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जीएसटी संग्रह में गिरावट के बाद हरकत में आई सरकार

अक्टूबर के लिए जीएसटी संग्रह 83,346 करोड़ रुपये रहा है जबकि जुलाई, अगस्त, सितंबर के लिए यह आंकड़ा 90,000 करोड़ रुपये से अधिक था।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Sun, 03 Dec 2017 10:28 PM (IST)Updated: Sun, 03 Dec 2017 10:28 PM (IST)
जीएसटी संग्रह में गिरावट के बाद हरकत में आई सरकार

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। जीएसटी संग्रह में गिरावट आने के बाद सरकार हरकत में आ गयी है। वित्त सचिव हसमुख अढिया ने राजस्व संग्रह के ट्रेंड का जायजा लेने के लिए 9 दिसंबर को शीर्ष टैक्स अधिकारियों की एक बैठक बुलायी है। इस बैठक में राज्यों के टैक्स अधिकारी भी शामिल होंगे।

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केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड के सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में जीएसटी संग्रह में कमी पर चर्चा के साथ-साथ उन उपायों पर भी विचार विमर्श किया जाएगा जिनके जरिए जीएसटी संग्रह में किसी भी तरह के लीक को रोका जा सके और राजस्व को बढ़ाया जा सके। राज्यों में जीएसटी का क्रियान्वयन देख रहे अधिकारी भी शामिल होंगे।

सूत्रों ने कहा कि वित्त सचिव की अध्यक्षता में होने वाली इस अहम बैठक से पहले सीबीईसी भी इस दिशा में उपाय करने में जुट गया है। बोर्ड पांच दिसंबर को देशभर में आला परोक्ष कर अधिकारियों के साथ एक वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए जीएसटी से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेगा। सूत्रों का कहना है कि संबंधित टैक्स अधिकारियों को जीएसटी से संबंधित तात्कालिक महत्व के मुद्दों को इस बैठक में उठाने को कहा गया है।

वित्त सचिव जीएसटी संग्रह की समीक्षा ऐसे समय कर रहे हैं जब अक्टूबर के लिए जीएसटी संग्रह अपेक्षानुरूप कम रहा है और नवंबर में भी इसमें गिरावट आने का अनुमान है।

उल्लेखनीय है कि अक्टूबर के लिए जीएसटी संग्रह 83,346 करोड़ रुपये रहा है जबकि जुलाई, अगस्त, सितंबर के लिए यह आंकड़ा 90,000 करोड़ रुपये से अधिक था। इस तरह अक्टूबर में जीएसटी संग्रह लगभग 10 प्रतिशत कम रहा है। वित्त मंत्रालय के सूत्र मानते हैं कि जीएसटी संग्रह में कमी वजह हाल में कई वस्तुओं पर जीएसटी की दरों में कटौती है। जीएसटी काउंसिल ने 10 नवंबर को गुवाहाटी में जब 215 वस्तुओं और रेस्टोरेंट सेवाओं पर जीएसटी की दर में कटौती का अहम फैसला किया था तो काउंसिल को भी इस बात का अहसास था कि इस लोकलुभावन फैसले का असर केंद्र और राज्यों के खजाने पर भी पड़ेगा। उस समय अनुमान भी लगाया गया था कि इससे सालाना तकरीबन 20,000 करोड़ रुपये की राजस्व हानि सरकार को होगी।

काउंसिल को इस निर्णय के साथ यह भी उम्मीद थी कि जीएसटी की दरें कम रहने से अनुपालन बेहतर होगा तो आगे चलकर जीएसटी संग्रह बढ़ेगा। हालांकि अब तक इस दिशा में कुछ सकारात्मक प्रगति देखने को नहीं मिली है। इसकी वजह यह है कि अक्टूबर के लिए रिटर्न दाखिल करने वाले असेसीज का आंकड़ा भी करीब 56 प्रतिशत रहा है। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि जीएसटी की दरों में कटौती तथा रिटर्न दाखिल करने में जो ढिलाई दी गयी है, उससे नवंबर का जीएसटी संग्रह भी कम रहने का अनुमान है।

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