इंदिरा के हारने की घोषणा से डर रहे अफसर को पत्नी ने दिया था हौसला
हार की घोषणा करने से पहले रायबरेली के तत्कालीन चुनाव अधिकारी और डिप्टी कमिश्नर विनोद मल्होत्रा काफी डरे-सहमे थे।
नई दिल्ली। ये किस्सा सन् 1977 का है। आपातकाल के बाद जब चुनाव हुए तो कांग्रेस पार्टी की जबरदस्त हार हुई। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी खुद अपनी रायबरेली की सीट नहीं बचा सकीं।
ये देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के चुनिंदा ताकतवर नेताओं में शुमार श्रीमती गांधी के लिए बड़ा झटका था। ऐसे में, उनकी हार की घोषणा करने से पहले रायबरेली के तत्कालीन चुनाव अधिकारी और डिप्टी कमिश्नर विनोद मल्होत्रा काफी डरे-सहमे थे।
दरअसल, मल्होत्रा को भी ये भरोसा नहीं हुआ कि श्रीमती गांधी इतनी बुरी तरह हार गई हैं। वे जानते थे कि यदि वे हार भी गई हैं तो कुछ माह बाद कहीं से उपचुनाव लड़कर वापस पॉवर में आ जाएंगी। ऐसे में यदि आज उन्होंने हार की घोषणा की तो भविष्य में वे नाराज हो सकती हैं।
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मल्होत्रा का अंदेशा तब और बढ़ गया जब श्रीमती गांधी के एजेंट एमएल फोतेदार ने स्पष्ट परिणाम के बावजूद मतों की गिनती तीन बार करवाई। अन्य सिपहसालार ओम मेहता ने दो बार और आरके धवन ने तीन बार मल्होत्रा को फोन करके स्पष्ट रूप से कहा- 'श्रीमती गांधी की हार संबंधी नतीजे की घोषणा मत करना।"
तब डरे-सहमे मल्होत्रा अपने घर गए और सामने रखी छोटी-सी चारपाई पर बैठी अपनी पत्नी और बच्चे की तरफ देखा। उन्हें सहमा देख पत्नी माजरा समझ गई और पति को हिम्मत देते हुए बोलीं- 'आप मन से डर को निकालकर श्रीमती गांधी की हार की घोषणा कीजिए।
यदि कुछ बिगड़ा तो मैं बर्तन मांजकर भी अपने परिवार का पेट पाल लूंगी, लेकिन हम किसी कीमत पर बेईमानी नहीं करेंगे।" पत्नी की इस बात से मल्होत्रा का हौसला बढ़ गया। वे तमाम दबावों को किनारे कर आगे बढ़े और रायबरेली सीट से इंदिरा गांधी के बुरी तरह हार जाने की घोषणा कर डाली।