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राफेल, स्कोर्पियन सौदे को अंतिम रूप देने पर वार्ता जारी; भारत को युद्धक विमान बनाने की तकनीक देगा फ्रांस

पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा के दिन ही रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने इन दोनो की खरीद को मंजूरी दी थी। माना गया था कि पेरिस में इसकी अंतिम घोषणा होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि दोनो पक्षों के बीच सहमति है और इन बड़े रक्षा खरीद की राह में कोई बड़ी अड़चन नहीं है।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarPublished: Tue, 18 Jul 2023 10:36 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jul 2023 10:36 PM (IST)
स्कोर्पियन पनडुब्बी की खरीद को लेकर भी भारत और फ्रांस की कंपनियों के बीच पहले ही समझौता हो चुका है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय नौ सेना के लिए 26 राफेल युद्धक विमान और तीन स्कोर्पियन पनडुब्बी की खरीद को लेकर भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच और कंपनियों के बीच सहमति बन गई है, लेकिन अभी इसकी कीमत व कुछ दूसरे तकनीकी मुद्दों को अंतिम रूप दिया जाना है।

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यही वजह है कि सारी तैयारी के बावजूद पिछले हफ्ते पेरिस में पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति इमानुएल मैंक्रो के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में इसका जिक्र नहीं किया गया है।

इन बड़े रक्षा खरीद की राह में कोई बड़ी अड़चन नहीं

पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा के दिन ही रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने इन दोनो की खरीद को मंजूरी दी थी। माना गया था कि पेरिस में इसकी अंतिम घोषणा होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि दोनो पक्षों के बीच सहमति है और इन बड़े रक्षा खरीद की राह में कोई बड़ी अड़चन नहीं है।

मोटे तौर पर इन दोनों की खरीद की लागत 90 हजार करोड़ रुपये आने की संभावना है। यह पूछे जाने पर कि भारत और फ्रांस की तरफ से जारी अगले 25 वर्षों के सहयोग के रोडमैप में भी इन दोनो सौदों का जिक्र नहीं होने की वजह क्या है तो उक्त सूत्रों का कहना है कि यह बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है।

भारत के नौ सेना को राफेल की जरूरत

मसलन, राफेल युद्धक विमान को लेकर भारत का स्पष्ट तौर पर मानना है कि उसकी नौ सेना को इसकी जरूरत है। इसे कब अंतिम रूप दिया जाएगा, इसको लेकर भी बातचीत की जा रही है। इस बारे में दूसरे कई साझेदारों से भी बात की जानी है। स्कोर्पियन पनडुब्बी की खरीद को लेकर भी भारत और फ्रांस की कंपनियों के बीच पहले ही समझौता हो चुका है। रक्षा सौदों में आम तौर पर समझौता हो जाने के बाद उसकी गुणवत्ता व कीमत से जुड़ी कई मुद्दों को अंतिम रूप दिया जाता है।

दोनों देशों के बीच युद्धक विमानों के इंजन बनाने को लेकर बनी सहमति

इससे भारत और फ्रांस के रक्षा संबंधों को और विश्वसनीयता मिलेगी और यह और ज्यादा प्रगाढ़ होगा। फ्रांस और भारत के बीच युद्धक विमानों के इंजन बनाने को लेकर भी सहमति बनी है। इस बारे में सूत्रों का कहना है कि फ्रांस यह समझता है कि सिर्फ इंजन की बिक्री करने से भारत की समस्या का समाधान नहीं होगा। भारत जैसे बड़े व रणनीतिक ²ष्टिकोण से महत्वपूर्ण देश को इसकी तकनीक चाहिए ताकि बाद में वह अपनी जरूरत के मुताबिक इंजन बना सके।

फ्रांस की कंपनी बताएगी भारत को इंजन बनाने की तकनीक

फ्रांस की कंपनी साफरान इस तकनीक को भारत को देने को तैयार है, जिसे भारत की सेनाएं अपनी जरूरत के हिसाब से आगे भी विकसित कर सकेंगी। हाल ही में भारत ने अमेरिका की कंपनी जीई एयरोस्पेस के साथ भी युद्धक विमानों का निर्माण स्थानीय स्तर पर करने का फैसला किया है लेकिन साफरान की खासियत यह है कि वह भारत की जरूरत के मुताबिक इंजन बनाने की तकनीक देना चाहता है। यह पूरी तरह से एक नई तकनीक होगी।


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