हाई कोर्ट ने कहा, बच्चे कुपोषित हैं तो विकास बेमानी
जस्टिस कनाडे ने कहा, 'हमारे राज्य में बच्चों की आबादी 40 करोड़ होगी। इनमें से 50 फीसद बच्चे गरीबी रेखा के नीचे हैं और कुपोषण के शिकार हैं।
मुंबई, प्रेट्र। बांबे हाई कोर्ट ने कहा है कि जब बच्चे कुपोषण के शिकार हों तो विकास बेमानी हो जाता है। अदालत ने बुधवार को कहा कि जब महाराष्ट्र में 50 फीसद बच्चे कुपोषित हैं तो ऐसी स्थिति में राज्य के विकास और समृद्धि का कोई अर्थ नहीं है। अदालत ने कहा कि इस समस्या के समाधान की दिशा में सरकार ने कोई गंभीर कदम नहीं उठाया है।
जस्टिस वीएम कनाडे और जस्टिस पीआर बोरा की खंडपीठ ने एक पीआइएल पर सुनवाई की। याचिका में कुपोषण से होने वाली मौतों में वृद्धि और विदर्भ के मेलघाट एवं अन्य जनजातीय इलाकों में बीमारी का मामला उठाया गया है।
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जस्टिस कनाडे ने कहा, 'हमारे राज्य में बच्चों की आबादी 40 करोड़ होगी। इनमें से 50 फीसद बच्चे गरीबी रेखा के नीचे हैं और कुपोषण के शिकार हैं। जब ऐसी स्थिति है तो राज्य में समृद्धि और प्रगति कहां हुई है।' खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार को आगामी बजट में इस मुद्दे के समाधान के लिए पृथक कोष आवंटित करना चाहिए। अगली सुनवाई एक मार्च होगी।
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