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महंगाई पर काबू पाने की नायाब पहल

महंगाई पर काबू पाने और उसकी मार से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए सरकार ने नायाब पहल की है। कृषि उत्पाद सब्जियों व फलों को सड़ने से बचाने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी पर अमल करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नितिन गडकरी की पहल पर बुधवार को यहां अंतर मंत्रालय समूह की बैठक बुलाई गइ

By Edited By: Tue, 22 Jul 2014 11:01 PM (IST)
महंगाई पर काबू पाने की नायाब पहल

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। महंगाई पर काबू पाने और उसकी मार से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए सरकार ने नायाब पहल की है। कृषि उत्पाद सब्जियों व फलों को सड़ने से बचाने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी पर अमल करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नितिन गडकरी की पहल पर बुधवार को यहां अंतर मंत्रालय समूह की बैठक बुलाई गई है। इसमें नाभिकीय अनुसंधान से जुड़े वैज्ञानिक भी हिस्सा लेंगे।

गडकरी की पहल पर उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री राम विलास पासवान, उनके राज्यमंत्री रावसाहेब पाटिल दानवे, कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, उनके राज्यमंत्री संजीव बालयान, खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री वीके सिंह की बैठक बुलाई गई है। सरकार के इन प्रमुख मंत्रियों के समक्ष रेडियो एक्टिव टेक्नोलॉजी से जुड़े प्रमुख वैज्ञानिक प्रजेंटेशन देकर अपनी राय रखेंगे।

प्रौद्योगिकी के व्यापक प्रयोग को लेकर बुधवार को यहां परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ अनिल काकोदकर और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के खाद्य प्रौद्योगिकी डिवीजन के प्रमुख डॉ. एके शर्मा अपनी बात को सरकार के प्रमुख मंत्रियों के समक्ष पेश करेंगे। इसके अलावा बोर्ड ऑफ रेडिएशन एंड आइसोटोप टेक्नोलॉजी के चीफ एक्जीक्यूटिव डॉ. एके कोहली भी प्रजेंटेशन देंगे।

रेडियो एक्टिव टेक्नोलॉजी के प्रयोग से खाद्य व कृषि उत्पादों को जल्दी सड़ने से बचाया जा सकता है। इन उत्पादों की सेल्फलाइफ को बढ़ाना आसान हो जाएगा। इस प्रौद्योगिकी के प्रयोग से फसल कटाई के बाद होने वाले भारी नुकसान को घटाया जा सकता है। एक अनुमान के अनुसार कृषि उत्पादों का 27 फीसद हिस्सा खेत से उपभोक्ताओं तक पहुंचने में ही खराब हो जाता है। रेडिएशन से इसे संरक्षित किया जा सकता है।

इस क्षेत्र के विशेषज्ञों ने बताया कि रेडियो एक्टिव तकनीकी से न सिर्फ खाद्य वस्तुओं को सड़ने अथवा खराब होने से बचाया जा सकता है, बल्कि इसकी गुणवत्ता में भी वृद्धि की जा सकती है। इस प्रौद्योगिकी का उपयोग कर महाराष्ट्र के 10 हजार से अधिक प्याज किसानों ने लाभ उठाया है। इस तकनीकी का उपयोग किसानों ने काकोदकर की टीम की देखरेख में किया।

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