घटिया राजनीति के लिए हुर्रियत जम्मू कश्मीर के युवाओं को कर रही बर्बाद
हुर्रियत कांफ्रेंस जम्मू कश्मीर के युवाओं को हाथों में बंदूक थमाने और जेहाद के नाम अलगाव फैलाने की घटिया राजनीति कर रही है।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। कश्मीर में लगातार पिछले वर्ष से जारी तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। हालांकि इस तनाव को बढ़ाने में जिस तरह से अलगावादी नेता अपनी भूमिका निभाते आ रहे हैं वह किसी से अछूता नहीं रहा है। अब एक टीवी चैनल द्वारा इसका सच दिखाए जाने के बाद हुर्रियत की हकीकत एक बार फिर से सामने आ गई है। अपने आपको कश्मीरियों का सबसे बड़ा हमदर्द बताने वाली हुर्रियत कांफ्रेंस इस स्टिंग के जाल में ऐसी फंसी है कि जिसको वह झूठला नहीं सकती है। इस स्टिंग में हुर्रियत का एक नेता पत्थरबाजी कराने और इसके लिए पैसा देने से लेकर स्कूलों में आग लगाने जैसे कड़वे सच को आराम से बताता दिखाई दे रहा है।
आतंकी मूसा ने भी खोला था कच्चा चिट्ठा
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि हुर्रियत को लेकर इस तरह की बात सामने निकलकर आई हो। कुछ ही दिन पहले आतंकी बुरहान वानी की जगह घाटी में हिजबुल की कमान संभालने वाले आतंकी जाकिर मूसा ने भी हुर्रियत नेता सईद अली शाह गिलानी का कच्चाचिट्ठा खोला था। एक वीडियो संदेश में उसने हुर्रियत नेताओं की हकीकत को बयां करते यह साफ कर दिया था कि जम्मू कश्मीर में यहां के युवाओं को अलगाव के रास्ते पर चलने की नसीहत देने वाले और उनको बंदूक उठाने के लिए भड़काने वाले यही लोग है।
मूसा ने वीडियो के जरिए दी थी धमकी
अपने वीडियो में मूसा ने अब नया सुर अलापने वाले इन नेताओं को धमकी तक दे डाली थी कि यदि उन्होंने अपने पहले के रुख में बदलाव किया तो उनका सिर काट कर लाल चौक पर टांग दिया जाएगा। यह वह सच है जिसको अब पूरी दुनिया देख चुकी है। जम्मू कश्मीर को लेकर हुर्रियत कांफ्रेंस की पॉलिसी शुरू से ही एक ढर्रे पर रही है, वह है अलगाव फैलाना। मूसा वीडियो में यह कहते सुना जा सकता है कि गिलानी और हुर्रियत ने ही पहले कश्मीर में इस्लामिक राज कायम करने का हवाला देते हुए यहां के युवाओं से बंदूक उठाने और इसके लिए जेहाद करने को कहा था अब वही लोग इसको कश्मीर की जंग करार दे रहे हैं। कुरान की एक आयत का जिक्र करते हुए जाकिर ने कहा कि हुर्रियत नेता सिर्फ सियासी नेता हैं और वह हमारे लीडर नहीं हो सकते।
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युवाओं को बर्बाद कर रही हुर्रियत
यह बयान अपने आप में साफ करता है कि हुर्रियत किस तरह से घाटी की युवा फसल को बर्बाद करने पर तुली है। बुरहान वानी की मौत के बाद जिस तरह से कश्मीर के अलगाववादी नेताओं ने उसको हीरो बनाने का काम किया है वह भी किसी से अछूता नहीं रहा है। हुर्रियत हमेशा से ही पाकिस्तान के दिशा निर्देशों पर चलता रहा है और घाटी में आतंकियों का जेहाद या आजादी की लड़ाई के नाम पर समर्थन करता रहा है। मूसा ने जो हुर्रियत की हकीकत को सामने लाने का काम किया है हिजबुल उससे खफा दिखाई दे रहा है। इसी वजह से उसने मूसा के बयान से किनारा कर लिया।
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मूसा ने अलग किए रास्ते
वहीं इससे नाराज मूसा ने हिजबुल मुजाहिद्दीन से किनारा कर लिया है। अब मूसा और हिजबुल के रास्ते अलग अलग हैं। टीवी चैनल के स्टिंग में अलगाववादी नेता कई जगहों पर माहौल अशांत करने की बात कह रहा है। यहां पर एक बात और ध्यान देने लायक है और वह यह है कि नोटबंदी के दौर में अचानक से जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजी और आतंकी घटनाएं कम हो गई थीं। लेकिन एक बार फिर से इनमें तेजी आती दिखाई दे रही है। उस वक्त पैसा न मिलने की वजह से ही इन घटनाओं में कमी आई थी।
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मामला बेहद पेचीदा
इस बारे में बात करते हुए कश्मीर मामलों के जानकार शेषनारायण सिंह का कहना था कि जम्मू कश्मीर में लगातार सरकारें गलती करती आ रही हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर में हो रही पत्थरबाजी और आतंकी घटनाओं के लिए शुरू से ही हुर्रियत के माध्यम से पाकिस्तान पैसा देता रहा है। जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्से पर कब्जा पाने के बाद और इसके कुछ हिस्से को चीन को सौंपने के बाद मामला बेहद पेचीदा हो गया है। पाकिस्तान को चीन अमेरिका से बेतहाशा रकम मिल रही है जिसे वह जम्मू कश्मीर में भेज रहा है। उनका कहना है कि राज्य सरकार वहां पर हो रही सरकार विरोधी चीजों को रोकने में नाकाम रही है। वहीं वहां के युवा अलगाववादियों के झांसे में इसलिए भी अा जाते हैं क्योंकि वहां पर शिक्षा व्यवस्था बेहद लचर है। केंद्र में मौजूद विपक्ष का कमजोर होना एक बड़ी वजह बन गया है।
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