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भारत का साफ संदेश, म्यांमार मामले में रणनीतिक हितों के मुताबिक लेगा फैसला

भारत पर अमेरिका व पश्चिमी देशों का दबाव रहता है कि वह म्यांमार के सैनिक शासन को लेकर ज्यादा कड़ाई दिखाए लेकिन अपने रणनीतिक हितों को देखते हुए भारत सरकार के लिए ऐसा करना संभव नहीं है। यह मुलाकात भी बताती है कि भारत म्यांमार की मौजूदा सरकार के साथ अपने रिश्तों को पूरी तरह सामान्य बनाने की तरफ बढ़ गया है।

By Jagran NewsEdited By: Amit SinghPublished: Tue, 18 Jul 2023 12:09 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jul 2023 12:09 AM (IST)
म्यांमार मामले में रणनीतिक हितों के मुताबिक फैसला लेगा भारत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: म्यांमार को लेकर भारत ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने रणनीतिक हितों के मुताबिक फैसला करेगा। रविवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने म्यांमार के विदेश मंत्री यू थान स्वे के साथ मुलाकात की और इसमें द्विपक्षीय संबंधों के साथ ही कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संबंधों को लेकर विस्तार से चर्चा की। यह दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की पहली मुलाकात है।

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भारत पर अमेरिका व पश्चिमी देशों का दबाव रहता है कि वह म्यांमार के सैनिक शासन को लेकर ज्यादा कड़ाई दिखाए, लेकिन अपने रणनीतिक हितों को देखते हुए भारत सरकार के लिए ऐसा करना संभव नहीं है। यह मुलाकात भी बताती है कि भारत म्यांमार की मौजूदा सरकार के साथ अपने रिश्तों को पूरी तरह सामान्य बनाने की तरफ बढ़ गया है। भारत की तरफ से बताया गया है कि दोनों विदेश मंत्रियों के बीच भारत-म्यांमार-थाईलैंड के बीच सड़क संपर्क स्थापित करने के अलावा सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाली, मानव व मादक दवाओं की तस्करी को रोकने जैसे मुद्दों पर बात हुई।

विदेश मंत्री मेकांग गंगा सहयोग पर गठित समिति और बिम्सटेक देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए थाईलैंड में है। वहीं पर उनकी म्यांमार के विदेश मंत्री से मुलाकात हुई। जयशंकर ने म्यांमार और थाईलैंड से उक्त सड़क मार्ग से जुड़े काम को तेज करने का आग्रह भी किया। साथ ही म्यांमार में मानवीय स्थिति पर भी जयशंकर ने अपनी चिंताएं प्रकट की। म्यांमार की तरफ से उन्हें आश्वासन दिया गया कि वहां की सरकार आर्थिक विकास, शांति व लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए पांच सूत्रीय फार्मूले पर काम कर रही है।

म्यांमार की सेना ने फरवरी, 2021 में आन सान सू की की सरकार का तख्ता पलट दिया था। इससे नाराज अमेरिका व पश्चिमी देश म्यांमार पर लगातार दबाव बना रहे हैं कि वहां फिर से लोकतंत्र की स्थापना हो। दूसरी तरफ चीन ने वहां की सेना को पूरा समर्थन देने की नीति अपना रखी है। भारत की म्यांमार के साथ 1,600 किलोमीटर लंबी सीमा है। पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा का मामला काफी हद तक म्यांमार से जुड़ा हुआ। यही वजहें हैं कि भारत लगातार म्यांमार के साथ रिश्तों को लेकर काफी सोच समझकर कदम उठाता है। भारत म्यांमार में कुछ बड़ी परियोजनाएं भी लगा रहा है।

बिम्सटेक देशों के विदेश मंत्रियों की भी बैठक

सोमवार को बैंकाक में बिम्सटेक देशों के विदेश मंत्रियों की भी बैठक हुई। यह बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और थाईलैंड का एक संगठन है जिसे भारत खासा महत्व दे रहा है। पाकिस्तान के रवैये की वजह से सार्क संगठन निष्कि्रय होने के बाद से भारत इस संगठन को ज्यादा बढ़ावा दे रहा है ताकि क्षेत्रीय सहयोग की प्रक्रिया चलती रहे। वर्ष 2016 में भारत ने इन देशों के प्रमुखों बैठक बुलाई थी। अब 30 नवंबर, 2023 को थाईलैंड में फिर से बिम्सटेक की शिखर बैठक होने वाली है जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हिस्सा लेने की संभावना है। भारत बिम्सेटक के सदस्य देशों के बीच बेहतर ढांचागत संपर्क स्थापित करने पर जोर दे रहा है।

नेपाल व बांग्लादेश के विदेश मंत्रियों से भेंट

बिम्सटेक बैठक से इतर जयशंकर ने सोमवार को नेपाल और बांग्लादेश के विदेश मंत्रियों से मुलाकात की और आपसी हितों के विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओ-चा से भी मुलाकात की और बिम्सटेक को और मजबूत बनाने के उपायों पर चर्चा की।


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