रेलकर्मियों से मांगे जाएंगे आमदनी बढ़ाने के सुझाव, लागू होने पर मिलेगा पुरस्कार
डीआरएम को निर्देश दिया गया है कि इस काम के लिए उन्हें वाणिज्य, वित्त तथा संपत्ति विभाग के ब्रांच अफसरों की सेवाएं लेनी चाहिए।
संजय सिंह, नई दिल्ली। यात्रियों के सामान पर शुल्क वसूलने का आइडिया कुंद हो गया तो क्या हुआ, रेलवे ने हिम्मत नहीं हारी है। किराया बढ़ाए बगैर आमदनी बढ़ाने की उसकी मुहिम जारी है। फर्क बस इतना है कि अब इसकी कमान रेलवे बोर्ड या महाप्रबंधकों के बजाय मंडल रेल प्रबंधकों को सौंप दी गई है। उनसे कहा है कि वे अपने डिवीजनों में कर्मियों को रेलवे की कमाई बढ़ाने के अभिनव उपाय सुझाने के लिए प्रोत्साहित करें। और यदि उनका कोई उपाय उपयुक्त लगता है तो उसे अपने डिवीजन में तुरंत लागू कर दें। इसके लिए उन्हें किसी से इजाजत लेने की जरूरत नहीं है।
किरायेतर आमदनी (नॉन फेयर रेवेन्यू) बढ़ाने के विचार को पूर्व रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने खास अहमियत दी थी। उन्होंने इसके लिए बाकायदा रेलवे बोर्ड में अलग से निदेशालय बना दिया था। नॉन फेयर रेवेन्यू में फिलहाल पार्सल, विज्ञापन व प्रचार, कैटरिंग, होटल व फूड प्लाजा तथा स्टेशन विकास से संबंधित अनुबंधों से प्राप्त आमदनी शामिल है। लेकिन इनसे रेलवे का काम नहीं चल रहा। इसलिए कुछ नए-अनोखे उपायों की तलाश की जा रही है।
सभी डीआरएम को निर्देश दिया गया है कि इस काम के लिए उन्हें वाणिज्य, वित्त तथा संपत्ति विभाग के ब्रांच अफसरों की सेवाएं लेनी चाहिए। इन अफसरों पर कर्मचारियों से प्राप्त नवीन उपायों का मूल्यांकन करने की जिम्मेदारी होगी। किसी भी ऐसे आइडिया को स्वीकार किया जाएगा, जिससे या तो आमदनी में बढ़ोतरी होती हो अथवा खर्च में कमी आती हो। आइडिया को स्वीकृति देते समय उससे होने वाली आय अथवा बचत का फौरी आकलन प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
नए आइडिया के नाम पर कर्मचारी आलतू-फालतू सुझाव पेश न करें इसके लिए प्रत्येक प्रस्ताव के साथ 1000 रुपये का शुल्क वसूलने को कहा गया है। कर्मचारियों को यह बात स्पष्ट कर दी जानी चाहिए कि उनका कोई आइडिया स्वीकृत होने का यह मतलब यह कतई नहीं लगाया जाना चाहिए कि उसे लागू ही किया जाएगा।
आइडिया लागू करने का निर्णय होने पर कर्मचारी के साथ बाकायदा एक एग्रीमेंट किया जाएगा, जिसमें इससे संबंधित समस्त शर्तों का उल्लेख होगा। डीआरएम को आइडिया देने वाले कर्मचारी को पुरस्कार के रूप में अग्रिम भुगतान का अधिकार होगा। यह राशि उस आइडिया से प्राप्त होने वाली संभावित आय के मुताबिक, किंतु कम से कम 10 हजार रुपये होगी। आइडिया को लागू करने के लिए डीआरएम आवश्यकतानुसार डिवीजन के अपने कर्मचारियों अथवा रेलवे पीएसयू अथवा बाहरी एजेंसियों (एनजीओ, स्वयं सहायता समूह अथवा सहकारी संस्थाओं) की सेवाएं ले सकते हैं। सफल आइडियाज को भविष्य में सभी डिवीजनों में लागू करने के लिए संस्थागत रूप देने के साथ-साथ आवश्यक नियम-कायदे तैयार किए जाएंगे तथा अंत में टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे।
इसी के साथ डीआरएम को आगाह किया गया है कि नॉन-फेयर रेवेन्यू बढ़ाने का कोई भी आइडिया धार्मिक अथवा राजनीतिक प्राकृति का नहीं होनी चाहिए। ऐसा कोई आइडिया लागू नहीं किया जाना चाहिए, जिससे रेलवे के परिचालन, सुरक्षा, संरक्षा, स्वच्छता, यात्रियों के मूवमेंट, पर्यावरणीय चिंताओं तथा मानकों पर बुरा असर पड़ने की संभावना हो। आइडिया के तहतकिसी प्रकार के अस्थायी निर्माण की इजाजत भी नहीं दी जा सकती।