सिंचाई के साधनों में 14.2 लाख की हुई वृद्धि, लेकिन भूजल पर निर्भरता कायम; उत्तर प्रदेश इन योजनाओं में सबसे आगे
पांचवीं गणना में देश में कुल 2.17 करोड़ लघु सिंचाई योजनाएं दर्ज की गई थीं। लघु सिंचाई योजनाओं में उत्तर प्रदेश सबसे आगे हैं जबकि महाराष्ट्र मध्य प्रदेश और तमिलनाडु का नंबर उसके बाद आता है। उत्तर प्रदेश में लगभग 17 प्रतिशत लघु सिंचाई योजनाएं स्थित हैं। लघु सिंचाई योजनाओं से आशय सिंचाई के उन साधनों से है जो लगभग दो हजार हेक्टेयर भूमि को कवर करते हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश में सिंचाई के साधन तो बढ़ रहे हैं, लेकिन इसके लिए भूजल पर निर्भरता का सिलसिला बना हुआ है। पूरे देश में लघु सिंचाई योजनाओं की छठी गणना के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर भूजल तथा सतह वाले जल पर आधारित सिंचाई साधनों में 14.2 लाख की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। कोरोना के कारण छठी गठन के आंकड़े जारी करने में देरी हुई है।
क्या कहते हैं आंकड़े ?
पिछली गणना 2013-14 में की गई है और इस बार 2017-18 तक के आंकड़े लिए गए हैं। जलशक्ति मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार सिंचाई के साधनों की बेहद अहम तस्वीर सामने लाने वाली इस गणना के सातवें संस्करण की शुरुआत कर दी गई है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस समय देश में 2.31 करोड़ लघु सिंचाई योजनाएं हैं, जिनमें 94.8 प्रतिशत यानी 2.19 करोड़ भूजल योजनाएं हैं और केवल 5.2 प्रतिशत यानी 12.1 लाख योजनाएं सतह जल पर आधारित हैं।
कौन-कौन-सी योजना शामिल?
पांचवीं गणना में देश में कुल 2.17 करोड़ लघु सिंचाई योजनाएं दर्ज की गई थीं। लघु सिंचाई योजनाओं में उत्तर प्रदेश सबसे आगे हैं, जबकि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु का नंबर उसके बाद आता है। उत्तर प्रदेश में लगभग 17 प्रतिशत लघु सिंचाई योजनाएं स्थित हैं। लघु सिंचाई योजनाओं से आशय सिंचाई के उन साधनों से है जो लगभग दो हजार हेक्टेयर भूमि को कवर करते हैं। इनमें भूजल योजनाओं में खोदे गए कुएं, कम गहरे ट्यूबवेल, मध्यम और गहरे ट्यूबवेल शामिल हैं।
सतह वाले जल से संबंधित योजनाओं में ये राज्य
सतह वाली योजनाओं में एकत्र किए गए जल के साथ ही सरफेस लिफ्ट योजनाएं शामिल होती हैं। भूजल योजनाओं में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगना सबसे आगे हैं। दूसरी ओर सतह वाले जल से संबंधित योजनाओं में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, ओडिशा और झारखंड की हिस्सेदारी सबसे अधिक है।
लघु सिंचाई योजनाओं में खोदे गए कुओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक
रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर पांचवीं गणना के मुकाबले भूजल और सतह वाले जल स्तर की योजनाओं में क्रमश: 6.9 प्रतिशत तथा 1.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। लघु सिंचाई योजनाओं में खोदे गए कुओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। पंजाब जिस तरह गहरे ट्यूबवेल के मामले में सबसे आगे है, उससे इस राज्य में भूजल के गिरते स्तर को लेकर जारी चिंता को समझा जा सकता है।
गौरतलब है कि राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के संदर्भ में यह सामने आया है कि इन तीनों राज्यों में उपलब्ध जल संसाधन के मुकाबले जल का दोहन सौ प्रतिशत से अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार लगभग सभी (97 प्रतिशत से अधिक) लघु सिंचाई योजनाएं उपयोग में हैं।
अधिकांश लघु सिंचाई
योजनाएं (96.6 प्रतिशत) निजी स्वामित्व में हैं। रिपोर्ट ने पहली बार व्यक्तिगत स्वामित्व के मामले में लघु सिंचाई योजनाओं की लैंगिक स्थिति के बारे में भी जानकारी एकत्र की गई है। सभी व्यक्तिगत स्वामित्व वाली योजनाओं में 18.1 प्रतिशत का स्वामित्व महिलाओं के पास है।