भारतीय नौसेना चीन के मुकाबले सुदृढ़
विशेषज्ञों के अनुसार भारतीय नौसेना अपनी समुद्री सीमा की रक्षा करने में अब पूरी तरह से सक्षम हो गई है। यहीं नहीं भारतीय नौसेना चीन के मुकाबले काफी सुदृढ़ बन गई है। लेकिन समुद्री क्षेत्र के बढ़ते हुए महत्व के मद्देनजर इसे और सशक्त बनाए जाने की जरूरत है।
नई दिल्ली। विशेषज्ञों के अनुसार भारतीय नौसेना अपनी समुद्री सीमा की रक्षा करने में अब पूरी तरह से सक्षम हो गई है। यहीं नहीं भारतीय नौसेना चीन के मुकाबले काफी सुदृढ़ बन गई है। लेकिन समुद्री क्षेत्र के बढ़ते हुए महत्व के मद्देनजर इसे और सशक्त बनाए जाने की जरूरत है।
दिल्ली स्थित नेशनल मैरिटाइम फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो और विदेशी मामलों के विशेषज्ञ डॉ.अमित ने इस संदर्भ में कहा कि हमारे पास विमानवाहक युद्धपोत मौजूद है जबकि चीन अभी यह क्षमता पाने की कवायद में ही जुटा है। इसके अलावा भारत अपने बेड़े में परमाणु ईधन से चलने वाली पनडुब्बियों को भी शामिल कर रहा है।
सिंह का कहना है कि पांच अप्रैल को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय मैरिटाइम दिवस जैसे आयोजन समुद्री क्षेत्र को दिए जाने वाले महत्व को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि देश की विशाल समुद्री सीमा को देखते हुए हमें नौसेना पर सबसे अधिक ध्यान देने की जरूरत है और हम इसमें काफी हद तक सफल भी रहे हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि क्षेत्र में सामरिक मामले में प्रभावशाली चीन की नौसेना भी हमसे लगभग 10 साल पीछे है।
क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के बारे में अमित ने कहा कि चीन की कथनी व करनी में बहुत अंतर है। चीन के आक्रामक रुख को देखते हुए हम उस पर पूरी तरह भरोसा नहीं कर पाते। हाल के वर्षो में समुद्री क्षेत्र में उसकी बढ़ती हुई गतिविधियों से हमें सतर्क रहने की जरूरत है।
अमित ने कहा कि मुंबई हमलों में समुद्री क्षेत्र के इस्तेमाल की सच्चाई को हमें हमेशा याद रखना चाहिए और भविष्य में इस तरह के हादसों से बचने के लिए तटों की सुरक्षा की समीक्षा होती रहनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमें पाकिस्तान व श्रीलंका के साथ मछुआरों की समस्या और समुद्री डकैती के लिए भी पुख्ता कानून बनाने चाहिए।
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