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Indepth: बाबरी ढांचा गिराने वाले बलबीर अब 'आमिर' बनकर बनवा रहे मस्जिदें

अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराने वाले बलवीर अब आमिर बनकर मस्जिदों का निर्माण करा रहे हैं।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Tue, 02 Jan 2018 10:12 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jan 2018 01:25 PM (IST)
Indepth: बाबरी ढांचा गिराने वाले बलबीर अब 'आमिर' बनकर बनवा रहे मस्जिदें

नई दिल्ली (एजेंसी)। बाबरी ढांचा विध्वंस की कहानी से तो हम सभी परिचित हैं, लेकिन क्या आप विवादित ढांचे को गिराने में शामिल बलबीर सिंह को जानते हैं। नहीं जानते हैं हम तो बता दें कि बलबीर सिंह को अब मोहम्मद आमिर के नाम से जाना जाता है। करीब 25 साल पहले बलबीर उन मुठ्ठीभर कारसेवकों में से एक थे, जिन्होंने ढांचे के गुंबद पर चढ़कर हथौ़ड़े से वार किया था। हालांकि अब उन्होंने 100 मस्जिदों के पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी ली है। इतना ही नहीं, अब वह एक अच्छे वक्ता बन चुके हैं और इस्लाम के बारे में प्रभावी रूप से बात भी करते हैं।

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बलबीर से आमिर बनने की कहानी

इतिहास, राजनीति शास्त्र और अंग्रेजी में मास्टर्स की डिग्री लिए मोहम्मद आमिर के बारे में जानने के लिए हमें 25 साल पीछे जाना होगा। बलबीर से आमिर बनने की यात्रा के बारे में वह कहते हैं, 'मैं हरियाणा के पानीपत के पास एक गांव का रहने वाला राजपूत हूं। मेरे पिता कट्टर गांधीवादी व्यक्ति थे। वह अपने बेटों से भी उन्ही विचारों पर चलने के लिए कहते थे। उन्हें कई बार भेदभाव का भी सामना करना पड़ता था।' इस दौरान बलबीर आरएसएस से भी जुड़े और करीब 10 साल बाद बलबीर शिवसेना में शामिल हो गए। बाद में मुस्लिमों के खिलाफ माहौल बनने पर वह दिसंबर के पहले हफ्ते घर से आयोध्या के लिए निकल पड़े और अपने साथियों के साथ तय किया था कि कुछ किए बिना वापस नहीं आना है।

पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके

घटना को अंजाम देने के बाद बलवीर जब अपने दोस्तों के साथ पानीपत पहुंचें तो उनका हीरो की तरह स्वागत किया गया। बेटे की हरकत से आहत पिता ने बलवीर के वापस लौटते ही फरमान जारी किया कि या तो वह घर में रहेंगे या फिर उनके पिता। उन्होंने उसी वक्त घर छोड़ दिया। कई महीनों बाद उनके पिता की मौत हो गई। जब बलवीर घर पहुंचे तो उन्हें पता चला कि अंतिम संस्कार उनका दूसरा भाई ही करेगा। बलबीर के लिए यह किसी झटके से कम नहीं था।

कारसेवक से इस्लाम अपनाने की दास्तां

बलबीर बाद में सोनीपत के मौलाना कलीम सिद्दीकी से मिलने पहुंचें। बलबीर ने कहा, 'मैं सिर्फ उनसे मिलकर अपनी हरकत पर पश्चाताप करना चाहता था। मैंने मौलाना से कुछ दिन मदरसे में रहने की गुजारिश की।' मौलाना ने कहा कि आपने एक मस्जिद गिराई है लेकिन आप कई मस्जिदों के निर्माण में सहयोग दे सकते हैं। मौलाना के इन शब्दों ने बलवीर की जिंदगी बदल दी। बस उसी वक्त उन्होंने इस्लाम अपनाने का फैसला कर लिया।

बनवा चुके हैं कई मस्जिद

1993 से लेकर 2017 के दौरान उन्होंने कई मस्जिदों के निर्माण में योगदान दिया। उन्होंने कई मस्जिदों का पुनर्निमाण कराने में भी अपना योगदान दिया। अब उनका मकसद 100 मस्जिदों का पुनर्निर्माण कराना है।

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