इस महान ब्रिटिश उपन्यासकार के मोतिहारी स्थित जन्मस्थान पर संकट
मोतिहारी में महान ब्रिटिश उपन्यासकार का जन्म हुआ था। अब उनके जन्मस्थान पर महात्मा गांधी समर्थक अपना दावा ठोक रहे हैं।
नई दिल्ली। भारत स्थित मोतिहारी शहर को कौन नहीं जानता। यहीं से महात्मा गांधी के स्वतंत्रता आंदोलन शुरू हुआ था। इसके अलावा यहीं प्रसिद्ध ब्रिटिश उपन्यासकार का भी जन्म हुआ था और इनके जन्मस्थान को संरक्षित भी किया गया है पर अब महात्मा गांधी के प्रशंसक इस पर दावा ठोक रहे।
गांधी के ये प्रशंसक इस जगह पर भारतीय स्वतंत्रता के यादगार के लिए एक स्मारक चाहते हैं। महात्मा गांधी के पहले स्वतंत्रता अभियान की शुरुआत उसी भारतीय शहर से हुई जहां प्रसिद्ध उपन्यासकार जार्ज आर्वेल का जन्म हुआ था। वर्ष 1903 में यही जार्ज ऑरवेल का जन्म हुआ था। उस वक्त उनके पिता, आरडब्ल्यू ब्लेयर ब्रिटिश राज्य के लिए अफीम के एजेंट के तौर पर काम करते थे। उनके पिता चीन को अफीम का निर्यात करते थे। ब्रिटिश उपन्यासकार ने अपने जीवन का पहला साल नेपाली सीमा के पास स्थित किसी शहर में गुजारा था। आर्वेल के प्रशंसकों ने उनके जन्मस्थान को खोजा व इस घर को संरक्षित कराने के लिए अप्रूवल लिया और लेखक की यादें वहां सुरक्षित हो गयी। लेकिन दूसरी ओर महात्मा गांधी के प्रशंसक भी इसी जगह को अपने नेता के लिए यादगार बनाना चाहते हैं।
मोतिहारी स्थित अफीम की फैक्ट्री में जबर्दस्ती काम पर लगाए गए किसानों की मदद के लिए गांधीजी वहां पहुंचे। 1917 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में किसानों ने ब्रिटिश ऑपियम फैक्ट्री के खिलाफ प्रदर्शन किया था। यहीं से सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत हुई।
किसी तरह के विवाद के झमेले को एक ओर करते हुए भारतीय अधिकारियों ने बायीं ओर आर्वेल व दायीं ओर गांधी के स्मारक का प्रस्ताव दिया। टेलीग्राफ के अनुसार गांधी समर्थकों ने आर्वेल के नाम वाले क्षेत्र में बड़ा कारपार्क विकसित किया है जिसकी वजह से विवाद का जन्म हुआ है। आर्वेल सोसायटी सदस्य देबप्रिय मुखर्जी ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि उनलोगों ने आर्वेल का लिखा कुछ पढ़ा होगा या फिर उन्हें जानते तक होंगे। ये वैसे लोग हैं जो केवल आर्थिक लाभ पाना चाहते हैं। मोतिहारी के अधिकतर लोग ये जानते हैं कि वो कितने महान लेखक थे।'
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अब इस मामले की पड़ताल कर रहे एक स्थानीय मजिस्ट्रेट ने गांधी प्रशंसकों को इस बात का आदेश दिया है कि वे अपना काम बंद कर दें।
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