माला दीक्षित, नई दिल्ली। सरकार का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में नामों का पैनल तैयार करने के लिए सर्च कम इवोल्यूशन कमेटी का गठन और उसमें सरकार का नुमाइंदा शामिल होने से नियुक्ति की प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी, जवाबदेह और त्वरित होगी। इस बात का इशारा कानून मंत्री द्वारा गुरुवार को राज्यसभा में दिए एक जवाब से मिलता है।

कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को छह जनवरी को भेजी संसूचना में एमओपी (मेमोरेंडम आफ प्रासिजर-न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया) को अंतिम रूप देने पर जोर दिया है और अन्य बातों के साथ सुझाव दिया है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सर्च कम इवोल्यूशन कमेटी (एससीईसी) में भारत सरकार का प्रतिनिधि शामिल होना चाहिए।

इसके अलावा हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए इस समिति में एक प्रतिनिधि भारत सरकार द्वारा नामित और एक प्रतिनिधि राज्य सरकार का शामिल होना चाहिए। यह समिति पात्र उम्मीदवारों का पैनल तैयार करने का काम करेगी और उसी पैनल से कलेजियम नियुक्तियों के लिए संस्तुति करेगी। कानून मंत्री ने कहा कि इससे और सुझाए गए अन्य उपायों से अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और त्वरित तंत्र का मार्ग प्रशस्त करेगा।

यानी सरकार ने खुलकर बता दिया है कि उसने भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) को भेजे पत्र में एससीईसी में सरकार का प्रतिनिधि शामिल करने की बात कही है। एमओपी के जरिए न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल होने के लिए जगह बना रही सरकार अभी प्रक्रिया से पूरी तरह बाहर है। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट कलेजियम की सिफारिश पर होती है।

सरकार सिवाय उस सिफारिश को पुनर्विचार के लिए कलेजियम को वापस भेजने के, उसमें किसी नाम को घटा बढ़ा नहीं सकती। हालांकि, सरकार ने जो सुझाव दिया है, उसमें भी नियुक्ति के लिए नाम की सिफारिश करने का अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट कलेजियम का ही होगा। गुरुवार को मुकुल बालकृष्ण वासनिक के सवाल के लिखित जवाब में कानून मंत्री की ओर से बताया गया है कि उच्च न्यायालयों में रिक्त पदों का भरा जाना कार्यपालिका, न्यायपालिका के बीच एक सतत एकीकृत और सहयोगात्मक प्रक्रिया है।

इसके लिए राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर विभिन्न संवैधानिक अथारिटीज से परामर्श और अनुमोदन की आवश्यकता होती है। इनमें होने वाली रिक्तयों को जल्दी भरने का हर संभव प्रयास किया जाता है। कानून मंत्री ने बताया कि 2015 में एनजेएसी मामले में दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि भारत के प्रधान न्यायाधीश से परामर्श करके भारत सरकार मौजूदा एमओपी को अंतिम रूप दे सकती है।

इसमें कहा गया था कि सीजेआइ सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों की कलेजियम की सर्वसम्मत राय के आधार पर निर्णय लेंगे। वे निम्नलिखित कारकों को ध्यान में रखेंगे जैसे पात्रता मानदंड, नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता, सचिवालय, शिकायत तंत्र और विविध मामले जिन्हें पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त माना जाता है।

इसमें नियुक्ति की गोपनीयता खत्म किए बिना सुप्रीम कोर्ट कलेजियम की सिफारिश वालों से बातचीत करना भी शामिल है। कानून मंत्री ने संसद में दिए जवाब में कहा है कि उपरोक्त आदेशों के अनुसरण में भारत सरकार ने सम्यक विचार विमर्श के बाद 23 मार्च 2016 को एमओपी सीजेआइ को भेजा। इस रिवाइज्ड ड्राफ्ट एमओपी पर सुप्रीम कोर्ट कलेजियम का जवाब 25 मई 2016 और एक जुलाई 2016 को प्राप्त हुआ।

इसके बाद कलेजियम के विचारों के जवाब में सरकार के दृष्टिकोण से 3 अगस्त 2016 को सीजेआइ को अवगत कराया। तत्पश्चात तत्कालीन सीजेआइ ने 13 मार्च 2017 को पत्र द्वारा एमओपी भेजा। कानून मंत्री ने बताया कि कई अन्य सुझावों के अतिरिक्त, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट मे कलेजियम की सहायता के लिए एससीईसी का भी सुझाव दिया।

सरकार ने अब तक कलेजियम को 18 प्रस्ताव पुनर्विचार के लिए भेजे कलेजियम की सिफारिशें दबाए रखने और पुनर्विचार के लिए सरकार द्वारा वापस भेजे जाने की चल रही तनातनी के बीच गुरुवार को कानून मंत्री ने एक अन्य सवाल के जवाब में राज्यसभा में बताया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट कलेजियम द्वारा की गई सिफारिशों पर पुनर्विचार की मांग कर सकती है और 31 जनवरी 2023 तक कुल 18 प्रस्तावों पर कलेजियम से पुनर्विचार की मांग की गई है।

कलेजियम ने उसमें से छह सिफारिशों को दोहराने का फैसला किया, सात मामलों में सुप्रीम कोर्ट कलेजियम ने हाई कोर्ट कलेजियम से कुछ और जानकारी मांगी है। इसके अलावा पांच नामों को सुप्रीम कोर्ट कलेजियम ने हाई कोर्ट को भेजने का निर्णय लिया है। एक अन्य सवाल के जवाब में कानून मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के सात और हाई कोर्टों में 333 पद रिक्त होने की जानकारी दी है।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट कलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट में सात न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश सरकार को भेजी है जो अभी सरकार के समक्ष प्रक्रियाधीन है। उच्च न्यायालयों की कलेजियम द्वारा सिफारिश किए गए 142 प्रस्ताव प्रक्रिया के विभिन्न स्तरों पर हैं। इनमें से दो प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट कलेजियम में लंबित हैं जबकि 140 सरकार के समक्ष प्रक्रिया के विभिन्न स्तरों के अधीन हैं।

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Edited By: Devshanker Chovdhary