प्राइम टीम, नई दिल्ली। केंद्र सरकार दो साल पहले लागू हुई नई टैक्स प्रणाली को मुख्य कर व्यवस्था बनाना चाहती है। यही कारण है कि आम बजट 2023-24 में सरकार ने पुरानी टैक्स प्रणाली में कोई बदलाव नहीं किया, ना ही किसी प्रकार की कटौती या छूट में इजाफा किया। इसके विपरीत नई टैक्स प्रणाली में न सिर्फ टैक्स स्लैब बढ़ा दिया गया, बल्कि करमुक्त आय की सीमा भी पांच लाख रुपए से बढ़ाकर 7 लाख रुपए कर दी गई। बजट में हुए बदलावों के बाद ज्यादातर लोग दुविधा में हैं कि उनके लिए कौन सा विकल्प बेहतर है? पुरानी टैक्स प्रणाली में क्या कोई बदलाव किया गया है? टैक्स स्लैब में बदलाव किस टैक्स प्रणाली में हुए हैं? आपके मन उठ रहे सभी सवालों के जवाब लेकर आए हैं हमारे विशेषज्ञ।

बजट में आयकर प्रावधानों में क्या बदलाव किए गए हैं?

देश में दो तरीके की आयकर प्रणाली लागू है। पुरानी टैक्स प्रणाली और नई टैक्स प्रणाली। दोनों ही प्रणाली में अब तक पांच लाख रुपए तक की आय करमुक्त थी। सरकार ने बजट में नई टैक्स प्रणाली में करमुक्त आय को 7 लाख रुपए कर दिया है। इसके अलावा, नई टैक्स प्रणाली में टैक्स स्लैब की सीमा में इजाफा कर दिया है और स्लैब की संख्या भी 7 से घटाकर 5 कर दी। अब तक सिर्फ पुरानी टैक्स प्रणाली में मिलने वाली 50 हजार रुपयों की मानक कटौती को नई टैक्स प्रणाली पर भी लागू कर दिया गया है। बजट में पुरानी टैक्स प्रणाली में कोई भी बदलाव नहीं किया गया है।

नई प्रणाली में ही बदलाव करने की क्या वजह है?

नई कर प्रणाली का मकसद करदाताओं को एक सरल कर व्यवस्था देना था। लेकिन इस व्यवस्था में कोई कटौती या छूट न मिलने की वजह से सिर्फ पांच लाख करदाताओं ने इसे अपनाया था। ऐसे में पुरानी कर व्यवस्था की तुलना में नई व्यवस्था को आकर्षक बनाने के लिए सरकार ने नई कर प्रणाली में बदलाव किए हैं।

पुरानी कर व्यवस्था और नई कर व्यवस्था में क्या अंतर है?

पुरानी टैक्स व्यवस्था में कर की दर ज्यादा है, जबकि करमुक्त आय की सीमा 5 लाख रुपए है। लेकिन इस व्यवस्था में तमाम तरह की बचत, निवेश और खर्चों पर छूट मिलने का प्रावधान है। नई कर प्रणाली में कर की दर कम है। करमुक्त आय की सीमा 7 लाख रुपए है। लेकिन इसमें मानक कटौती के अलावा किसी प्रकार की कटौती नहीं मिलती। मानक कटौती भी सिर्फ वेतनभोगियों और पेंशनधारियों को मिलती है।

बजट में हुए बदलावों के बाद मुझे कौन सी कर प्रणाली अपनानी चाहिए?

यदि आपके पास होम लोन, 80-सी में पर्याप्त निवेश, हेल्थ इंश्योरेंस, एनपीएस, एचआरए जैसी पर्याप्त कटौतियां हैं तो आपको तुलना करनी चाहिए कि आपके लिए दोनों प्रणाली में से कौन सी ज्यादा किफायती है। एक अनुमान है कि यदि हमारी कटौतियां आय के 30 फीसदी के बराबर हैं तो ओल्ड स्कीम फायदेमंद है। अन्य मामलों में नई टैक्स प्रणाली फायदेमंद होगी।

मेरी आय नौ लाख रुपए है। क्या मुझे 9 लाख और 7 लाख के अंतर यानी 2 लाख रुपए पर टैक्स भरना होगा?

जी नहीं, आपको पूरे नौ लाख रुपए पर स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा। इसमें तीन लाख रुपए तक शून्य कर, 3-6 लाख पर 5%, 6-9 लाख पर 10% टैक्स लगेगा। इस प्रकार आपको 45 हजार एवं 4% शिक्षा और स्वास्थ्य सेस टैक्स के रूप में चुकाने होंगे। हां, यदि आप वेतनभोगी या सेलरीड हैं तो आपको कर योग्य आय में 50 हजार रुपए की मानक कटौती मिल जाएगी।

मेरी सालाना आय सात लाख रुपए से कम है। क्या मुझे इनकम रिटर्न भरना होगा?

यदि आपकी आय तीन लाख रुपए से अधिक है, तो आपके लिए रिटर्न भरना अनिवार्य है, भले ही आपकी करदेयता शून्य बन रही हो। 3 लाख रुपए से कम आयवर्ग के लोगों को आयकर रिटर्न भरने से छूट है।

करयोग्य आय क्या है?

करयोग्य आय आपकी वो इनकम होती है, जिस पर आपको टैक्स देना होता है। सभी भत्तों या आयकर प्रावधानों के तहत मिलने वाली टैक्स छूट को छोड़ कर बची आपकी इनकम कर योग्य आय होती है।

करयोग्य आय की गणना कैसे होती है?

इनकम टैक्स की गणना आपकी कर योग्य आय पर लागू टैक्स स्लैब के आधार पर की जाती है। टैक्स योग्य आय की जानकारी प्राप्त करने के लिए, आपकी आय के सभी स्रोतों (सैलरी, किराया, पूंजीगत लाभ आदि) से कुल आय की जानकारी ली जाती है। इसमें से उन कटौतियों और छूटों को घटाया जाता है, जिनके लिए आप पात्र हैं।

नई कर व्यवस्था को चुनने के लिए क्या करना होगा?

इनकम टैक्स विभाग ने इसे अब डिफॉल्ट कर दिया है। आपको नई कर व्यवस्था को चुनने के लिए कुछ नहीं करना होगा। आपको पहले ये ही विकल्प मिलेगा।

पुरानी कर व्यवस्था में बने रहना है तो क्या करना होगा?

आपको अगर पुरानी कर व्यवस्था के तहत ही रिटर्न भरना है तो आपको इस विकल्प को चुनना होगा। इसके लिए एक अलग फॉर्म भरना होगा।

क्या पुरानी और नई कर व्यवस्था में आया जाया जा सकता है?

अगर आप बिजनेस करते हैं तो पुरानी कर व्यवस्था से नई कर व्यवस्था में आने के बाद आप वापस नहीं जा सकते। हालांकि अगर आप वेतनभोगी हैं तो आपको नई कर व्यवस्था से पुरानी कर व्यवस्था में जाने का विकल्प मिलता है।

पुरानी प्रणाली में इनकम टैक्स में कहां-कहां बचत की जा सकती है?

इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 80सी के तहत टैक्सपेयर वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर टैक्स छूट का लाभ उठा सकता है। इसमें आप पीपीएफ (PPF), एलाईसी (LIC), बच्चों की ट्यूशन फी, ईपीएफ (EPF) और टैक्स फ्री म्यूचुअल फंड (ELSS) को क्लेम कर सकते हैं। साथ ही अगर कोई होम लोन चल रहा है, तो आप चुकाए गए मूलधन को भी 80सी में क्लेम कर सकते हैं। एनपीएस (NPS) पर 50 हजार रुपए की कटौती का प्रावधान है। होम लोन पर चुकाए ब्याज पर अतिरिक्त दो लाख रुपए तक छूट मिलती है। आप इनकम टैक्स की धारा 80D के जरिए 75 हजार रुपए क्लेम कर सकते हैं। इसमें अपने लिए 25 हजार रुपए का हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम और माता-पिता के लिए 50 हजार रुपए का हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम शामिल है।

कारोबारियों के लिए आयकर में क्या बदलाव किए गए हैं?

बजट 2023 में छोटे कारोबारियों को टैक्स ऑडिट के मामले में बड़ी राहत दी गई है। कारोबारियों के लिए presumptive taxation के लिए सालाना कारोबार (टर्नओवर) की सीमा को बढ़ाकर 3 करोड़ रुपए तक कर दिया गया है। पहले यह सीमा 2 करोड़ रुपए थी। पेशेवरों के मामले में इस सीमा को 50 लाख रुपए से बढ़ाकर 75 लाख रुपए तक कर दिया गया है। इस स्कीम के तहत कारोबारियों को टैक्स ऑडिट से छूट मिलती है।