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करोड़ों दिव्यांगजनों में से अब तक सिर्फ 21 लाख के ही बने पहचान पत्र, सुस्त रवैए से केंद्र हुआ नाराज

केंद्र सरकार की चिंता इसलिए ज्यादा बढ़ गई है कि क्योंकि देश के कुल 2.68 करोड़ दिव्यांगजनों में से अब तक कुल 21 लाख के ही पहचान पत्र बन पाए हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 09:16 PM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 09:19 PM (IST)
करोड़ों दिव्यांगजनों में से अब तक सिर्फ 21 लाख के ही बने पहचान पत्र, सुस्त रवैए से केंद्र हुआ नाराज
करोड़ों दिव्यांगजनों में से अब तक सिर्फ 21 लाख के ही बने पहचान पत्र, सुस्त रवैए से केंद्र हुआ नाराज

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिव्यांगजनों के लिए बनाए जाने वाले विशिष्ट दिव्यांगता पहचान पत्र (UDID) को लेकर राज्यों के सुस्त रवैए पर केंद्र ने नाखुशी जताई है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने इसे लेकर ऐसे सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक सख्त पत्र भी लिखा है, जहां प्रोजेक्ट का काम बेहद धीमा चल रहा है।

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केंद्र की यह चिंता इसलिए भी है, क्योंकि देश के कुल 2.68 करोड़ दिव्यांगजनों में से अब तक कुल 21 लाख के ही पहचान पत्र बन पाए है, जबकि प्रोजेक्ट शुरू हुए करीब तीन साल हो चुका है। UDID को लेकर फिलहाल जिन राज्यों में बेहतर काम हुआ है, उनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना शीर्ष है, जबकि गुजरात और उड़ीसा का प्रदर्शन भी संतोषजनक है। इसके अलावा सभी राज्यों का प्रदर्शन खराब रहा है।

हालांकि इनमें जिनका प्रदर्शन बेहद खराब है, उनमें पश्चिम बंगाल सबसे आगे है, जहां अब तक सिर्फ चार लोगों के ही कार्ड बने है, जबकि नगालैंड में अभी तक प्रोजेक्ट पर काम ही नहीं शुरु हो सका है। खासबात यह है कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने इससे पहले भी जून महीने में राज्यों को पत्र लिखकर यूडीआईडी बनाने के काम में तेजी लाने के निर्देश दिए थे।

दिव्यांगजनों के लिए इसलिए है जरूरी

दिव्यांगजनों के लिए यूडीआईडी इसलिए अहम है, क्योंकि इससे दिव्यांगजनों को अपनी पहचान को प्रमाणित करने के लिए अलग-अलग दस्तावेज नहीं रखने होंगे। यह उनकी पहचान का एक प्रमाणिक दस्तावेज होगा। इसके साथ ही इसकी मदद से उसे ब्लाक स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर की सभी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। इसके साथ ही उन्हें मिलने वाली सुविधाओं की निगरानी करने में भी मदद मिलेगी। अभी दिव्यांगजनों को अपनी पहचान पत्र से जुड़े दस्तावेजों के लिए भटकना पड़ता है, साथ ही एक समय अंतराल पर उसे फिर से सत्यापित कराना पड़ता है।

इन राज्यों का प्रदर्शन मिला खराब

जिन राज्यों का प्रदर्शन खराब पाया गया है, उनमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, असम, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, त्रिपुरा, उत्तराखंड, गोवा, दिल्ली आदि शामिल है।

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