Move to Jagran APP

IPEF सप्लाई चेन समझौते से भारत बनेगा मैन्यूफैक्चरिंग हब, चीन पर निर्भरता होगी कम

पिछले सप्ताह ही आईपीईएफ से जुड़े देशों के बीच सप्लाई चेन को लेकर समझौता हुआ है। आपीईएफ से जुड़े 14 देशों में आस्ट्रेलिया ब्रुनेई फिजी भारत इंडोनेशिया जापान दक्षिण कोरिया मलेशिया न्यूजीलैंड फिलिपींस सिंगापुर थाईलैंड अमेरिका व वियतनाम शामिल है।

By Shashank MishraEdited By: Shashank MishraPublished: Sat, 03 Jun 2023 08:03 PM (IST)Updated: Sat, 03 Jun 2023 08:03 PM (IST)
आत्मनिर्भर भारत और पीएलआई स्कीम को मिलेगा प्रोत्साहन।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। एशिया प्रशांत क्षेत्र (इंडो-पेसिफिक) में चीन के आर्थिक दबदबा को खत्म करने के उद्देश्य से बनाए गए इंडो-पेसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) के बीच सप्लाई चेन के समझौते से भारत को कई फायदे मिलने जा रहे हैं। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के मुताबिक आईपीईएफ के बीच होने वाले इस समझौते से भारत कई प्रमुख वस्तुओं का मैन्यूफैक्चरिंग केंद्र बन सकता है। वहीं, आत्मनिर्भर भारत व पीएलआई स्कीम को प्रोत्साहन मिलने के साथ देश के एमएसएमई को भी इसका लाभ मिलने जा रहा है।

loksabha election banner

2021 में आईपीईएफ की हुई शुरुआत

पिछले सप्ताह ही आईपीईएफ से जुड़े देशों के बीच सप्लाई चेन को लेकर समझौता हुआ है। आपीईएफ से जुड़े 14 देशों में आस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलिपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, अमेरिका व वियतनाम शामिल है।

कोरोना काल के दौरान भरोसेमंद व पारदर्शी सप्लाई चेन को स्थापित करने के साथ एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन के अतिक्रमण पर रोक लगाने की जरूरत महसूस की गई और वर्ष 2021 में आईपीईएफ की शुरुआत की गई।

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के मुताबिक इस समझौते पर अमल शुरू होने के बाद भारत सेमीकंडक्टर समेत कई क्रिटिकल वस्तुओं के उत्पादन का केंद्र बन सकता है जिससे भारत की घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता में बढ़ोतरी होगी।

प्रमुख वस्तुओं के उत्पादन के लिए निवेश में बढ़ोतरी होगी जिससे लॉजिस्टिक सेवा व अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार का मौका मिलेगा। इन सबका फायदा देश के एमएसएमई के साथ निर्यात को भी मिलेगा। वैश्विक अर्थव्यवस्था में 40 फीसद हिस्सेदारी इन 14 देशों की है।

श्रमिकों के अधिकारों का रखा गया ख्याल

मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक समझौते के तहत सभी देशों में सप्लाई चेन विकसित की जाएगी, लेकिन भारत की कुशल युवा आबादी व डिजिटल इंफ्रा को देखते हुए इस समझौते का सबसे अधिक फायदा भारत को मिल सकता है। भारत में मैन्यूफैक्चरिंग लागत भी कम है और भारत चीन के विपरीत लोकतांत्रिक व पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने वाला भरोसेमंद देश साबित हो चुका है।

समझौते पर अमल के लिए आईपीईएफ सप्लाई चेन काउंसिल का गठन किया जाएगा। काउंसिल पूरी सप्लाई चेन के लिए सेक्टर के हिसाब से मैकेनिज्म तैयार करेगी ताकि अति प्रमुख वस्तुओं की सप्लाई प्रभावित नहीं हो।

इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि सप्लाई चेन की स्थापना से किसी भी सदस्य देश की अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर नहीं पड़े। इसके अलावा एक लेबर बोर्ड एडवाइजरी बोर्ड का भी गठन किया जाएगा ताकि सप्लाई चेन में श्रमिकों के अधिकारों का पूरा ख्याल रखा जा सके।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.