बिना सर्जरी के महिला के फेफड़े से निकाला हाइडैटिड सिस्ट, जानिए- कैसे हुआ पूरा ऑपरेशन
डॉक्टरों ने क्रायोप्रोब (शरीर के ऊतकों को फ्रीज करने की प्रक्रिया) की मदद से झिल्ली को फ्रीज किया और मुंह के रास्ते बाहर निकाला। इससे मरीज को तुरंत राहत मिल गई।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। डॉ. बीएल कपूर (बीएलके) अस्पताल के डॉक्टरों ने श्रीनगर की 45 वर्षीय महिला रूही अन निशा के दाहिने फेफड़े से बुधवार को हाइडैटिड सिस्ट (सफेद झिल्लीदार संरचना) को बिना सर्जरी के निकाल दिया। अस्पताल में चेस्ट एंड रेस्पिरेटरी डिजीज के विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप नायर के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने यह कार्य किया। हाइडैटिड सिस्ट की वजह से मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी।
डॉक्टरों ने क्रायोप्रोब (शरीर के ऊतकों को फ्रीज करने की प्रक्रिया) की मदद से झिल्ली को फ्रीज किया और मुंह के रास्ते बाहर निकाला। इससे मरीज को तुरंत राहत मिल गई। वहीं, डॉ. नायर ने बताया कि इसका सामान्य तरीका ओपन सर्जरी के जरिये झिल्ली को हटाना है। साथ ही कीमोथेरेपी भी दी जाती है। ये झिल्ली इतनी नाजुक होती है कि ताली बजाने पर भी टूट सकती हैं। मरीज सर्जरी कराने के पक्ष में नहीं थीं और सांस लेने में परेशान थीं। इसलिए सर्जरी करने के बजाय टूटी हुई झिल्ली को फ्रीज किया और छाती को खोले बिना मुंह के रास्ते निकाल दिया। पूरी प्रक्रिया में करीब 45 मिनट का समय लगा।
इस बेहद मुश्किल काम को अंजाम देने वाले डॉक्टरों ने बताया कि अगर हमने सर्जरी का विकल्प चुना होता, तो हमें जटिलताओं का सामना करना पड़ता। यह दुनिया में अपनी तरह की पहली प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के बाद मरीज को तुरंत राहत मिल गई। अब उसे अगले तीन महीनों के लिए दवाइयां दी जाएंगी।
मरीज में इस वर्ष जुलाई में इस समस्या के प्रारंभिक लक्षण प्रकट हुए और बेचैनी हुई। साथ ही खांसते समय खून भी निकल रहा था और मुंह में नमकीन कड़वा स्वाद महसूस हो रहा था। मरीज ने छाती का सीटी स्कैन कराया तब पता चला कि दाएं फेफड़े के निचले हिस्से में टेनिस बॉल के बराबर की झिल्ली टूटी हुई है। इसके बाद मरीज कश्मीर के अस्पताल में इलाज के लिए गई जहां उन्हें इलाज के लिए दिल्ली जाने की सलाह दी गई।