2100 तक खत्म हो सकते हैं एवरेस्ट के ग्लेशियर
वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण हिमालय के एवरेस्ट क्षेत्र में ग्लेशियरों के अस्तित्व को लेकर वैज्ञानिकों ने चेताया है।
काठमांडू । वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण हिमालय के एवरेस्ट क्षेत्र में ग्लेशियरों के अस्तित्व को लेकर वैज्ञानिकों ने चेताया है। एक अध्ययन में कहा गया है कि यदि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का बढ़ना जारी रहा तो आने वाले 85 साल में यानी 2100 तक एवरेस्ट क्षेत्र के कम से कम 70 फीसद या पूरे ग्लेशियर खत्म हो सकते हैं। नेपाल से होकर भारत में बहने वाली कोसी नदी में भविष्य में भयंकर बाढ़ के खतरे की आशंका भी जताई गई है।
नेपाल, फ्रांस और नीदरलैंड के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में बताया कि हिमालयी ग्लेशियर बढ़ते तापमान के प्रति काफी संवेदनशील हो सकते हैं और उनसे लगातार बर्फ पिघल सकता है। काठमांडू के एक संस्थान के ग्लेशियर विज्ञानी जोसेफ शेया के मुताबिक, भविष्य में एवरेस्ट क्षेत्र के ग्लेशियर में परिवर्तन के स्पष्ट संकेत हैं। सन 2100 तक ग्लेशियर 70 से 99 फीसद तक कम हो सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कितना बढ़ता है और यह तापमान, बर्फबारी और बारिश पर कितना प्रभाव डालता है। तापमान में वृद्धि से न केवल बर्फ पिघलने की दर बढ़ेगी बल्कि बर्फ के बारिश के रूप में बदलने में भी तेजी आएगी।
अध्ययन के मुताबिक, ग्लेशियरों के पिघलने से झीलों में वृद्धि होगी और ग्लेशियर के मलबे उसके बांध का काम करेंगे। आशंका जताई गई है कि भूस्खलन और भूकंप के चलते ऐसे बांध टूट सकते हैं और भयंकर बाढ़ आ सकती है। बाढ़ से कोसी की घाटी में नदी का बहाव सामान्य से 100 गुना अधिक हो सकता है। 'बिहार का अभिशाप' कही जानेवाली कोसी नदी पूर्व में बाढ़ से भारी तबाही मचाने और अक्सर अपनी दिशा बदलने के लिए जानी जाती है। शोधकर्ताओं के दल ने हिमालय क्षेत्र में दूध कोसी बेसिन के ग्लेशियरों पर अध्ययन किया, जहां एवरेस्ट सहित विश्व की कई ऊंची चोटियां हैं।