International Women's Day 2019: पुरुष प्रधान समाज में शीर्ष मुकाम बनाने वाली देश की पहली महिलाओं को सलाम
International Womens Day 2019 भारत में उन महिलाओं का एक लंबा इतिहास रहा है जिन्होंने लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ा है और पुरुष प्रधान समाज में शीर्ष मुकाम बनाने वाली पहली महिला बनीं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। International Women's Day 2019- भारत में उन महिलाओं का एक लंबा इतिहास रहा है, जिन्होंने लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ा है और पुरुष प्रधान समाज में शीर्ष मुकाम बनाने वाली पहली महिला बनीं। ऐसी महिलाओं ने देश को गौरवान्वित किया है। देश का नाम रोशन करने वाली इन नारियों के कृतित्व-व्यक्तित्व पर पेश है विशेष सामग्री:
साइना नेहवाल:
2015 में विश्व बैडमिंटन रैंकिंग में पहला स्थान पाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
मैरी कॉम:
लंदन में आयोजित 2012 ओलंपिक में मुक्केबाजी में पदक जीतने वाली देश की पहली महिला बनीं। इसमें उन्होंने कांस्य पदक हासिल किया था। यही नहीं, वह इकलौती महिला हैं, जो छह बार विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता भी जीत चुकीं हैं।
लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी:
गणतंत्र दिवस परेड 2019 में पुरुषों की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला सेना अधिकारी बनकर इतिहास रचा दिया।
अरुणिमा सिन्हा:
2013 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली दुनिया की पहली दिव्यांग महिला बनीं। साथ ही अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट विंसन को फतह करने वाली दुनिया की पहली दिव्यांग महिला बनीं।
यह भी पढ़ें - International Women's Day: जानिए- क्यों याद आए 'वो सुबह कभी तो आएगी' लिखने वाले साहिर
प्रांजल पाटिल:
भारत की पहली दृष्टिबाधित महिला आइएस अधिकारी बनीं। पिछले साल पाटिल ने केरल में एर्नाकुलम जिले के सहायक कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभाला।
डॉ जीसी अनुपमा:
19 फरवरी, 2019 को देश में पेशेवर खगोलविदों के प्रमुख संघ, एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की पहली महिला प्रमुख बनीं।
फ्लाइट लेफ्टिनेंट हिना जायसवाल:
16 फरवरी, 2019 को भारतीय वायु सेना में शामिल होने वाली पहली महिला फ्लाइट इंजीनियर बनकर देश को गौरव दिलाया।
शांति देवी:
भारत में पहली महिला ट्रक मेकैनिक बनीं और 20 से अधिक वर्षों से काम कर रही हैं।
कविता देवी:
डब्ल्यूडब्ल्यूई में पहली भारतीय महिला पहलवान बनकर इतिहास रचा।
हरमनप्रीत कौर:
9 नवंबर, 2018 को टी 20 प्रारूप में शतक बनाने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बनीं। यह शतक उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ लगाया था।
फ्लाइंग ऑफिसर अवनि चतुर्वेदी:
19 फरवरी, 2018 को लड़ाकू विमान को अकेले उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। उन्होंने एक मिग -21 बाइसन को उड़ाया था।
एमए स्नेहा:
कानूनी रूप से जाति और धर्म से न पहचानी जाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से जुड़ी अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
कैप्टेन शिखा सुरभि:
गणतंत्र दिवस परेड 2019 में भारतीय सेना की मोटरसाइकिल डेयरडेविल्स स्क्वाड में पहली और एकमात्र महिला अधिकारी बनीं।
मिताली राज:
200 एकदिवसीय मैच खेलने वाली पहली महिला क्रिकेटर बनीं। वर्तमान में वह भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हैं।
अरुणिमा सिंह:
जलीय सरीसृपों का बचाव करने वाली देश की पहली महिला हैं। वह अब तक 18 से अधिक घड़ियाल और मगरमच्छ जैसे खतरनाक जलीय जीवों को बचा चुकी हैं।
गीता गोपीनाथ:
भारतीय मूल की गीता गोपीनाथ अक्टूबर, 2018 को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की पहली महिला मुख्य अर्थशास्त्री बनकर देश का नाम रौशन किया।
गरिमा अरोड़ा:
नवंबर, 2018 को मिशेलिन स्टार अवार्ड के साथ सम्मानित होने वाली पहली भारतीय महिला शेफ बनीं। उन्हें हाल ही में 2019 के लिए एशिया की सर्वश्रेष्ठ महिला शेफ के रूप में नामित किया गया है।
दीपा मलिक:
2016 के ग्रीष्मकालीन पैरालिंपिक में शॉट पुट में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
निष्ठा डुडेजा:
मिस डेफ एशिया 2018 का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
ऊषा किरण:
छत्तीसगढ़ के उग्रवाद प्रभावित बस्तर क्षेत्र में तैनात होने वाली सीआरपीएफ की पहली महिला अधिकारी बनीं। यहीं नहीं वह ऐसी पहली महिला सीआरपीएफ अधिकारी हैं, जो कोबरा (सीआरपीएफ की एक विशेष इकाई है जो गुरिल्ला रणनीति और जंगल युद्ध में कुशल है।) का हिस्सा हैं।
हेमा दास:
12 जुलाई, 2018 को फिनलैंड में आयोजित विश्व अंडर -20 चैंपियनशिप में ट्रैक इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
अंजू पी.एस.
पहली महिला लाइव साउंड इंजीनियर हैं। 7 वर्षों में 50 से अधिक आयोजनों का नेतृत्व किया।
ऑल-फीमेल स्पेसवाक
पहली ऑल-फीमेल स्पेसवॉक इस महीने के अंत में होने वाली है। नासा अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टीना कोच और ऐनी मैकक्लेन 29 मार्च को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के बाहर स्पेसवॉक करेंगी। दोनों को आइएसएस में पिछली गर्मियों में स्थापित बैटरी को बदलने के मिशन पर भेजा जा रहा है। 14 मार्च को कोच अपनी पहली अंतरिक्ष उड़ान भरेंगी। नासा के मुताबिक उनकी स्पेसवॉक लगभग सात घंटे चलेगी।
60 वर्षों में पहली बार: लगभग 60 वर्षों के स्पेसफ्लाइट में केवल चार बार ही ऐसा हुआ है जब अभियानों में दो महिला सदस्यों को शामिल किया गया है, जो स्पेसवॉक के लिए प्रशिक्षित हैं।
पहली महिला स्पेसवॉक : सोवियत अंतरिक्ष यात्री स्वेतलाना सवित्स्काया 25 जुलाई 1984 को स्पेसवॉक करने वाली पहली महिला बनीं।
कुल स्पेसवॉक: रखरखाव, मरम्मत, उपकरणों के परीक्षण या विज्ञान के प्रयोगों के लिए आइएसएस में 1998 से अबतक 213 स्पेसवॉक हो चुकी हैं।
बराबर की रही भागीदारी: अंतरिक्ष में जाने वाले 500 से अधिक लोगों में से 11 फीसद से अधिक महिलाएं हैं। स्पेसवॉक टीम में या तो सभी पुरुष या पुरुष-महिला शामिल रहे हैं।