से प्रभावित हो कर अपने दम पर आतंकी घटनाओं को अंजाम देने (लोन वोल्फ) की कोशिश में जुटे आतंकी आशिक अहमद की गिरफ्तारी से साफ हो गया था कि यह संगठन भारत में अपने खूंखार इरादों को पूरा करने में हर तरह से जुटा हुआ है। अहमद से पहले मेंहदी मसरूर विश्वास को गिरफ्तार किया गया था जो सोशल साइट्स के जरिए आइएसआइएस की विचारधारा को बढ़ावा दे रहा था। जनवरी, 2016 में एक साथ 14 युवकों को आइएस के साथ संपर्क साधन व आतंकी घटनाओं को अंजाम देने से पहले आरोपियों की गिरफ्तारियां भी सुरक्षा एजेंसियों की मुस्तैदी को बताती है। दरअसल, आइएस की तरफ से भारत में पैठ करने की कोशिश कम नहीं हुई लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने उनके मंसूबे को परवान नहीं चढ़ने दी।

सनद रहे कि हाल ही में आइएस के चंगुल से रिहा हो कर स्वदेश लौटे आंध्र प्रदेश के डॉक्टर कोसनम रामामूर्ति ने भी यह बताया है कि भारत में हर कीमत पर यह संगठन अपने पैर फैलाना चाहता है। आइएस के भारतीय मंसूबों का सबसे पहले पता जुलाई, 2015 में न्यूयार्क टाईम्स के एक विस्तृत आलेख से चला था। इसमें आइएस से जुडे़ आतंकियों ने कहा था कि भारत उनका अगला मुख्य निशाना होगा। उसके कुछ समय बाद आइएस की तरफ से एक वीडियो भी रिलीज किया गया था कि जिसमें भारत को लेकर कई तरह की धमकियां दी गई थी।

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